मामला बुंदेलखंड पैकेज में आर्थिक अनियमित्ताओ का
बुंदेलखंड की किस्मत को लूटने वालो के बचाव में मध्यप्रदेश सरकार
880Cr Irrigation Scam By MP GOVT. In Bundelkhand
विजीलेंस रिपोर्ट पर खामोशी कही बडी मछलियो को बचाने की कवायद तो नही !
Chatarpurम.प्र./1 दिसंबर 2017/धीरज चतुर्वेदी Dheeraj chaturvedi
मुख्यमंत्री विकास यात्रा कर रहे है। भाजपा ने हाल ही में उनके 12 साल सुशासन का जश्न मनाया है। हकीकत बुंदेलखंड पैकेज में लूट का मामला खोलता है। करोडो रूपये एक संगठित गिरोह की तरह लूट लिये गये। हाईकोर्ट के ओदश पर मुख्य सचिव ने तकनीकी परीक्षण विजीलेंस से कराया जिसमें घोटाले का सच सामने आ गया। अब मुख्य सचिव के पास ही घोटालो की फाईल दफन होकर रह गई है। जो सरकार की ईमानदारी नियत पर सवाल अंकित करती है। सवाल उठते है कि क्या बडी मछलियो को बचाने के लिये सरकारी खामोशी है।
बुंदेलखंड फिर स्वतंत्रता प्राप्ती के बाद से 22 वां सूखा झेल रहा है। पिछले साल औसत बारिश से कही अधिक बारिश हुई थी। इस बार मानसून ने ठेंगा दिखा दिया। बुदेलखंड के सूखे से निपटने के स्थाई हल के लिये वर्ष 2008-2009 में तत्कालीन केन्द्र की यूपीए सरकार ने बुंदेलखंड पैकेज के रूप में मध्यप्रदेश को 3700 करोड रूपये आंबटित किये थे। जिसमें 2000 करोड रूपये मध्यप्रदेश को जारी किये जा चुके है। सरकार भी विभिन्न योजनाओ में खर्च कर चुकी है। पैकेज की आमद तो बुंदेलखड के सूखे के स्थाई हल के लिये थी, पर अफसोसजनक कि इस राशि को संगठित गिरोह की तरह लूट लिया गया। जलसंरक्षण के कार्यो में तालाब, बांध, स्टापडेम बनाये गये जो कुछ तो कागजो में बन गये। जो धरातल पर बनाये गये वो पिछले साल की बारिश में भ्रष्टाचार की भेंट चढ फूट गये। जिनका पानी बह गया यानि बुदंेलखंड की किस्मत पर भ्रष्ट तंत्र गिरोह ने पानी फेर दिया। जिस विभाग को राशि मिली उसने बुदेलखंड की दुर्दशा को तो ताक पर रख दिया। पिछले वर्ष जिस बारिश का पानी पैकेज से निर्मित जल संरक्षण कार्यो में संरक्षित होता उनका भ्रष्टाचार उस पानी को निगल गया। हालात यह है कि करोडो रूपये खर्च होने के बाद भी बुंदेलखंड की सूखा किस्मत नही बदली लेकिन अधिकारियो, नेताओ, ठेकेदारो के संगठित गिरोह की तिजोरियां अवश्य लबालब हो गई। बुंदेलखंड पैकेज मंे भ्रष्टाचार को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता पवन घुवारा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। मान्नीय अदालत ने मुख्य सचिव से पूरे भ्रष्टाचार की जांच कराने हेतु आदेशित किया। मुख्य सचिव ने तकनीकी परीक्षण हेतु विजीलेंस टीम गठित करा जांच कराई। जलसंसाधन विभाग की 880 करोड की योजनाये भ्रष्टाचार में लिप्त पाई गई। जलसंरक्षण के कार्यो की असल जरूरत बुंदेलखंड को थी जो गिरोह के रूप में काम करते हुये हजम कर ली गई। आज अगर ईमानदारी बरती होती तो यही जलसंचय योजनाये पानी की पूर्ति करती दिखती। ग्रामीण यात्रिकी विभाग के 210 करोड की लागत से बनाये गये 350 स्टापडेम भी गिरोह की लूट का प्रमाण दिखे। इनका मुख्य उद्येश्य था कि स्टापडेम के माध्यम से बरसाती नदियो नालो में बहते पानी को रोक कर संजोया जाये। करोडो रूपये व्यय होने के बाद भी स्टापडेम के नाम पर बुंदेलखंड को बदनियती के सिवाय कुछ हासिल नही हुआ। बुंदेलखंड पैकेज में ग्रामीण अंचलो में पशुधन के आधार पर लोगो को सुद्ढ करने के लिये प्रावधान था। पशुपालन विभाग में तो 81 करोड रूपये की अधिकांश राशि अधिकारियो के खातो में जमा होकर पशुधन की उपलब्धता की कमर तोड गई। जांच में पाया गया कि जिस राशि को हितग्राहियो के खातो में जमा होना था वो राशि पश्ुाु चिकित्सा विभाग के अधिकारियो ने स्वयं के खातो में जमा कर दी। जो बकरिया, मुर्रा भैंस वितरित की गई उन्हे कागजो में ही बांट दिया गया। उद्यानिकी विभाग ने 66 करोड रूपये में किसानो का तो उद्धार नही किया पर अधिकारियो की उद्यानिकी अवश्य लहलहा गई। सबसे अधिक वन विभाग का भ्रष्टाचार विजीलेंस ने उजागर किया। वाटरशंड की आड में पूरी राशि ही हजम कर गये। अन्य विभाग की भी तकनीकी परीक्षक विजीलेंस की जांच में भ्रष्ट व्यवस्था का चेहरा सामने आया।
विजीलेंस की यह रिपोर्ट मुख्य सचिव के पास अग्रिम कार्यवाही हेतु लंबित है। सरकार भी चुप्पी साध कुछ करने के मूढ में नही दिख रही है। यह सच है कि अगर सरकार एक्शन मूढ में आती है तो छोटी से लेकर बडी मछलियां तक जेल सीखचो में होगी। आरोप लग रहे है कि इन्हे बचाने के लिये सरकार ने खामोशी का तरीका निकाल लिया है। प्रधानमंत्री के बयानो को भी झटका है जो भ्रष्टाचार को खत्म करने का दम भरते है। यहां तो उनकी भाजपा की सरकार ही भ्रष्टाचार की उजागर फाईल पर कुंडली मार बैठ गई है। खासकर उस गरीब सूखे बुंदेलखंड के मामले में जिसे पैकेज की राशि से पोषित होना था लेकिन पोषित इसके कर्णधार हो गये।