Mumbai: Why Chief Justice Hitting Interest Of State Citizens? Dismissing PILs Without Quoting Sections...
करीब ७०% जनहित याचिकाएं एक ही सुनवाई में खत्म की !
क्यों चोरो को फायदा हो रहा है?
मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्या न्यायधीश Pradeep Nandrajog धड़ाधड़ जनहित याचिकाएं dispose करते जा रहे है. उनकी बॉम्बे हाई कोर्ट में नियुक्ति अप्रैल 2019 मं हुई थी। तब से अब तक करीब ७० परसेंट PIL's Dispose हो चुकी है। याचिका में छोटी मोटी गलती निकली जाती है और सुधारने का समय दिए बिना ख़ारिज कर दी जाती है. ख़ारिज करते वक़्त कोई सेक्शन नहीं बताया जाता. बात को भी रिकॉर्ड पर नहीं लेते. कई याचिकाओं में तो कानून को किनारे रख कर मनमाना आर्डर पास हो जाते है. Respondent को अधिकतर बोलने ही नहीं दिया जाता. साहब खुद ही बहस शुरू कर देते है और किसी पेपर को नहीं मानते. दुःख की बात यह है की सारा assignment civil PIL का जस्टिस प्रदीप नन्द रजोग खुद ही रखे है. इसका खामियाजना जनता को ही भुगतना है। चोरो के मज़े है संविधान की साहब रोज धज्जिया उडा रहे है।
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पूर्व जस्टिस चेल्लूर किसी भी केस को बिना बहस किये नहीं उड़ाती थी और सरकारी वकील से REPLY मांगती थी। जस्टिस नरेश पाटिल हर केस की पूरी तरह किताबे पढ़ कर तहकीकात करते थे। नहीं समझ आने पर अटॉर्नी जनरल को बुलाया जाता था. आज कल तो आदमी देख कर केस सुना जाता है। जस्टिस ओखा को तो हर आदमी याद करता है. बड़े चेहरों की ही नियम अनुसार सुनवाई होती है. कई वकील पुराने जजो को याद करते है , कि कैसे ध्यान से बात सुनी जाती थी पर आजकल सबसे बुरा दौर चल रहा है.पहले MENTION करने 11 AM , २०-२५ वकील आते थे पर आज कल २-३ ही आते है। कोई उनके सामने केस नहीं लाना चाहता. गलत फैसलों से सुप्रीम कोर्ट का ही बोझ बढेग़ा और जनता में न्याय का विश्वास काम होगा। जनता के पैसो से सुविधा लेने वालो को नियम से काम करना चाहिए और Principle of natural justice सिद्धांत मानना चाहिए।
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