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Showing posts from March, 2018

Corruption By Rewa Excise Commissioner Rajesh Henary

MP Rewa Excise Dy Commissioner Rajesh Henary Not Complying Local Authority NOC's भ्रष्टाचार के नशे में दारू विभाग के अधिकारी  Rewa:  The Deputy Commissioner of Madhya Pradesh State Excise Rajesh Henary ignoring local laws for liquor shops at Rewa division. Inspite of law passed by MP govt the public servants ignoring state laws. They are giving permission by taking bribe from liquor vendors in illegal construction. They are not demanding Municipal Occupation certificate of shop/ structure as per municipal act. The alcohol is inflammable item and as per Supreme court Fire NOC is mandatory. MP Urban has separate Fire department for NOC but corrupt officer say that we have not to follow any other than excise act. As per him all the shops are safe and he is issuing certificate of safety by allowing it. It is breach of trust with public and it is cognizable offence as per IPC 409,120B,34 ,166 . Due to such corruption life of employee and customers are in danger. Due to non fir

Madhya Pradesh Illegal Mining 20 times Penalty On Royalty Theft

 20 Times Penalty On Royalty Theft At                Madhya Pradesh (MP) सीधी में अवैध खनिज उत्खनन पर 247 करोड़ का जुर्माना MPGOVT GR DOWNLOAD  मध्यप्रदेश खनिज (अवैध खनन, परिवहन तथा भंडारण का निवारण) नियम 2006 MP Mining act 2006 तथा विस्फोटक अधिनियम 1884 का उल्लंघन पाया गया था। मध्यप्रदेश Minor Minerals  गौण खनिज नियम 1996 के नियम 53 के अनुसार उत्खनिज पत्थर 16 लाख 48 हजार घनमीटर की रॉयल्टी राशि 8 करोड़ 24 लाख रुपए होती है। जिसका बाजार मूल्य 24 करोड़ 72 लाख होता है। रॉयल्टी राशि का 20 गुना एक अरब 64 करोड़ 80 लाख रुपए और बाजार मूल्य का 10 गुना अर्थात 2 अरब 47 करोड़ 20 लाख रुपए तथा विस्फोटक अधिनियम 1884 की धारा 9-ख-2 के अंतर्गत 5 हजार रुपए जुर्माना राशि मिलाकर कुल 2 अरब 47 करोड़ 20 लाख 5 हजार रुपए का जुर्माना तय किया गया। सीधी(ब्यूरो)। 23 Dec 2014  अवैध खनन के एक मामले में जिला प्रशासन ने खननकर्ता पर 247 करोड़ का जुर्माना लगाया है। सोमवार को जारी आदेश में कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने जुर्माना राशि वसूलने के साथ ही मौके से जब्त की गई एक जेसीबी मशीन व अन्य सामग्री को राजसात करने के

Railway Track Stolen In Madhya Pradesh

1.6km Railway Track Stolen Between Katni Damoh Section. 60% Recovered By RPF. 100 Ton Weight Track Stolen मध्य प्रदेश में कटनी और दमोह रेलवे स्टेशन के बीच कुछ लोगों ने 1.6 किलोमीटर की रेल पटरियां ही चुरा लीं। रेलवे के अधिकारी भी हैरान हैं कि इतनी भारी-भरकम पटरियों को उखाड़कर ले कैसे जाया गया। अच्छी बात यह है कि पटरियां उखाड़े जाने के बाद इस रूट से कोई ट्रेन नहीं गुजरी और किसी भी प्रकार का ट्रेन हादसा नहीं हुआ। बताया गया कि जितनी पटरियां चुराई गईं हैं, उनका कुल वजन 100 टन से भी ज्यादा हो सकता है। आशंका जताई जा रही है कि मुख्य आरोपी शमीम कबाड़ी Shamim Kabadi पाकिस्तान चला गया है। यह खबर सुनकर सुरक्षा एजेंसियों के होश उड़े हुए हैं। पुलिस यह भी नहीं समझ पा रही है कि आखिर कोई इन पटरियों का कोई करेगा क्या?  8 लोगों की गिरफ्तारी   यह भी कहा जा रहा है कि जितने खर्च में इन पटरियों को गलाकर कुछ और बनाया जाएगा, उतने में तो नया स्टील आ जाएगा। पुलिस का यह भी कहना है कि आम चोरों के पास इन पटरियों को गलाने के ना तो कोई उपकरण होंगे ना ही कोई और व्यवस्था।  इस मामले में  आरपीएफ  ने सागर और जबल

Salary resetting after Many Year is Illegal:MP HIGH COURT

वेतन पुनरीक्षण के समय कर्मचारी की अंडरटेकिंग अमान्य: हाईकोर्ट* |    Undertaking on Salary Release Is Against Law And it Is Forced to Sign Jabalpur Highcourt , माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर ने श्री टंगुलाल लाल पसीने, ऑपरेटर ग्रेड-1 जल संशाधन विभाग, बालाघाट balaghat से रिटायर्ड, द्वारा वित्त विभाग एवम अन्य के विरुद्ध दायर रिट याचिका में फैसला सुनाते हुए कहा है कि श्री tunglal पसीने से रिटायरमेंट के बाद वसूली गई राशि की रुपये 3,08,263 कार्रवाई दो कारणों से अवैध है। पहला 30 वर्ष पूर्व किये गलत वेतन निर्धारण का संशोधन उसके पश्चात सीमित अवधि में ही किया जा सकता है। इतने लंबे अवसान के बाद, पुर्ननिर्धारण के परिणामस्वरूप, वसूली की अनुमति नही दी जा सकती है।  कर्मचारी किसी भी प्रकार से त्रुटि के लिए उत्तरदायी नही माना गया है। *अंडरटेकिंग के प्रश्न पर माननीय* *हाई कोर्ट द्वारा फैसला सुनाते हुए कहा गया है कि वेतन निर्धारण के समय कर्मचारी से प्राप्त अंडरटेकिंग* *स्वेच्छिक़ नही है, यह बाध्यकारी परिस्थितियों में लिया गया दस्तावेज है जो कि लोक नीति के विरुद्ध है।*  कर्मचारी के पास वेतन पुन