London:आमतौर पर पूरी दुनिया में यह धारणा आम है कि विकसित देशों में गरीबी नहीं होती है। जबकि सच्चाई यह है कि ब्रिटेन जैसे देश में कई परिवार इतनी गरीबी में हैं कि उनके घरों में लड़कियों के पास सेनेटरी पैड तक खरीदने के पैसे नहीं होते हैं। इस कारण उन्हें खास दिनों में अखबार, मोजे या टॉयलेट पेपर्स का इस्तेमाल करना पड़ता है।
ब्रिटेन में हे गर्ल्स नामक एक कंपनी ने देश में गरीबी का सामना करने वाली युवतियों की पीड़ा को उजागर किया है। कंपनी ने ब्रिटेन के कई अखबारों में विज्ञापन देकर बताया कि बड़ी संख्या में लड़कियां महंगे सैनेटरी पैड तक नहीं खरीद पाती हैं। ये हालात ब्रिटेन को पिछड़े देशों की श्रेणी खड़ा कर देते हैं। कंपनी की संस्थापक सेलिया हडसन के मुताबिक पीरियड्स के दौरान गरीबी या माहवारी से जुड़े उत्पादों के अभाव में कई लड़कियां स्कूल तक नहीं जा पाती हैं।
इस संबंध में 2017 में एक सर्वे भी हो चुका है। सर्वे में पता चला कि ब्रिटेन में 10 फीसदी लड़कियां तंगहाली के चलते सेनेटरी उत्पाद नहीं खरीद पाती हैं। ब्रिटिश समाज और मीडिया की सोच पर तंज करते हुए हडसन ने कहा, हर कोई सोचता है कि ऐसा भारत और अफ्रीका में ही होता है, लेकिन इन देशों के लोग हमारी लड़कियों के बारे में नहीं सोचते। अपने विज्ञापन में सैनेटरी उत्पाद बनाने वाली कंपनी ने लोगों से कहा है कि अपने सैनेटरी पैड खुद बनाओ।
गरीब लड़कियों को मुफ्त पैड
ब्रिटेन की हे गर्ल्स कंपनी एक सामाजिक सरोकारों से जुड़ी संस्था है। कंपनी का दावा है कि वह एक पैकेट सेनेटरी पैड बेचने पर एक गरीब लड़की को पैड का एक पैकेट मुफ्त देती है। अब तक कंपनी 8,50,000 पैकेट बांट चुकी है। कंपनी चाहती है कि ब्रिटेन के सुपरमार्केट उसके उत्पाद बेचें ताकि इससे होने वाला मुनाफा गरीब लड़कियों की मदद में खर्च हो।