मंगल अपनी संगिनी ज्वालिनी के संग |
मंगल | |
---|---|
मंगल ग्रह | |
मंगल/ भौम/ अंगारक/ कुजा/ चेवाई | |
संबंध | ग्रह |
निवासस्थान | मंगल लोक |
ग्रह | मंगल |
मंत्र | ॐ भौम भौमाय नमः |
अस्त्र | त्रिशूल, गदा, पद्म और भाला |
जीवनसाथी | ज्वालिनी देवी |
सवारी | भेड़ |
मंगल
मंगल, लाल ग्रह मंगल के देवता हैं। मंगल ग्रह को संस्कृत में अंगारक भी कहा जाता है (‘जो लाल रंग का है’) या भौम (‘भूमि का पुत्र’). वह युद्ध के देवता हैं और ब्रह्मचारी हैं। उन्हें पृथ्वी, या भूमि अर्थात पृथ्वी देवी की संतान माना जाता है। वह वृश्चिक और मेष राशि के स्वामी हैं और मनोगत विज्ञान (रुचका महापुरुष योग) के एक शिक्षक हैं। उनकी प्रकृति तमस गुण वाली है और वे ऊर्जावान कार्रवाई, आत्मविश्वास और अहंकार का प्रतिनिधित्व करते हैं।
उन्हें लाल रंग या लौ के रंग में रंगा जाता है, चतुर्भुज, एक त्रिशूल, मुगदर, कमल और एक भाला लिए हुए चित्रित किया जाता है। उनका वाहन एक भेड़ा है। वे ‘मंगल-वार’ के स्वामी हैं।
मंगल ग्रह के प्रभाव:
1. घर में चोरी होने का डर
2. घर-परिवार में लड़ाई-झगड़े की आशंका
3. भाई के साथ संबंधों में अनबन
4. दांपत्य जीवन में तनाव, अकाल मृत्यु की आशंका
मंगल ग्रह दोष के उपाय:
1. भगवान हनुमान की आराधना करें
2. ऊं हं हनुमते रूद्रात्मकाय हुं फट कपिभ्यो नम: का 1 माला जाप करें
3. हनुमान चालीसा या बजरंगबाण का रोज पाठ करें
4. त्रिधातु की अंगुठी बाएं हाथ की अनामिका अंगूली में धारण करें
5. 400 ग्राम चावल दूध से धोकर 14 दिन तक पिवत्र जल में प्रवाहित करें
6. घर में नीम का पौधा लगायें
7. बहन, बेटी, मौसी, बुआ, साली को मीठा खिलायें
8. बहन, बुआ को कपड़े भेंट न दें
9. तंदूर की बनी रोटी कुत्तों को खिलायें
मंगल देव का मंत्र :
ऊं नमोअर्हते भगवते वासुपूज्य तीर्थंकराय षण्मुखयक्ष |
गांधरीयक्षी सहिताय ऊं आं क्रों ह्रीं ह्र: कुंज महाग्रह मम दुष्टग्रह,
रोग कष्ट निवारणं सर्व शान्तिं च कुरू कुरू हूं फट् || 11000 जाप्य ||
गांधरीयक्षी सहिताय ऊं आं क्रों ह्रीं ह्र: कुंज महाग्रह मम दुष्टग्रह,
रोग कष्ट निवारणं सर्व शान्तिं च कुरू कुरू हूं फट् || 11000 जाप्य ||
तान्त्रिक मंत्र– ऊं क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: || 10000 जाप्य ||
भगवान शिव मंगलकर्ता माने जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक शिव का यही मांगलिक स्वरूप मंगल ग्रह के रूप में प्रकट हुआ। शिव अंश या तेज के भूमि पर गिरने से मंगल ग्रह का जन्म माना जाता है। इसलिए मंगल देव भूमि के गर्भ से पैदा होने वाले और उसके द्वारा पालन-पोषण किए जाने से भूमिपुत्र या भौम नाम से भी पूजनीय है।
इस कारण आस्था है कि मंगल पूजा सांसारिक जीवन से जुड़ी तमाम कामनाओं जैसे विवाह, संपत्ति, सेहत, धन, दाम्पत्य, संतान, सफलता आदि सिद्ध करती है। मंगल उपासना तन से पुष्ट, मन से साहसी व भूमि-संपत्ति व धन से समृद्ध बनाने वाली भी मानी गई है। मंगल देव भूमि, भार्या या पत्नी के रक्षक माने जाते हैं।
मंगलवार मंगल उपासना से जन्मकुण्डली में बने मंगल दोष शांति की भी शुभ घड़ी मानी जाती है। जिससे दाम्पत्य, विवाह और रक्त संबंधी समस्याएं पैदा होती है। इसलिए शास्त्रों में इस दिन एक विशेष मंगल मंत्र स्त्रोत बोलना सारी परेशानियों से निजात दिलाने वाला माना गया है। जानिए यह मंगल मंत्र स्त्रोत और सरल मंगल पूजा विधि -
- मंगलवार की सुबह स्नान के बाद लाल वस्त्र पहन नवग्रह मंदिर में मंगलदेव की प्रतिमा का लाल पूजा सामग्रियों जिनमें लाल चंदन, अक्षत, फूल, लाल वस्त्र व नैवेद्य शामिल हों, 'ऊँ अंकारकाय नम:' यह मंत्र बोल अर्पित करें। धूप, दीप लगाएं व लाल आसन पर बैठ नीचे लिखा छोटा-सा मंगल मंत्र स्त्रोत संकट, बंधनों से मुक्ति की प्रार्थना के लिये बोलें -
भौमो दक्षिणदिक्त्रिकोणयमदिग्विघ्रेश्वरो रक्तभ:
स्वामी वृश्चिक-मेषयो: सुरगुरुश्चार्क: शशी सौहृद:।
ज्ञोरिः षट् त्रिफलप्रदश्च वसुधा स्कन्दौ क्रमाद् देवते
भारद्वाजकुलोद्भव: क्षितिसुत: कुर्यात् सदा मंङ्गलम्।।
- मंगल मंत्र स्मरण के बाद मंगल देव की धूप, दीप आरती करें व यथासंभव गुड़, केसर मसूर दाल का दान किसी विद्वान ब्राह्मण को करें।
इस कारण आस्था है कि मंगल पूजा सांसारिक जीवन से जुड़ी तमाम कामनाओं जैसे विवाह, संपत्ति, सेहत, धन, दाम्पत्य, संतान, सफलता आदि सिद्ध करती है। मंगल उपासना तन से पुष्ट, मन से साहसी व भूमि-संपत्ति व धन से समृद्ध बनाने वाली भी मानी गई है। मंगल देव भूमि, भार्या या पत्नी के रक्षक माने जाते हैं।
मंगलवार मंगल उपासना से जन्मकुण्डली में बने मंगल दोष शांति की भी शुभ घड़ी मानी जाती है। जिससे दाम्पत्य, विवाह और रक्त संबंधी समस्याएं पैदा होती है। इसलिए शास्त्रों में इस दिन एक विशेष मंगल मंत्र स्त्रोत बोलना सारी परेशानियों से निजात दिलाने वाला माना गया है। जानिए यह मंगल मंत्र स्त्रोत और सरल मंगल पूजा विधि -
- मंगलवार की सुबह स्नान के बाद लाल वस्त्र पहन नवग्रह मंदिर में मंगलदेव की प्रतिमा का लाल पूजा सामग्रियों जिनमें लाल चंदन, अक्षत, फूल, लाल वस्त्र व नैवेद्य शामिल हों, 'ऊँ अंकारकाय नम:' यह मंत्र बोल अर्पित करें। धूप, दीप लगाएं व लाल आसन पर बैठ नीचे लिखा छोटा-सा मंगल मंत्र स्त्रोत संकट, बंधनों से मुक्ति की प्रार्थना के लिये बोलें -
भौमो दक्षिणदिक्त्रिकोणयमदिग्विघ्रेश्वरो रक्तभ:
स्वामी वृश्चिक-मेषयो: सुरगुरुश्चार्क: शशी सौहृद:।
ज्ञोरिः षट् त्रिफलप्रदश्च वसुधा स्कन्दौ क्रमाद् देवते
भारद्वाजकुलोद्भव: क्षितिसुत: कुर्यात् सदा मंङ्गलम्।।
- मंगल मंत्र स्मरण के बाद मंगल देव की धूप, दीप आरती करें व यथासंभव गुड़, केसर मसूर दाल का दान किसी विद्वान ब्राह्मण को करें।
Comments
Post a Comment