बिना रिलेशन के भी गर्भ धारण का खतरा
फोरप्ले से भी प्रेग्नेंसी का रिस्क:अमेरिका में 200 में 1 लड़की वर्जिनिटी खोए बिना प्रेग्नेंट, जानकारी की कमी से भारत में चुप्पी
अमेरिका में मां बनने वाली हर 200 में से एक महिला वर्जिनिटी खोए बिना गर्भवती होती है। अमेरिका की एक रिसर्च में यह बात सामने आई है, जिसे डॉक्टर्स ने मेडिकल भाषा में वर्जिन प्रेग्नेंसी का नाम दिया है। दुनियाभर में ऐसे मामले सामने आते हैं, लेकिन युवा भी इस समस्या से अंजान हैं।
बिना फिजिकल रिलेशन बनाए बनीं मां
2021 में इंग्लैंड की निकोल मूर ने 'वर्जिन मैरी' के नाम से सुर्खियां बटोरीं। वह 18 साल की उम्र में प्रेग्नेंट हुईं और एक बच्ची को जन्म दिया। उन्होंने न तो पार्टनर से फिजिकल रिलेशन बनाए थे और न ही प्रेग्नेंट होने के लिए आईवीएफ जैसी किसी तकनीक की मदद ली।
डॉक्टर्स ने जांच की तो पता चला कि निकोल सच बोल रही हैं। बल्कि, वह एक ऐसी समस्या से जूझ रही थीं, जिसकी वजह से वह फिजिकल रिलेशन बनाना तो दूर, टैंपून जैसी चीजें तक यूज नहीं कर सकती थीं। इसलिए वह और उनके पार्टनर सिर्फ फोरप्ले के जरिए ही एक-दूसरे से प्यार जताते। इसी प्रक्रिया में वह प्रेग्नेंट हो गईं। यही वजह है कि मीडिया और लोगों ने उन्हें 'वर्जिन मैरी' नाम दिया।
2020 में अमेरिका की समांथा लिन ईसाबेल ने टिकटॉक के जरिए दुनिया को अपनी स्टोरी बताई। 19 साल की समांथा भी बिना संबंध बनाए प्रेग्नेंट हो गईं। निकोल की तरह ही वह भी वर्जिन थीं। बायोमेडिकल जर्नल पर मौजूद एक रिपोर्ट के अनुसार मलेशिया की एक महिला अपनी 5 साल की शादीशुदा जिंदगी में पति से शारीरिक संबंध बनाए बिना 2 बार प्रेग्नेंट हुई और अपने पति के 2 हेल्दी बच्चों को भी जन्म दिया।
गर्भ ठहरने के ये मामले अनोखे नहीं हैं। इसकी वजह क्या है, यह जानना जरूरी है...
फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंड, मुंबई में गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. संगीता रोडेओ बताती हैं कि इसके लिए नॉनपेनिट्रेटिव प्रेग्नेंसी, स्प्लैश प्रेग्नेंसी और वर्जिन बर्थ जैसे टर्म भी यूज किए जाते हैं। दुनियाभर में ऐसे बहुत केस सामने आते हैं। जिनमें फिजिकल रिलेशन नहीं बनाए गए, फिर भी महिलाएं प्रेग्नेंट हो जाती हैं। मेडिकल जर्नल BMJ की रिसर्च में भी यह बात साबित हुई है।
आमतौर पर गर्भ तीन कारणों से ठहरता है- पहला बिना गर्भनिरोधक इस्तेमाल किए संबंध बनाने से। दूसरा, अगर गर्भनिरोधक काम न करे। तीसरा तरीका है IVF जैसी टेक्नोलॉजी की मदद से, लेकिन इन तीन तरीकों के अलावा भी प्रेग्नेंसी हो सकती है।
'पेनिट्रेटिव रिलेशन' के बिना भी यूट्रस तक पहुंच सकता है स्पर्म
डॉ. संगीता बताती हैं कि संबंध बनाए बिना भी स्पर्म, यूट्रस तक पहुंचकर एग्स को फर्टिलाइज कर सकता है। जिससे गर्भ ठहर जाता है। अगर स्पर्म संबंध बनाए बिना फीमेल पार्टनर के प्राइवेट पार्ट के पास पहुंच जाए तो प्रेग्नेंसी के चांस तब बढ़ जाते हैं। अक्सर कपल को इसका पता नहीं चलता। गर्भ ठहरने के बाद जब प्रेग्नेंसी के लक्षण दिखने शुरू होते हैं, तब इसकी जानकारी मिलती है।
शरीर से बाहर स्पर्म बहुत ज्यादा समय तक नहीं जी पाता। इसके बावजूद इस तरह से प्रेग्नेंट होने का रिस्क हमेशा बना रहता है। अधिकतर टीनएजर्स और युवाओं को सही सेक्स एजुकेशन नहीं मिलती। जिसके कारण वे अनसेफ सेक्शुअल एक्टीविटीज के खतरों से अनजान रहते हैं। सोसाइटी में मौजूद ढेरों मिथ और इंटरनेट से मिली गलत जानकारियां अनचाही प्रेग्नेंसी के साथ ही बीमारियों का खतरा भी बढ़ा देती हैं।
क्लाउड नाइन हॉस्पिटल, गुड़गांव में सीनियर कंसल्टेंट व गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. रितु सेठी बताती हैं कि एक बूंद सीमेन में लाखों-करोड़ों स्पर्म होते हैं। प्रेग्नेंट होने के लिए सिर्फ एक स्पर्म ही काफी है। ऐसी कई तरह की सेक्शुअल एक्टीविटीज हैं, जिनसे स्पर्म का एक्सपोजर फीमेल के रिप्रोडक्टिव पार्ट्स से हो सकता है। जिसका नतीजा 'वर्जिन प्रेग्नेंसी' होती है। इसलिए खासकर युवाओं को ऐसी अनसेफ सेक्शुअल एक्टीविटीज के बारे में जागरूक करना बेहद जरूरी है।
फोरप्ले से भी स्पर्म का एक्सपोजर संभव
यह एक बड़ा मिथ है कि सिर्फ फोरप्ले से कोई प्रेग्नेंट नहीं हो सकता। फोरप्ले के दौरान अगर मेल-फीमेल प्राइवेट पार्ट एक-दूसरे के संपर्क में आ जाते हैं, तो बिना संबंध बनाए भी स्पर्म महिला के गर्भाशय में प्रवेश कर सकता है। सीमेन अगर हाथों में लग जाए या फिर कपल के बीच सेक्स टॉयज शेयर किए जाएं, तब भी ऐसा हो सकता है। यही वजह है कि सिर्फ अनमैरिड पार्टनर ही नहीं, बल्कि ऐसे शादीशुदा कपल भी अनचाही प्रेग्नेंसी का सामना करते हैं।
सीमेन ही नहीं, प्रीकम में भी होते हैं स्पर्म
डॉ. रितु सेठी बताती हैं कि इरेक्शन के दौरान मेल के प्राइवेट पार्ट से सीमेन से पहले एक लिक्विड निकलता है, जिसे प्रीकम कहते हैं। यह नेचुरल लुब्रिकेंट का काम करता है और फीमेल प्राइवेट पार्ट में एसिड लेवल घटाता है। इससे स्पर्म के लिए यूट्रस तक पहुंचना आसान हो जाता है।
तमाम मेडिकल रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि प्रीकम में भी स्पर्म मौजूद होते हैं। इसलिए प्रीकम से भी गर्भ ठहरने का रिस्क बना रहता है।
हाइमन के टूटे बिना भी गर्भवती होने का खतरा
फीमेल प्राइवेट पार्ट में मौजूद झिल्ली यानी हाइमन का वर्जिनिटी और प्रेग्नेंसी से कोई संबंध नहीं होता है। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, शिकागो में प्रोफेसर और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. लॉरेन स्ट्रीचर बताती हैं कि बिना हाइमन टूटे भी स्पर्म यूट्रस तक पहुंच सकता है। इससे भी 'वर्जिन प्रेग्नेंसी' हो सकती है।
वह बताती हैं कि ऐसे बहुत से केस सामने आए हैं, जिनमें डॉक्टरों ने ऐसी लड़कियों की डिलीवरी कराने में मदद की, जिनकी हाइमन को पहले कोई नुकसान नहीं पहुंचा था।
'अननेचुरल सेक्स' से भी खत्म नहीं होता रिस्क, इन्फेक्शन का खतरा भी ज्यादा
न्यूयॉर्क में सेक्शुअल हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. माइकल रीटानो बताते हैं कि कई बार कपल प्रेग्नेंसी का रिस्क कम करने के लिए अप्राकृतिक संबंध के तरीके अपनाते हैं। इसमें इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा होता है। साथ ही कुछ मेडिकल कंडीशन ऐसी होती हैं, जिसमें इस दौरान भी फीमेल पार्टनर प्रेग्नेंट हो सकती है।
कुछ बीमारियों, चोट, कैंसर के इलाज और प्रसव के दौरान वजाइनल पाउच और रेक्टम के बीच 'ओपनिंग' हो जाती है, जिसे रेक्टोवजाइनल फिस्टूला कहते हैं। ऐसे में अनप्रोटेक्टेड सेक्स फीमेल पार्टनर के लिए तकलीफदेह हो जाता है। साथ ही इस दौरान प्रेग्नेंसी हो सकती है।
भारत में नाबालिग लड़कियों के प्रेग्नेंट होने की दर ब्रिटेन से भी ज्यादा
'पॉपुलेशन काउंसिल' की रिसर्च के अनुसार 37 फीसदी युवकों और 45 फीसदी युवतियों को यह नहीं मालूम है कि पहली बार संबंध बनाने के दौरान भी प्रेग्नेंसी हो सकती है। UNFPA की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में किशोरियों के प्रेग्नेंट होने की दर काफी ज्यादा है। ब्रिटेन में 1000 में से सिर्फ 24 लड़कियां 19 साल की होने से पहले प्रेग्नेंट होती हैं, अमेरिका में यह संख्या 42 है, लेकिन भारत में 1000 में से 62 लड़कियां 19वें जन्मदिन से पहले प्रेग्नेंट हो जाती हैं।
NFHS-5 के आंकड़ों के मुताबिक 39% लड़कियां 18 साल से कम उम्र में ही सेक्शुअल एक्टिविटीज में शामिल हो चुकी होती हैं और 6.8% लड़कियां 19 साल की उम्र से पहले मां बन जाती हैं।
लेकिन इनमें से वर्जिन प्रेग्नेंसी के मामलों का पता लगा पाना मुश्किल है। सोसाइटी के प्रेशर के चलते प्रेग्नेंट होने के बाद लड़कियां इस बारे में किसी को कुछ बता नहीं पाती हैं और चुप्पी साध लेती हैं। दूसरे भी उन पर भरोसा नहीं करते। डॉ. रितु सेठी बताती हैं कि वर्जिन प्रेग्नेंसी जैसे मुद्दों पर रिसर्च की कमी है। मामले भी बहुत ज्यादा नहीं आते। इसलिए सही डेटा नहीं मिल पाता।
सेक्स एजुकेशन न पाने वाली लड़कियों को वर्जिन प्रेग्नेंसी का रिस्क ज्यादा
डॉ. संगीता कहती हैं कि ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए सेक्स एजुकेशन देना सबसे जरूरी है। अक्सर शादीशुदा कपल्स तक को यह नहीं पता होता है कि बिना संबंध बनाए सिर्फ सीमेन और प्रीकम के संपर्क में आने से भी प्रेग्नेंसी हो सकती है।
मेडिकल जर्नल BMJ की एक रिपोर्ट के मुताबिक 'वर्जिन प्रेग्नेंसी' की चपेट में अक्सर वे लड़कियां आती हैं, जिन्हें न तो स्कूल में ठीक से सेक्स एजुकेशन दी जाती है और न ही उन्हें अपने पेरेंट्स से कोई सही जानकारी मिलती है। रिसर्च में पाया गया कि पेरेंट्स बच्चों से इस टॉपिक पर बात ही नहीं कर पाते।
पेरेंट्स को भी नहीं होती जानकारी, बच्चों से कैसे करें बात
इसकी पुष्टि चाइल्ड राइट्स के लिए काम करने वाली संस्था 'समाधान अभियान' की फाउंडर अर्चना अग्निहोत्री भी करती हैं। वह बताती हैं कि कई बार तो खुद पेरेंट्स को पर्याप्त जानकारी नहीं होती। उन्हें यह भी पता नहीं होता कि इस बारे में बच्चों से क्या बात करें और उन्हें सेक्स की गंभीरता समझाने के लिए किन शब्दों का इस्तेमाल करें। वे डरते हैं कि सेक्स के बारे में बात करने पर बच्चे कोई ऐसा सवाल न पूछ लें, जिसका जवाब देने में उन्हें शर्म महसूस हो।
वर्कशॉप के दौरान ऐसे पेरेंट्स को बताया जाता है कि वे बच्चों को कैसे जागरूक करें। टीनएजर्स को जानकारी न मिलने से वे आसानी से सेक्शुअल एब्यूज का भी शिकार हो जाते हैं। भारत के मामले में तो हालात और खराब हैं, क्योंकि स्कूलों में भी बच्चों को सेक्स एजुकेशन नहीं दी जाती। टीचर भी इस बारे में बात करने से झिझकते हैं। जानकारी न होने की वजह से टीनएज प्रेग्नेंसी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
अर्चना कहती हैं कि इसकी एक बड़ी वजह सेक्स एजुकेशन देने के तौर-तरीके और उससे जुड़ी सोच है। सेक्स एजुकेशन पर बात करने को गलत करार न दें। उन्हें बताना चाहिए कि सेक्शुअल एब्यूज क्या होता है। संबंध बनाने के लिए किन नियमों का पालन करना जरूरी है, ये नियम क्यों बनाए गए हैं और इन नियमों को तोड़ना उनके लिए कितना नुकसानदेह हो सकता है। सेक्स जैसे गंभीर विषय से जुड़े शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में भी बताना जरूरी है। और, सबसे बढ़कर यह जानकारियां 'सेक्स एजुकेशन' की बजाय 'हेल्थ एंड हाईजीन' के नाम से दी जाएं। इससे पेरेंट्स की झिझक भी दूर होगी।
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