रोज औसतन 500 इंडियंस बन जाते हैं विदेशी:
AUSTRALIA HAVE RS 1800 PER HOUR LABOUR CHARGES AND INDIA HAVE RS 200
A total of 225,620 Indians renounced their Indian citizenship in 2022, the highest in the past 12 years, and more than 1.66 million people have given up their nationality since 2011, according to figures provided by the government in Rajya Sabha on Thursday.
सरकार एक तरफ प्रवासी भारतीयों को जोड़ने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है, दूसरी तरफ हर साल करीब 1.80 लाख इंडियन नागरिकता छोड़कर विदेशी बन रहे हैं। इनमें 7 हजार लोग ऐसे हैं जिनकी नेटवर्थ 8 करोड़ रुपए से ज्यादा है। बाकी ज्यादातर लोग भी अच्छी कमाई वाले प्रोफेशनल्स हैं.
प्रवासी भारतीय दिवस पर कहानी उन इंडियंस की, जो इंडिया छोड़कर जा रहे…
भारत की नागरिकता छोड़कर विदेशी क्यों बन रहे लोग?
2020 की ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर के हाई नेटवर्थ वाले लोगों में अपने देश की नागरिकता छोड़ने की बड़ी वजह अपराध की बढ़ती दर या घर में व्यवसायिक अवसरों की कमी होना है।
रिपोर्ट के मुताबिक अपने देश की नागरिकता छोड़कर दूसरे देश की नागरिकता लेने के पीछे ये भी वजहे हैं- महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित माहौल की तलाश, लाइफस्टाइल फैक्टर्स जैसे प्रदूषण मुक्त हवा, फाइनेंशियल कंसर्न जैसे ज्यादा कमाई और कम टैक्स। इसके अलावा परिवार के लिए बेहतर हेल्थकेयर, बच्चों के लिए एजुकेशनल और ऑप्रेसिव सरकार से बचकर निकलना भी वजहें होती हैं।
एक्यूस्ट एडवाइजर के CEO परेश कारिया कहते हैं, '2020 में विदेशों में बसने के लिए की गई पूछताछ में सबसे ज्यादा बेहतर हेल्थकेयर, कम प्रदूषण और बिजनेस के लिए आसान देशों जैसे बिंदु रहे। कनाडा, UK, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बारे में लोग ज्यादा जानकारी जुटा रहे हैं। अमेरिका का आकर्षण कम हुआ है। इसकी वजह ग्रीन वीजा के लिए निवेश की राशि का 5 लाख डॉलर से बढ़कर 9 लाख डॉलर होना है।’
भारत की नागरिकता छोड़ने के बाद कुछ स्पेसिफिक देश ही क्यों चुनते हैं?
ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू ग्लोबल डेटा पर फोकस करता है, लेकिन इसके कुछ फैक्टर भारत पर भी लागू होते हैं। आमतौर पर जिन देशों में लंबे वक्त से भारतीय जा रहे हैं और जहां उनकी फैमिली और फ्रेंड्स रहते हैं, वो देश ऑटोमेटिक पसंद बन जाते हैं। इसके अलावा जिन देशों में पेपर वर्क आसान होता है, वहां भी लोग जाते हैं।
भारत की नागरिकता छोड़कर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और इंग्लैंड जैसे देशों में जाने के पीछे 4 बड़ी वजहें हैं…
1. भारत में दो देशों की नागरिकता का प्रावधान नहीं
नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में इजाफे की एक अहम वजह है भारत में नागरिकता से जुड़े नियम। संविधान संशोधित नागरिकता अधिनियम 1955 के मुताबिक भारत में डुअल सिटिजनशिप नहीं है। यानी एक व्यक्ति जिसके पास भारत की नागरिकता है वो अन्य किसी देश की नागरिकता के लिए एलिजिबल नहीं हैं। ऐसे में लोग विदेश गए, वहां अपना काम-धंधा जमा लिया और वहां की नागरिकता मिल गई। इससे उनकी नागरिकता भारत में स्वतः समाप्त हो जाती है।
हालांकि विदेश में रहने वाले लोगों का भारत से जुड़ाव देखते हुए भारत सरकार ने 2003 में PIO यानी पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन कार्ड और 2006 में OCI यानी ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड लॉन्च किया। इस कार्ड ने भारतीयों के लिए देश की नागरिकता छोड़ने के फैसले को और आसान बना दिया।
इस कार्ड से भारतीय नागरिकता छोड़ने के बाद भी लोग भारत से आसानी से कनेक्शन बनाए रख सकते हैं। OIC कार्ड की कुछ लिमिट्स भी हैं, जैसे कार्ड धारक भारत में चुनाव नहीं लड़ सकते, वोट नहीं डाल सकते, सरकारी या संवैधानिक पद पर नहीं हो सकते और खेती के लिए जमीन भी नहीं खरीद सकते।
2. भारत का पासपोर्ट अपेक्षाकृत कमजोर
ग्लोबल पासपोर्ट इंडेक्स के मुताबिक भारत 199 देशों की पासपोर्ट रैंकिंग में इस समय 71वें नंबर पर है। भारत के पासपोर्ट से आप बिना वीजा 71 देशों की यात्रा कर सकते हैं। वहीं अमेरिका, ब्रिटेन के पासपोर्ट पर आप बिना वीजा 173 देशों में यात्रा कर सकते हैं। इसी तरह कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के पासपोर्ट पर 172 देशों की यात्रा की जा सकती है। ये बड़ा कारण है कि इंडिया की नागरिकता छोड़कर लोग अमेरिका, कनाडा जैसे देशों की नागरिकता ले रहे हैं।
3. विदेशों में बेहतर लिविंग स्टैंडर्ड
2030 तक जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय में अभी भी लंबा रास्ता तय करना है। लोगों के पास पढ़ाई, कमाई और दवाई के मौके अपेक्षाकृत बहुत कम हैं। इसके अलावा प्रदूषण जैसी समस्या के चलते भी लोग विदेशों में बसना चाहते हैं।
4. विदेशों में ज्यादा कमाई
अमेरिका में बसे भारतीयों पर गहन अध्ययन करने वाले आर्थर डब्ल्यू हेलवेग के मुताबिक भारत छोड़ने के पीछे पैसा सबसे बड़ा कारण है। हेलवेग के मुताबिक यूनिवर्सिटी की पढ़ाई, नौकरी, बच्चों के करियर और रिटायरमेंट जैसे विषयों पर विचार करने के बाद ही लोग भारत छोड़ते हैं।
भारत में एवरेज लेबर कॉस्ट प्रति घंटे 170 रुपए है, ब्रिटेन में 945 रुपए और अमेरिका में 596 रुपए है। इसके साथ ही इन देशों में लेबर लॉ का सख्ती से पालन किया जाता है। इसलिए इन देशों में काम करना लोग ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
अमीरों के देश छोड़ने से नुकसानः टैक्स कलेक्शन में कमी और नौकरियों में भी
भारत में रोजगार की दर पहले से ही खराब है। ऐसे में अमीरों के व्यापार का कहीं और जाना यहां बेरोजगारी दर को बढ़ाएगा। इससे भारत में अमीरी-गरीबी का अंतर और बढ़ेगा। अमीर भारी टैक्स से बचने के लिए भी देश छोड़ते हैं। इससे टैक्स कलेक्शन कम होता है और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है। दूसरी ओर सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग, ब्रिटेन, कोरिया में टैक्स का सिस्टम बहुत साधारण है। इसलिए लोग अपना देश छोड़ इन देशों में बिजनेस जमाने चले जाते हैं।
WION की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1996 से 2015 तक की बोर्ड परीक्षाओं के आधे से ज्यादा रैंक होल्डर्स बाहरी देशों में शिफ्ट हो गए और अब भी वहां नौकरी कर रहे हैं। यानी शार्प माइंड भारतीयों का एक हिस्सा विदेशी देशों की तरक्की में अपना दिमाग लगा रहा है।
विदेश मामलों के जानकार और JNU के प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं कि 2022 में 4 लाख से ज्यादा लोग बाहर पढ़ाई करने गए थे। इस दौरान उनकी पढ़ाई में होने वाला खर्च लगभग 27 मिलियन डॉलर के आस-पास था। इतना खर्च कर पढ़ने वाले बच्चे अच्छे रिटर्न की भी उम्मीद रखेंगे जो उन्हें भारत में नहीं मिल पाता। ऐसे में वो विदेश में ही सेटल हो जाते हैं। भारत को इससे दो तरह का नुकसान होता है- पहला कि इतनी बड़ी अमांउट पढ़ाई के नाम पर विदेश चली जाती है और दूसरा हमारा ब्रेन ड्रेन वापस नहीं लौटता।
अभी तक आपने भारत की नागरिकता छोड़ने वालों के बारे में जाना। अब आखिर में देखिए कितने विदेशी भारत की नागरिकता लेते हैं...
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