म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों पर किया कवरेज, 2 पत्रकारों को 7 साल की सजा
मामले में यंगून कोर्ट के जज ये ल्यून ने कहा कि दोनों पत्रकारों ने देश के उद्देश्यों को नुकसान पहुंचाने का काम किया है।
रंगून। सोमवार को समाचार एजेंसी रायटर के दो पत्रकारों को म्यांमार में सात साज की सजा सुनाई गई है। पत्रकारों को रोहिंग्या नरसंहार की रिपोर्टिंग करते समय म्यांमार के गोपनीयता कानून के उल्लंघन का दोषी ठहराया गया है। बता दें कि अब मामले को प्रेस की आजादी पर हमला करार दिया गया है।
मामले में पेशे से पत्रकार म्यांमार के नागरिक वा लोन (32) ओर क्याव सो ऊ (28) को दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था। तब ही से दोनों को यंगून की इनसीन जेल में रखा गया था। शनिवार को 100 पत्रकारों ने यांगोन में दोनों पत्रकारों के समर्थन में मार्च निकाला था।
इस मामले ने अतंरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा है। बताते चलें कि पिछले साल रखाइन राज्य में सुरक्षाबलों ने रोहिंग्या मुस्लिमों को मार दिया था। सेना के दमन की वजह ले सात लाख रोहिंग्या मुस्लिमों ने भागकर बांग्लादेश में शरण ली थी। म्यांमार में सुरक्षाबल उनके साथ बलात्कार, हत्या और आगजनी जैसे कई अत्याचार कर रहे थे।
मामले में यंगून कोर्ट के जज ये ल्यून ने कहा कि दोनों पत्रकारों ने देश के उद्देश्यों को नुकसान पहुंचाने का काम किया है, जिसकी वजह से उन्हें सीक्रेट एक्ट के उल्लंघन का दोषी पाया जाता है। उधर, आरोपों से इंकार करते हुए दोनों पत्रकारों ने बचाव में कहा कि अपना काम करते समय वह पिछले साल रखाइन जिले में हुई 10 रोहिंग्या की मुस्लिमों की असाधारण हत्या का पर्दाफाश करने की कोशिश कर रहे थे।
इसी बीच पुलिस ने उन्हें रात के खाने पर आमंत्रित किया और उनके हाथों में पेपर थमा दिया था। रेस्टोरेंट से बाहर निकलते ही पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, जज ये ल्वीन उनके तर्क से सहमत नहीं हुए। उन्होंने कहा कि चूंकि उन्होंने गोपनीयता कानून के तहत अपराध किया है, दोनों को सात-सात साल जेल की सजा सुनाई जा रही है। संयुक्त राष्ट्र ने दोनों की रिहाई की मांग की है।
पत्रकारों के खिलाफ ये कार्रवाई ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट का उल्लंघन करने के तहत की गई है। ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के इस एक्ट में अधिकतम 14 साल की सजा का प्रावधान है।