HALDI ADULTERATION CASE EXPOSED DELAY IN JUSTICE AT INDIA.....
DUE TO DELAY IN JUSTICE MULTI NATIONAL COMPANIES AVOID INVESTMENT IN INDIA
Corporate India’s legal costs increase 17.5% in 2013-14
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक कंपनियों और निवेशकों को यह समझाने के लिए उत्सुक हैं कि चीन के मुकाबले भारत ज्यादा कारोबारी फ्रैंडली देश है। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के मिलावट हल्दी मामले के फैसले ने देश में कारोबारी हालातों की दूसरी तस्वीर पेश की है। यह फैसला देश में न्यायिक देरी को उजागर करता है। यह न्यायिक देरी कारोबार और कारोबारी सौदों में गतिरोध पैदा करती है।
ये है मिलावटी हल्दी मामला
18 अगस्त 1982 को हरियाणा निवासी प्रेमचंद ने 100 ग्राम हल्दी बेची थी। हल्दी खरीदने वाला यह ग्राहक खाद्य विभाग का कर्मचारी था। हल्दी की जांच हुई और आरोप लगाया गया कि उसमें कीड़े पाए गए हैं। निचली अदालत में 14 साल मुकदमा चला और प्रेमचंद बरी हो गए। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ सरकार पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट चली गई। हाईकोर्ट ने 11 साल बाद 9 दिसंबर 2009 को प्रेमचंद को हल्दी में मिलावट का दोषी ठहराते हुए उसे 6 महीने की कैद की सजा और दो हजार रुपए का जुर्माना लगाया। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रेमचंद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने करीब साढ़े 9 साल सुनवाई के बाद निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए प्रेमचंद को बरी कर दिया।
देश की अदालतों में पेंडिंग पड़े हैं 4 करोड़ से ज्यादा मुकदमे
मिलावटी हल्दी केस निपटने में लगा समय अदभुत है लेकिन अद्वितीय नहीं है। इसका कारण यह है कि देश के त्रिस्तरीय न्यायिक सिस्टम में करीब 4 करोड़ मुकदमे पेंडिंग पड़े हैं। सरकारी डाटा के मुताबिक, इसमें से करीब 1.73 लाख केस देश के 25 हाईकोर्ट में 20 साल से पेंडिंग पड़े हैं। इसमें भी करीब आधे केस 30 साल से ज्यादा समय से पेंडिंग पड़े हैं।
5 साल में 57 फीसदी बढ़ा कंपनियों का कानूनी खर्च
मुकदमों के फैसलों में देरी के कारण भारत में कंपनियों का कानूनी खर्च लगातार बढ़ रहा है। 31 मार्च 2018 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में भारत में लिस्टेड कंपनियों का कानूनी और अनुपालन खर्च बढ़कर 3 बिलियन डॉलर करीब 26 हजार करोड़ रुपए पर पहुंच गया था। पिछले पांच साल में इस खर्च में 57 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। न्यायिक देरी के कारण देश के बड़े कॉरपोरेट प्रभावित हुए हैं। यदि ऐसा ना हो तो देश में कई बड़े सौदे होंगे।
समाधान में देरी से अनिश्चितता बढ़ती है: सौविक गांगुली
मुंबई की लॉ फर्म एक्यूटी लॉ के मैनेजिंग पार्टनर सौविक गांगुली का कहना है कि समाधान में लंबी देरी विदेशी कंपनियों के लिए अनिश्चितता बढ़ाती है। अन्यथा यह कंपनियां भारत में कारोबार करने की इच्छुक हैं। गांगुली का कहना है कि भारत सिंगापुर, थाइलैंड और अन्य दूसरे देशों से मुकाबला करता है लेकिन यहां पर विवादों का निपटारा काफी तेजी से होता है।
जजों के खाली पड़े पद भी न्याय मिलने में मुसीबत
कोर्ट में खाली पड़े जजों के पद भी समय पर न्याय मिलने में मुसीबत बन रहे हैं। सरकारी डाटा के मुताबिक, 1 अगस्त तक देश के 25 हाईकोर्ट्स में जजों के 37 फीसदी पद खाली पड़े हैं। अधिकांश कमर्शियल मुकदमों की सुनवाई इन्हीं हाईकोर्ट्स में होती है। ताजा डाटा के मुताबिक, लोअर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट्स में जजों के 23 फीसदी पद खाली पड़े हैं। 2019 में कानून मंत्रालय ने संसद में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में खाली पड़े पदों को भरने के लिए जजों के साथ मिलकर एक कोऑर्डिनेटिंग कमेटी बनाई जा रही है।
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