Nepal And Pakistan Army Doing School, College , Water Bottle, Road Construction Non- Proffessional Business
नेपाली और पाकिस्तानी जनरल पैसा कमाने के काम में व्यस्त , युद्ध की तैयारी में उनकी इच्छा नहीं
काठमांडू
चीन और पाकिस्तान के साथ दोस्ती बढ़ा रहे नेपाल की सेना भी अब पाकिस्तानी सेना की राह पर बढ़ती दिखाई पड़ रही है। नेपाल की सेना पाकिस्तान की सेना की तरह से बिजनस करना चाहती है। दरअसल, नेपाली सेना ऐसे बिजनस में निवेश करना चाहती है जिसमें उसको जमकर कमाई हो। नेपाली सेना के 'कारपोरेट आर्मी' बनने का देश के अंदर ही भारी विरोध शुरू हो गया है।
काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक द नैशनल डिफेंस फोर्स ने एक ड्राफ्ट बिल पेश किया है ताकि नेपाली आर्मी एक्ट को बदला जा सके। नेपाली सेना ने अपने कल्याणकारी फंड को विभिन्न बिजनस के अंदर 'प्रमोटर के रूप में' निवेश करने के लिए कानूनी सलाह मांगी है। इसके लिए पिछले कई साल से नेपाली सेना अपना पूरा जोर लगाए हुए है।
नेपाली सेना के कानूनी मामलों के प्रभारी रंत प्रकाश थापा ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनके ड्राफ्ट बिल को संसद से स्वीकृति मिलने से पहले सरकार अपनी सहमति दे देगी। नेपाल के वर्तमान कानूनों के मुताबिक सेना को उद्योगों, कंपनियों और पनबिजली परियोजना जैसे आधारभूत ढांचे के प्रॉजेक्ट में निवेश करने पर पाबंदी है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि नेपाली सेना राष्ट्रीय सुरक्षा, खुफिया सूचनाएं इकट्ठा करने जैसे कामों की बजाय बिजनस करने में कुछ ज्यादा ही रुचि दिखा रही है।
सेना वेलफेयर फंड में एक साल में ही 7.29 अरब रुपये की वृद्धि
नेपाली रक्षा विशेषज्ञ गेजा शर्मा वागले ने कहा, 'यह बहुत ही चिंताजनक संकेत है। जितना ज्यादा सेना गैर मिलिट्री गतिविधियों में शामिल होगी, उतना ज्यादा ही पेशेवर रूप से कमजोर होगी। नेपाल में माओवादी हिंसा के दौरान नेपाली सेना सड़क बनाने जैसी गतिविधियों में शामिल थी लेकिन जब हिंसा खत्म हो गई तब भी वह इस काम में शामिल है। नेपाली सेना ने इस समय गैस स्टेशन, स्कूल, मेडिकल कॉलेज और पानी का बॉटल बेचती है।
नेपाली सेना को ही काठमांडू-तराई एक्सप्रेसवे का ठेका मिला है जिसकी काफी आलोचना हो रही है। उधर, नेपाली सेना का दावा है कि जिन परियोजनाओं में वह शामिल है, वे 'कामर्शल वेंचर' हैं। उसने यह भी कहा है कि वह यह सब 'वेलफेयर फंड' के लिए कर रही है। नेपाली सेना के वेलफेयर फंड को 1975 में बनाया गया था और इसके विभिन्न खातों में अभी 45.86 अरब रुपये जमा हैं। इसके अलावा उसने 5.74 अरब रुपये निवेश कर रखे हैं। नेपाली सेना के वेलफेयर फंड में पिछले एक साल में ही 7.29 अरब रुपये की वृद्धि हुई है।
पाक सेना 50 से ज्यादा कारोबार और हाउजिंग प्रॉपर्टीज की मालिक
बता दें कि पाकिस्तान में सेना कितनी प्रभावशाली है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। कहा जाता है कि वहां सत्ता में कौन नेता या पार्टी आएगी इसका फैसला भी पाकिस्तानी आर्मी करती है। पाकिस्तानी सेना ने उद्योगों का एक बड़ा साम्राज्य भी खड़ा कर लिया है। पाकिस्तानी सेना अपने अलग-अलग कमर्शल संगठनों के द्वारा चलाए जा रहे 50 से ज्यादा कारोबार और हाउजिंग प्रॉपर्टीज की मालिक है। वहां की सेना फॉजी फाउंडेशन, शाहीन फाउंडेशन, बहरिया फाउंडेशन, आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट और डिफेंस हाउजिंग अथॉरिटी के द्वारा अपने बिजनस साम्राज्य को चलाती है।
एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार के 2016 में सेना के द्वारा किए जा रहे कारोबार की वैल्यू 20 बिलियन डॉलर (1400 अरब भारतीय रुपए) के आसपास थी, जो की केवल तीन साल में बढ़कर लगभग 100 बिलियन डॉलर (लगभग 7000 अरब रुपये) हो गई। सेना की ओर चलाए जा रहे बिजनस सरकारी कंपनियों से इतर किसी भी तरह की जिम्मेदारी से मुक्त है और इसका वहां के रक्षा बजट से इसका कोई लेना-देना नहीं है। पाक सेना के प्रमुख कारोबारों में बैंकिंग, फुड, रिटेल, सिमेंट, रियल स्टेट, हाउजिंग कंस्ट्रक्शन, इंश्योरेंस और निजी सिक्यॉरिटी सर्विस है। नेपाल की सेना भी इसी राह पर बढ़ती दिख रही है।
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