*अण्डा, जिसे विज्ञापन में दिखाते हैं,*
*सन्डे हो या मंडे,*
*रोज़ खाओ अंडे.!*
असलियत में रोगों का भण्डार है.!*
*आज के युग में विज्ञान ने जितनी उन्नति की है, उतनी ही हमारे जीवन की अधोगति भी हुई है।*
*धन की लोलुपता एवं व्यापारिक साजिशों ने जनता के खाद्य अखाद्य के विवेक को नष्ट कर दिया है।*
*टेलीविजन, रेडियो एवं अखबारों में अखाद्य वस्तुओं के दिखाये, सुनाये एवं प्रकाशित किये जाने वाले कपटपूर्ण तथा भड़कीले विज्ञापनों ने इन वस्तुओं से होने वाली हानियों पर पर्दा डाल दिया है, जिसके कारण इन अखाद्य वस्तुओं के उपयोग से हम अपने अमूल्य जीवन को बीमारियाँ का एक घर बना लेते हैं!*
*ऐसा ही एक अखाद्य पदार्थ है 'अण्डा'..*
*टी.वी. तथा रेडियो पर पुष्टिदायक बताये जाने वाले अण्डे में वास्तव पुष्टि के नाम पर बीमारियों का भण्डार छिपा है।*
*अण्डे का पीतक (पीला भाग) कोलेस्ट्रोल का सबसे बड़ा स्रोत है।*
*कोलस्ट्रोल धमनियों को सिकोड़ देता है, जिससे उपयुक्त रक्त संचार न होने के कारण लकवा तथा दिल का दौरा पड़ने जैसी बीमारियों का जन्म होता है।*
*अतिरिक्त कोलेस्ट्रोल चर्म की पर्तों तथा नसों में जमा हो जाता है, जिससे अण्डा खाने वाले को जेंथोमा नामक बीमारी हो सकती है।*
*इतना ही नही, शरीर में कोलस्ट्रोल की मात्र अधिक हो जाने पर हायपर कोलेस्ट्रोलेमिया नामक बीमारी हो सकती है, जो कि आगे चलकर रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) का रूप ले लेती है।*
*1985 के नोबेल पुरस्कार विजेता अमरीका के प्रसिद्ध हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. माइकल एस. ब्राउन एवं डॉ. जोसेफ एल. गोल्डस्टीन ने हृदय रोग से बचने के लिए अण्डों का सेवन न करने की सलाह दी थी।*
*डॉ. ब्राउन व गोल्डस्टीन के अनुसार अण्डे में कोलेस्ट्रोल की मात्रा अधिक होने के कारण इससे हार्ट अटैक (हृदय की गति का अचानक रूक जाना), जोड़ों में दर्द, चर्मरोग, स्ट्रोक तथा पित्ताशय व मूत्राशय में पथरी आदि के रोग उत्पन्न होते हैं।*
*अण्डे में सोडियम लवण की मात्रा अधिक होती है। एक अण्डा खाने से एक चम्मच नमक खाने के बराबर प्रभाव पड़ता है।*
*अण्डे में कार्बोहाईट्रेटल की अनुपस्थिति होती है।*
*फलतः यह कब्ज तथा जोड़ों दर्द जैसी बीमारियों को पैदा कर सकता है।*
*पौल्ट्री फार्म की मुर्गियों को महामारी से बचाने के लिए डी.डी.टी. नामक जहरीली दवा का प्रयोग किया जाता है।*
*यह जहर मुर्गियों द्वारा खाये जाने वाले चारे के साथ उनके पेट में चला जाता है।*
*मुर्गी के पेट में स्थित अण्डों में लगभग 15000 सूक्ष्म छिद्र होते हैं, जिनके द्वारा अण्डे की गर्मी, नमी एवं वायु प्राप्त होती है।*
*इन्हीं छिद्रों के द्वारा गर्मी, नमी एवं वायु के साथ अण्डे डी.डी.टी. को भी सोख लेते हैं।*
*ऐसे विषाक्त अण्डे खाने से व्यक्ति को असाध्य रोग हो जाते हैं तथा दर्दनाक मौत की कहानी उसके जीवन में जुड़ जाती है।*
*अण्डे में सेल्मोनेला एंटराडीस फेज टाइप-4 (पी.टी.) नामक बैक्टीरियम होता है।*
*सन् 1988 में इंगलैंड तथा वेल्स में इसी बैक्टीरियम के कारण सोलह सौ अधिक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।*
*इसी कारण ब्रिटिश सरकार को लगभग चालीस करोड़ अण्डों एवं चालीस लाख मुर्गियों को नष्ट करना पड़ा था.!*
*इन नुक्सानों को ध्यान में रखते हुए हाँगकाँग में भी 10 मिलियन से अधिक मुर्गियों को रातों रात जला दिया गया था।*
*अण्डे में साल्मोनेला कीटाणु के साथ-साथ आँतों में भयंकर रोग उत्पन्न करने वाला कैम्पीलोबैक्टर भी पाया जाता है।*
*अण्डे का सफेद भाग अत्यधिक हानिकारक होता है, क्योंकि इसमें एवीडिन नामक विषैला तत्त्व पाया जाता है।*
*इससे खुजली, दाद, एग्जिमा, एलर्जी, चर्मरोग, त्वचा का कैन्सर, लकवा, दमा तथा सफेद कोढ़ आदि भयंकर रोग उत्पन्न होते हैं।*
*अण्डा मात्र 8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर सड़ने लगता है।*
*जब वह सड़ना प्रारम्भ करता है, तब सर्वप्रथम उसका जलीय कवच भाप बनकर उड़ने लगता है। तत्पश्चात उस पर रोगाणुओं का आक्रमण शुरू हो जाता है, जो कवच में अपनी जगह बनाकर उसे सड़ा देते हैं।*
*इस प्रकार के रोगाणुयुक्त अण्डों के सेवन से हमारे पाचन तंत्र में कभी भी किसी भी प्रकार का सड़न उत्पन्न हो सकता है।*
*निवेदन:*
*इस आर्टिकल का उद्देश्य सिर्फ जानकारी हेतु है।*
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