INDIA IMPORTS 75000 CR EDIBLE OIL EVERY YEAR
सोयाबीन तेल की कीमत एक साल में हुई करीब दोगुनी, सरसों, मूंगफली व सूरजमुखी तेल के दाम भी खूब बढ़े
भारत में जब से कोरोना काल शुरु हुआ है तब से ही खाने पीने वाले सभी सामान के दामों में लगभग दोगुने हो गए जिससे आम आदमी को बहुत परेशानी हो रही है|पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष खाद्य तेल के दामों में दोगुने का अंतर हो गया है| बेकरी प्रोडक्ट और दूसरे चीजे जो भी पाम तेल में तैयार होती है और जो सील पैकेट फ़ूड आता है जैसे चिप्स ,बिस्कुट आदि इनसब के दाम भी बढ़ सकते है| हमारे देश में जितने भी खाने पीने की दुकाने, होटल और रेस्टुरेंट जो भी है वहा पर अधिक तर पाम तेल का इस्तेमाल किया जाता है अनुमान ये भी है की पाम तेल महंगा हो जाने के कारण उनसे बनी चीजे भी मंगहि हो जायेगी। रिफाइंड ऑयल से लेकर पाम, सरसों तेल तक के दाम भी बढ़े
साल 2020 कि तुलना में मूंगफली, सूरजमुखी,पाम,और सरसों तेल के दो गुना हो गए है पिछले साल अप्रैल - मई पाम तेल का कीमत लगभग 75 रूपए प्रति लीटर था आज वो दो गुना रेट पर मिल रहा है जो सरसो का तेल 80 रुपये प्रति लीटर मिल रहा था आज वो 170 रुपये लीटर मिल रहा है।
जो लोग खाद्य तेल से जुड़े है उनका ये कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मार्किट में खाद्य तेल की कीमत आसमान के ओर भाग रही है, इसी के कारण भारत में भी तेल की कीमते लगातार बढ़ रही है इस पर कुछ माहिर लोगो का कहना है कि इस वर्ष चीन भी बड़े पैमाने पर अंतर्राष्ट्रीय बाजार से खाद्य तेल को खरीद रहा है , जिसके कारण दाम लगातार बढ़ रहे हैं. खाद्य तेल की महंगाई भी लोगों के लिए आफत बनती ही जा रही है कीमतों के बढ़ने का यही आलम रहा तो खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान आसमान छूने लगे हैं।
सोयाबीन तेल के दामों में भले ही वृद्धि हो रही है, लेकिन मध्य प्रदेश समेत देश के अन्य हिस्सों में सोयाबीन उत्पादक किसानों को इसका फायदा कम ही मिला है। इस बार येलो मोजेक बीमारी की वजह से पैदावार कम हुई।
सीहोर के किसान एमएस मेवाड़ा बताते हैं एक साल पहले सोयाबीन 2,900 रुपये प्रति क्विंटल (29 रुपये प्रति किलो) बिका था, लेकिन इस साल यह 20 रुपये प्रति किलो बिका। किसान स्वरूप सिंह कहते हैं कि कुछ व्यापारी और किसान अच्छी गुणवत्ता का सोयाबीन उसकी कटाई के वक्त नहीं बेचकर अब 70 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेच रहे हैं। इस समय उन्हें फायदा हो रहा है।
हालांकि, इस बार सरसों उत्पादकों को अच्छी कीमत मिली। पिछले साल सरसों उत्पादकों को 40 रुपये प्रति किलो का भाव मिला था, जबकि इस साल उन्हें 70 रुपये प्रति किलो तक का भाव मिला है। वहीं, भोपाल किराना व्यापारी महासंघ के महासचिव अनुपम अग्रवाल का कहना है कि खाद्य तेल के दाम अंतराष्ट्रीय बाजार में बढ़ रहे हैं। पिछले एक साल में पेट्रोल-डीजल के दाम भी काफी बढ़ गए हैं। इससे परिवहन का खर्च बढ़ा है। इसका असर भी उपभोक्ताओं की जेब पर दिख रहा है।
सोयाबीन डीओसी की भारी निर्यात मांग
सूत्रों ने कहा कि देश में सोयाबीन दाना (तिलहन) की स्थानीय मांग के अलावा सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की भारी निर्यात मांग है. दूसरी ओर मंडियों में सोयाबीन की आवक काफी कम है तथा तेल मिलों और व्यापारियों के पास इसका स्टॉक खत्म है. मुर्गियों के आहार के लिए डीओसी की भारी निर्यात मांग है, क्योंकि इसमें प्रोटीन की अधिक मात्रा है. डीओसी की बढ़ती मांग की वजह से सोयाबीन तेल तिलहनों के भाव लाभ दर्शाते बंद हुए. मलेशिया एक्सचेंज में लगभग चार प्रतिशत की तेजी के बीच सीपीओ और पामोलीन दिल्ली एवं कांडला की कीमतें क्रमश: 30 रुपये, 50 रुपये और 50 रुपये के सुधार के साथ बंद हुईं.
निर्यात मांग बढ़ने के साथ स्थानीय मांग के कारण मूंगफली तेल तिलहनों के भाव में भी पर्याप्त लाभ दर्ज हुआ. मूंगफली दाना में 10 रुपये, मूंगफली गुजरात में 50 रुपये और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड में पांच रुपये का सुधार देखने को मिला. जबकि स्थानीय मांग की वजह से बिनौला तेल में भी 50 रुपये क्विन्टल का सुधार आया. सूत्रों ने कहा कि इस वर्ष तिलहन किसानों को अपनी ऊपज के अच्छे दाम मिले हैं, जिसे देखते हुए आगे तिलहन पैदावार बढ़ने की पूरी संभावना है.
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