Skip to main content

कैलाश पर्वत पर समय 5 गुना तेज चलता है। कोई नहीं पहुंचा चोटी पर अब तक। KAILASH MOUNTAIN HAS SOME UNNATURAL POWER.....

पर्वत के नीचे समय 5गुना और चढ़ते ही 10-20 गुना तेज हो जाता है। एक सप्ताह में ही बूढ़ा हो जाता है मनुष्य। इसलिए कोई नहीं चढ़ पाया।



धरती का केंद्र कैलाश पर्वत दुनिया और वैज्ञानिकों के लिए अभी भी रहस्य और आश्चर्य का केंद्र बना हुआ है। यहां पहुंचने वालों ने जब अपने अनुभव दुनिया से साझा किए तो किसी को भी विश्वास नहीं हुआ। कोई कहता है कि यहां पहुंचकर लगता है, जैसे स्वर्ग में खड़े होकर हम साक्षात महादेव को देख रहे हैं। यहां की झील और पर्वत पर से आंखें हटती नहीं हैं। आओ जानते हैं कैलाश पर्वत के एक अजीब-से रहस्य को जिसकी हालांकि पुष्टि करना मुश्किल है।
 

कैलाश पर्वत के रहस्य :
यह सभी जानते हैं कि कैलाश पर्वत धरती का केंद्र है। इसके एक ओर उत्तरी, तो दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव है। यहां एक ऐसा केंद्र भी है जिसे एक्सिस मुंडी (Axis Mundi) कहा जाता है। एक्सिस मुंडी अर्थात दुनिया की नाभि या आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक ध्रुव का केंद्र। यह आकाश और पृथ्वी के बीच संबंध का एक बिंदु है, जहां दसों दिशाएं मिल जाती हैं। रशिया के वैज्ञानिकों के अनुसार एक्सिस मुंडी वह स्थान है, जहां अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है और आप उन शक्तियों के साथ संपर्क कर सकते हैं।
 
 
यह पर्वत पिरामिडनुमा है। इसके शिखर पर कोई नहीं चढ़ सकता है। यहां 2 रहस्यमयी सरोवर हैं- मानसरोवर और राक्षस ताल। यहीं से भारत और चीन की बड़ी नदियों का उद्गम होता है। यहां निरंतर 'डमरू' या 'ॐ' की आवाज सुनाई देती है लेकिन यह आवाज कहां से आती है? यह कोई नहीं जानता। दावा किया जाता है कि कई बार कैलाश पर्वत पर 7 तरह की लाइटें आसमान में चमकती हुई देखी गई हैं। जब सूर्य की पहली किरण इस पर्वत पर पड़ती है, तो यह स्वर्ण-सा चमकने लगता है।
 

क्या सचमुच होती है 'फास्ट एजिंग'?
अब हम बात करते हैं उस रहस्य की जिसके बारे में सोशल मीडिया में दावा किया जा रहा है कि कैलाश पर्वत की तलहटी में 1 दिन होता है 1 माह के बराबर! इसका मतलब यह है कि 1 माह ढाई साल का होगा। दरअसल, वहां दिन और रात तो सामान्य तरीके से ही व्यतीत होते हैं लेकिन वहां कुछ इस तरह की तरंगें हैं कि यदि व्यक्ति वहां 1 दिन रहे तो उसके शरीर का तेजी से क्षरण होता है अर्थात 1 माह में जितना क्षरण होगा, उतना 1 ही दिन में हो जाएगा।
इसे इस तरह समझें कि यदि सामान्य दिनों की तरह हमारे नाखूनों को हम 1 माह में 4 बार काटते हैं तो हमें वहां 1 दिन में 4 बार काटने होंगे। विज्ञान की भाषा में तेजी से शरीर के क्षरण होने की प्रक्रिया को 'फास्ट एजिंग' कहते हैं। 'फास्ट एजिंग' अर्थात 'तेज आयुवृद्धि'।
 
 
कहते हैं कि कैलाश पर्वत के संबंध में सबसे ज्यादा खोज रशिया पर्वतारोहियों और वैज्ञानिकों ने की है। एक समय था जबकि साल के 12 महीने रूसी खोजियों के कैम्प कैलाश पर्वत क्षेत्र में लगे रहते थे। यहां की आध्यात्मिक और अलौकिक अनुभूतियों के रहस्य का पता लगाने के लिए वे यहां रहना का जोखिम उठाते थे।
 
 
इन लोगों के अनुभव बताते हैं कि कैलाश पर्वत की तलहटी में 'एजिंग' बहुत तेजी से होने लगती है। इन पर्वतारोहियों के अनुसार वहां बिताया 1 दिन 'एक माह' के बराबर होता है। हाथ-पैर के नाखून और बाल अत्यधिक तेजी से बढ़ जाते हैं। सुबह क्लीनशेव रहे व्यक्ति की रात तक अच्छी-खासी दाढ़ी निकल आती है।
 
 
कहते हैं कि एक ऐसा समय था जबकि चीन ने दुनिया के धुरंधर क्लाइंबर्स को कैलाश पर्वत पर चढ़ने की अनुमति दी थी लेकिन सभी के प्रयास असफल सिद्ध हुए। बाद में यहां अनुमति देना बंद कर दिया गया। अनुमति दिए जाने के दौरान ही एक बार 4 पर्वतारोहियों ने कैलाश के ठीक नीचे स्थित 'जलाधारी' तक पहुंचने की योजना बनाई। कहते हैं कि इनमें 1 ब्रिटिश, 1 अमेरिकन और 2 रूसी थे। सभी अपने बेस कैम्प से कैलाश पर्वत की ओर निकले।
 
 
कहते हैं कि वे कुशल पर्वतारोही थे और काफी आगे तक गए। बाद में 1 सप्ताह तक उनका कुछ अता-पता नहीं चला लेकिन जब वे लौटे, तो उनका हुलिया एकदम बदल चुका था। आंखें अंदर की ओर धंस गई थीं। 1 सप्ताह में ही दाढ़ी और बाल बढ़ हद से ज्यादा गए थे। उनके अंदर काफी कमजोरी आ गई थी। ऐसा लग रहा था कि वे 8 दिन में ही कई माह आगे जा चुके हैं। कुछ के अनुसार वे कई साल आगे जा चुके थे। उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन दिग्भ्रमित अवस्था में उन चारों ने कुछ दिन बाद ही दम तोड़ दिया।
 
 
कहते हैं कि ऐसा भी अनुभव होता है कि कैलाश की परिक्रमा मार्ग पर एक ऐसा खास पॉइंट आता है, जहां पर आध्यात्मिक शक्तियां आगे बढ़ने के विरुद्ध चेतावनी देती हैं। वहां तलहटी में तेजी से मौसम बदलता है। ठंड अत्यधिक बढ़ जाती है। व्यक्ति को बेचैनी होने लगती है। अंदर से कोई कहता है, 'यहां से चले जाओ।' जिन लोगों ने चेतावनी को अनसुना किया, उनके साथ बुरे अनुभव हुए। कुछ लोग रास्ता भटककर जान गंवा बैठे।
 
 
इस संबंध में सोशल मीडिया पर रूसी वैज्ञानिक डॉ. अर्नुस्ट मूलदाशेव के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने ही सबसे पहले यह बताया था कि यहां कैलाश के 53 किमी परिक्रमा पथ पर रहने से 'एजिंग' की गति बढ़ने लगती है। कैलाश की चोटी को वे 800 मीटर ऊंचा 'हाउस ऑफ हैप्पी स्टोन' कहते हैं। इसके बाद मॉस्को की रशियन एकेडमी ऑफ नेचुरल साइंसेज के यूरी जाकारोव ने अपने बेटे पॉल के साथ यहां की यात्रा की थी लेकिन बहुत ही भयानक और अलौकिक अनुभव के साथ उन्हें वहां से तुरंत लौटना पड़ा था।
 
 
अब सवाल यह उठता है कि क्या यह सच है या कि यह एक अफवाह है? कुछ भी हो, जब कोई पर्वतारोही या वैज्ञानिक जब भी कैलाश पर्वत की तलहटी में गया है, तो वह वहां से तुरंत लौट आया है। आज तक कैलाश पर्वत पर कोई भी पर्वतारोही चढ़ नहीं सका है जबकि कैलाश पर्वत से कुछ मीटर ऊंचे एवरेस्ट पर कई पर्वतारोही चढ़ गए हैं, तो क्या वे कैलाश पर नहीं चढ़ सकते? 'कुछ तो बात' है कैलाश पर्वत में!
 
 
कहते हैं कि सन् 1928 में एक बौद्ध भिक्षु मिलारेपा ही कैलाश पर्वत की तलहटी में जाने और उस पर चढ़ने में सफल रहे थे। मिलारेपा ही मानव इतिहास के एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्हें कि वहां जाने की आज्ञा मिली थी। कैलाश पर्वत की तलहटी में ऐसी कौन-सी ऊर्जा है कि जहां जाते ही तेजी से उम्र घटाने लगती है। हालांकि 'फास्ट एजिंग' का रहस्य अभी भी उलझा हुआ है जिसकी यह वेबसाइट पुष्टि नहीं करती है।

असंभव है कैलाश पर्वत पर चढ़ाई!

तमाम कोशिशों के बावजूद कैलाश पर्वत अब भी अजेय है. न केवल कैलाश पर्वत बल्कि पूरे कैलाश क्षेत्र पर दुनियाभर के कई वैज्ञानिकों ने रिसर्च की है. रिसर्चर ह्यूरतलीज ने कैलाश पर्वत पर चढ़ने को असंभव बताया है. वहीं पर्वतारोही कर्नल आरसी विल्सन ने अपन अनुभव शेयर करते हुए कहा कि, ‘जैसे ही मुझे लगा कि मैं एक सीधे रास्ते से कैलाश पर्वत के शिखर पर चढ़ सकता हूं, भयानक बर्फबारी ने रास्ता रोक दिया और चढ़ाई को असंभव बना दिया.’

रूस के एक पर्वतारोही सरगे सिस्टियाकोव ने भी अपना अनुभव शेयर किया था. उनके मुताबिक, जब वे पर्वत के बिल्कुल पास पहुंचे तो उनका दिल तेजी से धड़कने लगा. कमजोरी महसूस होने लगी. उसके बाद जैसे-जैसे हम नीचे आते गए, मन हल्का होता गया.’

19 साल पहले हुई थी आखिरी बार कोशिश

कैलाश पर्वत पर चढ़ने की आखिरी कोशिश लगभग 19 साल पहले साल 2001 में की गई थी, जब चीन ने अपनी ओर से स्पेन की एक टीम को कैलाश पर्वत पर चढ़ने की अनुमति दी थी. हालांकि वे कामयाब नहीं हो सके. दुनियाभर के लोगों को मानना है कि कैलाश पर्वत एक पवित्र स्थान है. इसलिए किसी को इस पर चढ़ाई की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जिसके बाद से कैलाश पर्वत की चढ़ाई पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई.

विशिष्ट आकार का है कैलाश पर्वत

कैलाश पर्वत का महत्व इसकी ऊंचाई की वजह से तो है ही, इसका आकार भी ​अपने आप में विशेष है. ऐसा माना जाता है कि कैलाश पर्वत आकार चौमुखी दिशा बताने वाले कंपास की तरह है. कैलाश पर्वत को धरती का केंद्र भी माना जाता है.

कैलाश मानसरोवर की यात्रा कर चुके रूसी डॉक्टर एर्नस्ट मुल्दाशिफ ने यह दावा किया था कि कैलाश मानव निर्मित पिरामिड भी हो सकता है. एक अन्य स्टडी के मुताबिक, कैलाश पर्वत एक एक्सिस मुंडी है, जिसे कॉस्मिक एक्सिस, वर्ल्ड एक्सिस या वर्ल्ड पिलर कहा जाता है. लैटिन शब्द एक्सिस मुंडी का अर्थ ब्रह्मांड का केंद्र होता है.

कैलाश पर चढ़ते ही बढ़ने लगती है उम्र

अपने संस्मरणों में रूसी डॉक्टर एर्नस्ट मुल्दाशिफ ने लिखा है कि कैलाश पर चढ़ते ही उम्र बढ़ने लगती है. उन्हें एक बार साइबेरियाई पर्वतारोही ने बताया था कि कुछ लोग कैसे कैलाश पर्वत पर एक निश्चित बिंदु तक पहुंचे और उसके बाद वे अचानक बूढ़े दिखाई देने लगे और इसके एक साल बाद ही उनकी मौत हो गई.

यात्रा से लौटकर लिखी किताब

वर्ष 1999 में रूस के नेत्र रोग विशेषज्ञ एर्नस्ट मुल्दाशिफ भूविज्ञान, भौतिकी के विशेषज्ञ और इतिहासकार के साथ अपना दल लेकर कैलाश पर्वत के पास कई महीने तक रहे थे. उनके दल ने कई तिब्बती लामाओं से मुलाकात की. लौटकर मुल्दाशिफ ने ‘व्हेयर डू वी कम फ्राम’ नाम से एक किताब भी लिखी.

मुल्दाशिफ की टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची कि वास्तव में कैलाश पर्वत एक विशाल मानव निर्मित पिरामिड है, जिसका निर्माण प्राचीन काल में किया गया होगा. उन्होंने दावा किया कि यह पिरामिड पारलौकिक गतिविधियों का केंद्र है.



Comments

Popular posts from this blog

FDA Maharashtra Directory Contact Moblie Number

Food and Drug Administration Directory  DOWNLOAD JUNE 2021 CONTACT LIST PLZ CLICK ADVERTISEMENT TO SUPPORT THIS WEBSITE FOR REVENUE FROM ADVERTISEMENT Field Office Circle Head (Assit Commissioner Address of Field Office Inspector AHMEDNAGAR A.T. RATHOD (7045757882) 19C, Siddhivinayak Colony,,Near Auxillium School, Savedi,,Ahmednagar - 414003 J.H.SHAIKH (9158424524) AKOLA H. Y. METKAR (9730155370) Civil Line, Akashwani Road, ,Akola ,AKOLA H. Y. METKAR (9730155370) AMARAVATI U.B.GHAROTE (9595829895) Office of the Joint Commissioner,Jawade Compound, Near Bus Stand,Amrawati-444 601 C. K. DANGE (9422844477) AURANGABAD S. S. KALE (9987236658) Office of the Joint Commissioner,,2nd floor, Nath Super Market, Aurangpura,Aurangabad R. M. BAJAJ (9422496941) AURANGABAD Zone 2

हिन्दू शब्द वेदों से लिया गया है ना की फ़ारसी से

  HINDU WORD ORIGIN PLZ CLICK ADVERTISEMENT TO SUPPORT THIS WEBSITE FOR REVENUE FROM ADVERTISEMENT हिन्दू शब्द सिंधु से बना है  औऱ यह फारसी शब्द है। परंतु ऐसा कुछ नहीं है! ये केवल झुठ फ़ैलाया जाता है।ये नितांत असत्य है  ........ "हिन्दू"* शब्द की खोज - *"हीनं दुष्यति इति हिन्दूः से हुई है।”* *अर्थात* जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं। 'हिन्दू' शब्द, करोड़ों वर्ष प्राचीन, संस्कृत शब्द से है! यदि संस्कृत के इस शब्द का सन्धि विछेदन करें तो पायेंगे .... *हीन+दू* = हीन भावना + से दूर *अर्थात* जो हीन भावना या दुर्भावना से दूर रहे, मुक्त रहे, वो हिन्दू है ! हमें बार-बार, सदा झूठ ही बतलाया जाता है कि हिन्दू शब्द मुगलों ने हमें दिया, जो *"सिंधु" से "हिन्दू"* हुआ l *हिन्दू शब्द की वेद से ही उत्पत्ति है !* जानिए, कहाँ से आया हिन्दू शब्द, और कैसे हुई इसकी उत्पत्ति ? हमारे "वेदों" और "पुराणों" में *हिन्दू शब्द का उल्लेख* मिलता है। आज हम आपको बता रहे हैं कि हमें हिन्दू शब्द कहाँ से मिला है! "ऋग्वेद" के *"

RTE & School Quota Of Kalyan Dombivli KDMC Region Thane

 Kalyan Dombivali Municipal Region School Quota and RTE 25% quota details received from RTI reply from KDMC Education department. Almost in all the schools free education seats for income below Rs1lac is vacant .The vacant seats are illegally filled by private school in open category by private schools by taking donations. KDMC education didnot taken any action. Total approved strength of class is 4 times of RTE quota. If RTE 25% quota is 25 then approved students limit is 100 students. Means 75 students from general and 25 from RTE 25% quota. In all the schools students are more than from approved strength and RTE 25% seats are vacant. It means RTE seats are filled by general students. As per RTE Act 2009 poor quota seats ie RTE25% cannot be filled by general quota in any condition and at any class. Helpline 9702859636  RTE Admission