चीतो को भी टेंशन होता है। पिंजरे में रहने से उनकी किडनी टेंशन के कारण खराब हो जाती है
चीते और किडनी फ़ेल होने का इतिहास
चीतों की मौत होने का एक बड़ा कारण किडनी फ़ेल होना है, जिसे वैज्ञानिकों और डाक्टरों ने शोध से साबित करने की कोशिश की है.
अमेरिकी सरकार के नेशनल सेंटर ऑफ़ बायोटेक्नोलोजी इन्फ़र्मेशन ने साल 1967-2014 के बीच 243 ऐसे चीतों पर शोध किया था जो क़ैद में रह रहे थे.
एमिली मिचेल के नेतृत्व में किए गए इस गहन शोध में पाया गया कि, "क़ैद में रहने वाले कुछ चीतों में कम उम्र से ही किडनी ख़राब होने के लक्षण सामने आने लगते हैं जो आगे चल कर जानलेवा बन जाते हैं."
शोध इस नतीजे पर पहुँचा कि क़ैद में या किसी कंट्रोल्ड माहौल में रहने वाले चीते अत्यधिक तनाव लेते हैं, जिसका एक असर उनकी किडनी पर पड़ता है."
चीतों के संरक्षण के लिए काम करने वाली नामचीन संस्था 'चीता कंज़रवेशन फंड' के एक रिसर्च पेपर ने भी इस बात को ओर ध्यान दिया है कि चीतों में किडनी फेल होने के लक्षणों को शुरुआत में ही कैसे पकड़ लिया जाए जिससे उनका सफल इलाज हो सके.
चीते के बारे में जानिए ये दिलचस्प जानकारियाँ
- बाघ, शेर या तेंदुए की तरह चीते दहाड़ते नहीं हैं, उनके गले में वो हड्डी नहीं होती जिससे ऐसी आवाज़ निकल सके, वे बिल्लियों की तरह धीमी आवाज़ निकालते हैं और कई बार चिड़ियों की तरह बोलते हैं
- चीता दुनिया का सबसे तेज़ दौड़ने वाला जीव है लेकिन वह बहुत लंबी दूरी तक तेज़ गति से नहीं दौड़ सकता, अमूमन ये दूरी 300 मीटर से अधिक नहीं होती
- चीते दौड़ने में सबसे भले तेज़ हों लेकिन कैट प्रजाति के बाकी जीवों की तरह वे काफ़ी समय सुस्ताते हुए बिताते हैं
- गति पकड़ने के मामले में चीते स्पोर्ट्स कार से तेज़ होते हैं, शून्य से 90 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार पकड़ने में उन्हें तीन सेकेंड लगते हैं
- चीता का नाम हिंदी के शब्द चित्ती से बना है क्योंकि इसके शरीर के चित्तीदार निशान इसकी पहचान होते हैं
- चीता कैट प्रजाति के अन्य जीवों से इस मामले में अलग है कि वह रात में शिकार नहीं करता
- चीते की आँखों के नीचे जो काली धारियाँ आँसुओं की तरह दिखती है वह दरअसल सूरज की तेज़ रोशनी को रिफ़लेक्ट करती है जिससे वे तेज़ धूप में भी साफ़ देख सकते हैं
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