Nepal में रोड का विकास नहीं हुआ और वाहन बढ़ रहे है। भारत की तुलना में किराया तीन गुना है। सरकार की आमदनी का जरिया सिर्फ टैक्स रह गया है क्योंकि सरकार पूंजी नहीं आकर्षित कर पा रही है।
नेपाल में सरकार मोटर वीइकल टैक्स बोरा भरकर लेती है. नेपाल सरकार भारत से गाड़ी ख़रीदने पर एक्साइज, कस्टम, स्पेयर पार्ट्स, रोड और वैट मिलाकर कुल 250 फ़ीसदी से ज़्यादा टैक्स लेती है. इस वजह से यहाँ गाड़ियाँ भारत की तुलना में लगभग चार गुनी महंगी मिलती हैं.
बाइक की क़ीमत भी नेपाल आसमान छू रही है. नेपाल सरकार का कहना है कि ये लग्ज़री कैटिगरी में हैं, इसलिए ज़्यादा टैक्स लगाए जाते हैं.
हालाँकि नेपाल में पब्लिक ट्रांसपोर्ट इतनी भी अच्छी नहीं है कि इन्हें लग्ज़री समझा जाए.
काठमांडू यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर विश्व पौडेल कहते हैं, "जब तक नेपाल में राणाशाही रही, तब तक यहाँ के लोगों को खुलकर जीने नहीं दिया गया. राणाशाही को नेपालियों के सुख-सुविधा में जीने देना पसंद नहीं था. वहीं चीज़ें आज भी जारी हैं."
"मोटर-गाड़ी पर 250 से 300 प्रतिशत तक टैक्स लगाने का कोई मतलब नहीं है. अच्छा होता कि सरकार इसके बदले टोल टैक्स लेती और सड़क बनाने पर ज़्यादा ज़ोर देती. काठमांडू से वीरगंज की दूरी 150 किलोमीटर से भी कम है और वहाँ से ट्रकों को आने में दो दिन का वक़्त लता है. नेपाल में सड़कों की हालत बहुत बुरी है."
विश्व पौडेल कहते हैं कि सरकार को राजस्व बढ़ाने का कोई और ज़रिया समझ में नहीं आता इसलिए बेमसझ और बेशुमार टैक्स लगाती है.
वो कहते हैं, "नेपाल विदेशी मुद्रा के लिए टैक्स और विदेशों में काम कर रहे अपने नागरिकों पर निर्भर है. यहाँ निवेश के नाम पर सन्नाटा है. कोई निवेश भी करने आता है, तो बुनियादी सुविधाएँ नहीं हैं. सड़क, बिजली, पानी, स्किल्ड लेबर और सुगम सरकारी तंत्र नहीं है. एक मानसिकता ये भी है कि कोई विदेशी कंपनी आएगी, तो देश पर क़ब्ज़ा कर लेगी. ऐसे में कौन निवेश करेगा."
विश्व पौडेल कहते हैं कि नेपाल की सरकार नहीं चाहती है कि नागरिकों को सस्ते में सामान मिले. बात केवल कार और बाइक की नहीं है. यहाँ खाने-पीने के सामान भी उतने ही महँगे हैं. एक कप चाय के लिए कम से कम 14 भारतीय रुपए देने होंगे.
नेपाल में बिजली भी काफ़ी महंगी है. यहाँ के लोग 12 रुपए प्रति यूनिट से बिजली का बिल भरते हैं. सड़क किनारे जिन सैलूनों में भारत में 20 से 50 रुपए में हेयर कटिंग हो जाती है, वही हेयर कटिंग के लिए यहाँ 220 नेपाली रुपए देने पड़ते हैं. किताब, नोटबुक, कलम और दवाइयाँ में नेपाल में बहुत महंगी हैं.
मधेस में रोहतट के शिवशंकर ठाकुर काठमांडू के धोबीघाट इलाक़े में सड़क किनारे बाल काटते हैं. उन्होंने जब बाल काटने के बाद 220 रुपए लिए, तो मैंने कहा कि बहुत ही ज़्यादा ले रहे हैं. शिवशंकर ठाकुर ने कहा आप अंदाज़ा लगाइए हम इस झोपड़ी का किराया कितना देते हैं... मैंने कहा- दो हज़ार रुपए. शिवशंकर ठाकुर हँसने लगे और बोले कि इसका किराया 10 हज़ार है.
अगर आप नेपाल ये सोचकर घूमने आते हैं कि सस्ते में घूम लेंगे, तो निराशा हाथ ललेगी. पोखरा और सोलुखुंबु को सिंगापुर जितना महंगा बताया जाता है. सोलुखुंबु वही जगह है जहां से माउंट एवरेस्ट पर लोग चढ़ाई शुरू करते हैं.
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