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सदी के आख़िर तक Japan, Italy, China, Iran की Population आधी हो जाएगी, Africa तीन गुना बढ़कर क़रीब तीन अरब हो जाएगी

अफ्रीका को छोड़ सारे विश्व की जनसंख्या घटेगी , भारत की जनसख्या २१०० तक १ अरब ३० करोड़ रहेगी !

इस सदी के आख़िर तक जापान की जनसंख्या आधी हो जाएगी. 2017 की जनगणना के अनुसार जापान की जनसंख्या 12 करोड़ 80 लाख थी, लेकिन इस शताब्दी के आख़िर तक ये घटकर पाँच करोड़ 30 लाख तक होने का अनुमान लगाया जा रहा है.
जनसंख्या के हिसाब से जापान दुनिया का सबसे बुज़ुर्ग देश है और 100 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों की दर भी सबसे ज़्यादा जापान में है.
इस कारण जापान में काम करने की क्षमता रखने वालों की संख्या में लगातार कमी होती जा रही है और हालात के और ज़्यादा ख़राब होनी की आशंका जताई जा रही है.
सरकारी अनुमान के अनुसार साल 2040 तक जापान में बुज़ुर्गों की आबादी 35 फ़ीसदी से ज़्यादा हो जाएगी. जापान में प्रजनन दर केवल 1.4 फ़ीसदी है यानी जापान में एक महिला औसतन 1.4 बच्चे को जन्म देती है. इसक अर्थ ये हुआ कि काम करने योग्य लोगों की संख्या लगातार घटती जा रही है.
किसी भी देश में उसकी मौजूदा जनसंख्या को बरक़रार रखने के लिए ज़रूरी है कि उस देश का प्रजनन दर 2.1 से कम ना हो.
ITALEY
इटली के बारे में भी अनुमान लगाया गया है कि 2100 तक वहाँ की आबादी आधी हो जाएगी. 2017 में इटली की आबादी छह करोड़ 10 लाख थी जो लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा सदी के आख़िर तक घटकर दो करोड़ 80 लाख रह जाएगी.
जापान की ही तरह इटली में बुज़ुर्गों की संख्या बहुत है. साल 2019 के विश्व बैंक के आँकड़ों के अनुसार इटली में 23 फ़ीसदी आबादी 65 साल से अधिक उम्र की है.
साल 2015 में इटली की सरकार ने प्रजनन दर बढ़ाने के लिए एक योजना शुरू की थी, जिसके तहत हर कपल को एक बच्चा होने पर सरकार की तरफ़ से 725 पाउंड यानी क़रीब 69 हज़ार रुपए दिए जाते हैं.
लेकिन इसके बावजूद इटली का प्रजनन दर पूरे यूरोपीय संघ में सबसे कम है.
इटली में एक दूसरी समस्या प्रवासन की भी है. सरकारी आँकड़ों के अनुसार साल 2018 में एक लाख 57 हज़ार लोग इटली छोड़कर किसी और देश में चले गए थे.
इटली के कई शहरों ने स्थानीय आबादी को बढ़ाने और उनकी अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए अपनी-अपनी योजनाएँ शुरू की हैं.
लोगों को केवल एक यूरो में सरकार की तरफ़ से घर दिए गए और वहाँ रहने के लिए अलग से पैसे भी दिए जाते हैं अगर वो वहाँ कोई कारोबार शुरू करना चाहते हैं तो चीन ने 1979 में अपने यहाँ एक बच्चे की योजना शुरू की थी. चीन ने अपने यहाँ बढ़ती आबादी और अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले उसके प्रभाव को देखते हुए 'वन चाइल्ड' की योजना शुरू की थी.
लेकिन दुनिया की सबसे ज़्यादा आबादी वाला ये देश आज जन्म-दर में हो रही अत्यधिक कमी से जूझ रहा है.

CHINA
लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार अगले चार साल में चीन की आबादी एक अरब 40 करोड़ हो जाएगी लेकिन सदी के आख़िर तक चीन की आबादी घटकर क़रीब 73 करोड़ हो जाएगी.
सरकारी आँकड़ों के अनुसार साल 2019 में देखा गया था कि पिछले 70 सालों में चीन का जन्म दर सबसे निचले स्तर पर आ गया है.
कुछ लोगों को इस बात की आशंका है कि चीन एक 'डेमोग्राफ़िक टाइम बॉम्ब' बन गया है, जिसका आसान शब्दों में मतलब है कि काम करने वालों की संख्या दिन ब दिन कम होती जा रही है और उन पर अपने बड़े और रिटायर्ड हो रहे परिवार के सदस्यों की ज़िम्मेदारी बढ़ती जा रही है.
चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में से एक है, इसलिए चीन का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा.
चीन में बुज़ुर्गों की बढ़ती आबादी से चिंतित होकर सरकार ने साल 2015 में एक बच्चे की नीति बंद कर दी और कपल को दो बच्चे पैदा करने की इजाज़त दे दी.
इससे जन्म-दर में तो थोड़ा इज़ाफ़ा हुआ लेकिन लंबे समय में ये योजना बढ़ती बुज़ुर्ग आबादी को रोकने में पूरी तरह सफल नहीं हो सकी.

IRAN
अनुमान है कि ईरान की आबादी भी सदी के आख़िर तक काफ़ी कम हो जाएगी.
1979 में ईरान में हुई इस्लामिक क्रांति के बाद वहाँ की जनसंख्या में बढ़ोत्तरी हुई थी लेकिन ईरान ने जल्द ही अपने यहाँ बहुत ही प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण नीति लागू कर दिया.
पिछले महीने ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने चेतावनी दी थी कि ईरान में सालाना जनसंख्या वृद्धि दर एक फ़ीसद से भी कम हो गई है. मंत्रालय के अनुसार अगर इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो अगले 30 सालों में ईरान दुनिया से सबसे बुज़ुर्ग देशों में एक हो जाएगा.
सरकारी न्यूज़ एजेंसी इरना की रिपोर्ट के अनुसार ईरान में लोग शादी कम कर रहे हैं और जो शादी-शुदा हैं उनके यहाँ भी बच्चों के जन्म में कमी देखी जा रही है. समाचार एजेंसी के अनुसार आर्थिक परेशानी के कारण लोग ऐसा कर रहे हैं.
पिछले महीने ईरान ने अपनी जनसंख्या बढ़ाने के लिए फ़ैसला किया कि सरकारी अस्पतालों और मेडिकल केंद्रों में पुरुषों की नसबंदी नहीं की जाएगी और गर्भनिरोधक दवाएँ भी सिर्फ़ उन्हीं महिलाओं को दी जाएँगी, जिनको स्वास्थ्य कारणों से उन्हें लेना ज़रूरी होगा.
BRAZIL
ब्राज़ील में पिछले 40 वर्षों में प्रजनन दर में काफ़ी कमी देखी गई है. 1960 में ब्राज़ील में प्रजनन दर 6.3 थी जो हाल के दिनों में घटकर केवल 1.7 रह गई है.
लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार ब्राज़ील की आबादी 2017 में 21 करोड़ थी जो 2100 में घटकर 16 करोड़ के क़रीब हो जाएगी.
AFRICA
लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार साल 2100 तक सहारा रेगिस्तान के दक्षिण में बसे अफ़्रीक़ी देशों की जनसंख्या तीन गुना बढ़कर क़रीब तीन अरब हो जाएगी.
इस रिपोर्ट के अनुसार इस सदी के आख़िर तक नाइजीरिया की आबादी क़रीब 80 करोड़ हो जाएगी और जनसंख्या के कारण वो दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा देश हो जाएगा.
रिपोर्ट ये भी कहती है कि उस वक़्त तक नाइजीरिया में काम करने योग्य एक बड़ी संख्या हो जाएगी और उनकी जीडीपी में भी बहुत वृद्धि होगी.
INDIA
भारत साल 2100 तक चीन को पीछे करते हुए दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा. हालांकि लैंसेट के शोधकर्ताओं का कहना है कि भारत की आबादी में कमी आएगी और इस सदी के आख़िर तक भारत की आबादी एक अरब 10 करोड़ हो जाएगी.
2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी अभी एक अरब 30 करोड़ है. 1960 में भारत में जन्म-दर 5.91 था जो अभी घटकर 2.24 हो गया है.
दूसरे देश अपने यहाँ प्रजनन दर बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहाँ लोगों से छोटे परिवार रखने की अपील की है.
पिछले साल एक भाषण में मोदी ने कहा था, "जनसंख्या विस्फोट भविष्य में हमारे लिए कई तरह की समस्या पैदा करेगा. लेकिन एक ऐसा वर्ग भी है जो बच्चे को इस दुनिया में लाने से पहले नहीं सोचता है कि क्या वो बच्चे के साथ न्याय कर सकते हैं, उसे जो चाहिए क्या वो उसे स बकुछ दे सकते हैं."
मोदी ने कहा था कि इसके लिए समाज में जागरूकता लाने की ज़रूरत है.
भारत की आबादी इस सदी के अंत होते-होते घटकर सिर्फ एक अरब के करीब रह जाएगी, यानी अभी जितनी है उससे 30-35 करोड़ कम हो जाएगी.
हालांकि फिर भी भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा आबादी वाला देश बना रहेगा. और यही नहीं दुनिया की आबादी भी सदी के आखिर में जितना पहले अनुमान लगाया गया था उससे दो अरब कम रहेगी.
ये अनुमान प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लैंसेट में छपी एक ताज़ा रिपोर्ट में लगाया गया है.
रिपोर्ट कहती है कि अभी दुनिया की आबादी करीब 7.8 अरब है जो कि साल 2100 में करीब 8.8 अरब हो जाएगी. लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने 2019 में जो रिपोर्ट प्रकाशित की थी, उसमें साल 2100 तक दुनिया की आबादी करीब 10.9 अरब होने का अनुमान लगाया गया था.
रिपोर्ट के अनुसार इस सदी के अंत तक में सबसे ज़्यादा आबादी वाले पांच देश ये होंगे - भारत, नाइजीरिया, चीन, अमरीका और पाकिस्तान.

भारत में 2047 के बाद घटेगी आबादी

भारत के बारे में रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत की जनसंख्या वृद्धि दर में साल 2047 के बाद से कमी आएगी. साल 2047 तक भारत की जनसंख्या बढ़कर अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच जाएगी और उस वक़्त देश की जनसंख्या करीब 1.61 अरब होगी.
भारत की जनसंख्या वृद्धि दर 2010 से लेकर 2019 तक औसतन 1.2 फ़ीसद बताया गया है और कहा गया है कि इस रफ़्तार से भारत चीन को 2027 तक पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा.
वहीं दुनिया की आबादी साल 2064 में अपने उच्चतम स्तर पर पहुँचेगी. इस साल तक पूरी दुनिया की कुल आबादी करीब 9.73 अरब होगी.

क्यों घटेगी भारत की आबादी

शादी करने की उम्र में बढ़ोत्तरी हुई है, लोग अब दो बच्चों की बीच अंतराल रख रहे हैं. लोगों में परिवार नियोजन को लेकर ही नहीं सिर्फ जागरूकता आई है बल्कि ज्यादा बच्चों की वजह से होने वाले आर्थिक परेशानियों को लेकर भी जागरूकता आई है. खास तौर पर ग़रीब लोगों में ये जागरूकता आ रही है. वो बच्चों को पढ़ाना-लिखाना चाहते हैं. इस पर भी काफ़ी खर्च आ रहा है. ये तमाम वजह हैं जिसकी वजह से प्रजनन दर में गिरावट आ रही है.

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