सेना को अनुशासन खोने का डर
सेना में व्याभिचार क़ानून लागू रहने दें, रक्षा मंत्रालय की सुप्रीम कोर्ट से गुहार -प्रेस रिव्यू
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक ख़बर के अनुसार रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर अपील की है कि एडल्ट्री क़ानून (व्याभिचार) को सुरक्षाबलों में लागू रहने दिया जाए.
ग़ौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की पाँच जजों की संविधान पीठ ने सितंबर 2018 में एक ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाते हुए व्याभिचार क़ानून को रद्द कर दिया था और कहा था कि व्याभिचार कोई अपराध नहीं है.
संविधान पीठ के अध्यक्ष तत्कालीन चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा ने उस समय कहा था, "व्याभिचार अपराध नहीं हो सकता. यह निजता का मामला है. पति, पत्नी का मालिक नहीं है. महिलाओं के साथ पुरुषों के समान ही व्यवहार किया जाना चाहिए."
उस समय भी केंद्र सरकार ने अपनी दलील में कहा था कि यह सामाजिक तौर पर ग़लत है और इससे जीवनसाथी, बच्चे और परिवार मानसिक तथा शारीरिक रुप से प्रताड़ित होते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक पवित्रता को एक मुद्दा ज़रूर माना था लेकिन व्याभिचार के लिए दंडात्मक प्रावधान को समानता के अधिकार का उल्लंघन क़रार देते हुए इस क़ानून को असंवैधानिक क़रार दिया था.
Section 497 of the Indian Penal Code was a section dealing with adultery. Only a man who had consensual sexual intercourse with the wife of another man without his consent could have been punished under this offence in India. The law became defunct on 27 September 2018 by a judgement of the Supreme Court of India.[1] The Supreme Court called the law unconstitutional because it "treats a husband as the sole master."[2] However it is still a sufficient ground for divorce as ruled by the Supreme Court.[3]
Section 497 read as follows:
अब दो साल के बाद रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि सुरक्षाबलों में किसी सहयोगी की पत्नी के साथ संबंध बनाने पर नौकरी से निकाले जाने तक का प्रावधान है. सेना अपने कथित अनुशासन को बनाए रखने के लिए एडल्ट्री को दंडनीय अपराध बनाए रखना चाहती है.
रक्षा मंत्रालय की याचिका पर जस्टिस आर एफ़ नरीमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि चूँकि पाँच जजों की बेंच ने इसपर फ़ैसला दिया था इसलिए इस याचिका को चीफ़ जस्टिस के पास भेजा जाना चाहिए ताकि वो कोई उसी तरह की बेंच बना सकें.
अख़बार के अनुसार नेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन विमेन (एनएफ़आईडब्ल्यू) ने रक्षा मंत्रालय की याचिका और उसमें दिए गए तर्क को सेना में काम कर रहे लोगों और उनकी पत्नियों के लिए अपमान क़रार दिया है.
एनएफ़आईडब्ल्यू की महासचिव एनी राजा ने याचिका को वापस लिए जाने की माँग करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी बिना शर्त माफ़ी की माँग की है.
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