"गुप्तांग से जेण्डर तय नही होता सोच से होता है" ऐसी क्रांतिकारी और ऐतिहासिक टिप्पणी करते हुए बड़े लाट साब ! अपनी चारदीवारी में राजा की तरह गरजते हुए बोले, ये मेरी चारदीवारी है ! यहां का मुखिया मैं हूँ ! मेरी मर्जी मैं क्या सुनु क्या नही ! ऐसे कहते हुए बिग लाट साब चमचमाती गाड़ी से घर की और रवाना हो गए।
गाड़ी आगे बढ़ी ही थी कि ड्राइवर ने अचानक रोक दी ! सड़क पर भीड़ लगी थी। किसी महिला ने कार से ऑटो वाले को टक्कर मार दी। लेकिन पुलिस महिला को पकड़ने की बजाए मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रही थी।
ड्राइवर: साब ! ये पुलिस महिला को गिरफ्तार क्यों नही कर रही ? मूकदर्शक क्यों बनी हुई है ?
बड़े लाट साब: अरें तुम्हे इतना भी नही पता ! महिला आरोपी की गिरफ्तारी केवल महिला पुलिस करती है ! पुरूष पुलिस नही !
ड्राइवर: तो साब ! पुरूष कांस्टेबल ये सोच ले वो महिला है और कर ले गिरफ्तारी ! गुप्तांग के आधार पर गिरफ्तारी क्यों ? ये तो आपकी टिप्पणी का विरुद्ध है !
(ड्राइवर ने जिरह करनी चाही ! अनपढ़ था शायद ! "मैकाले डिग्रीधारी" होता तो ऐसी बकवास ना करता खैर !)
बड़े लाट साब ! को काटो तो खून नही ! लेकिन आखिर ठहरे तो राजा ही। आदेश देते हुए बोले, चलो गाड़ी आगे बढ़ाओ। महिला पुलिस आकर गिरफ्तार करेगी।
(क्या करें आदेश देने की आदत जो थी, शायद कार को भी बड़े लाट साब ! अपनी चारदीवारी समझ बैठे थे ठक ! ठक !)
गाड़ी ने रफ़्तार पकड़ी ही थी कि ड्राइवर ने अचानक ब्रेक मार दिए। न्यूटन की गति के नियमानुसार बड़े लाट साब ! का सिर आगे की सीट से टकराते टकराते बचा।
बड़े लाट साब(झल्लाते हुए): ये क्या तरीका है ? क्या हुआ ?
ड्राइवर: साब ! आगे भीड़ लगी हुई है दो पुलिसवाले दो लड़कों को पीट रहे है। पूछने पर पता चला कि दो मनचले लेडीज टॉयलेट में घुस गए। महिलाओं ने शोर मचाया तो बोले, हम महिला ही है हमारी सोच महिला है गुप्तांग से हमें लड़के मत समझो। शायद आपकी टिप्पणी सुन लिए होंगे।
बड़े लाट साब ! पानी पानी हो गए। ड्राइवर को इशारा कर गाड़ी आगे बढ़ाने को कहा।
गाड़ी पूरी गति से दौड़ रही थी लेकिन दूनी गति से देश के मन में सवाल भी खैर !
बड़े लाट साब ! ने कहा, ड्राइवर किसी मेडिकल दुकान पर गाड़ी रोक देना ! सेनेटरी पैड लेना है। ड्राइवर के मुंह से निकल गया, साब ! किसके लिए ! आपके लिए !
कार में सन्नाटा छा गया ! बड़े लाट साब ! स्तब्ध थे। अपनी चार दिवारी में बड़े बड़े सूरमाओं को निशब्द करा देने वाले बड़े लाट साब ! आज ड्राइवर के आगे निशब्द थे। क्या करें सत्य का ताप ही ऐसा है। आईने से कोई मुकाबला करें भी तो कैसे !
बहरहाल ! गाड़ी घर पहुंच चुकी थी। बड़े लाट साब ! बच्चों को पुकारते हुए बोले, He और She इधर आओ। तभी He ने बोल पड़ा, डैडी ! आज से आप मुझे She कहकर पुकारे। सोच से मैं She हूँ गुप्तांग से मेरा जेण्डर तय ना करें।
बड़े लाट साब ! ने सिर पकड़ लिया। वे समझ गए कि वोकइज्म का ज्ञान चारदीवारी में तो चल सकता है लेकिन व्यवहारिक रूप में नही। प्रकृति से छेड़छाड़ उचित नही। चार दीवारी के नियम प्रकृति के नियम से बड़े नही हो सकते।
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