उत्तराखंड में मरीज की मौत के बाद परिवारवालों ने डॉक्टर को ही गोली मार दी, जिससे उनकी घटनास्थल पर मौत हो गई। भारत के अलग-अलग अस्पतालों में मरीजों के हंगामे और अस्पताल स्टाफ से मारपीट की घटना अक्सर सुनने को मिलती है। कई डॉक्टरों पर हमले की खबर ने इस प्रफेशन से जुड़े लोगों को डर से भर दिया है। अब डॉक्टरों के सेल्फ डिफेंस के तरीकों के बारे में सोचा जाने लगा है। कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों को सेल्फ डिफेंस के लिए त्वाइकांडो की ट्रेनिंग दी जा रही है।
आगरा से लेकर दिल्ली और नागपुर से लेकर कोलकाता तक डॉक्टरों पर हमले की खबर आती रहती है। अपनी और परिवार की सुरक्षा के लिए चिंतित डॉक्टर सुरक्षा उपाय के बारे में सोच रहे हैं। शारीरिक हिंसा से बचने के लिए डॉक्टर कई तरह के उपाय अपना रहे हैं। कुछ डॉक्टरों ने तो कहा कि वह क्रिटिकल मरीजों को अब ऐडमिट करने से ही इनकार कर रहे हैं।
मरीज के परिवार के गुस्से से बचने के लिए डॉक्टरों कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं। दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टरों की टीम कुछ साल पहले हेल्मेट पहनकर मरीजों का इलाज करने आई थी। हालांकि, प्रदर्शन और सरकार के आश्वासन के बाद भी मामला निपटता नहीं दिख रहा है। रेजिडेंट डॉक्टरों पर हमले की कहानी रुक नहीं रही है।
आगरा के प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'हम अपनी सुरक्षा के लिए बहुत अधिक डरे हुए हैं। हम बहुत गंभीर हालत में आनेवाले मरीजों को ऐडमिट करने से इनकार कर दे रहे हैं। उन्हें सरकारी अस्पताल जाने का सुझाव देते हैं। हम अपनी जान के साथ कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं।'
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