MARWARI DHARMSHALA DOING CHARITY AT RS 1 PER THALI .
EVERY DAY 250+PEOPLE EAT LUNCH AND DINNER. PRIORITY TO HOSPITAL RELATED FSMILY MEMBERS.
GOVT SCHEMES FAILED AGAINST THIS CHARITY .
PER HEAD THALI FOOD COST IS Rs12 APPROX.
Vidisha MP State। पांच रुपए में अम्मा थाली और दीनदयाल रसोई के बारे में तो आपने खूब सुना होगा। लेकिन विदिशा में सार्वजनिक सेवा समिति भी 35 साल से गरीबों को एक रुपए में भोजन करा रही है। इसकी शुरुआत आपातकाल काल के दौरान कुछ लोगों ने गरीब बस्तियों में फल बांटने से की थी। इसके बाद 21 सितंबर 1983 को मारवाड़ी धर्मशाला के एक कमरे बाकायदा एक भोजनालय की शुरूआत हुई।
यहां एक रूपए में मरीजों और गरीबों को भोजन कराने की व्यवस्था की गई। हालांकि बाद में यह व्यवस्था अस्पताल के रोगियों और उनके परिजनों के लिए ही सीमित कर दी गई और प्रशासन के सहयोग से समिति ने जिला अस्पताल परिसर में ही भोजनालय बनाया।
यहां पर पिछले 35 वर्षों से रोगियों और उनके सहायकों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। रविवार 3 सितंबर को इस व्यवस्था के 35 वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में प्रसिद्ध शेफ संजीव कपूर और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल होने जा रहे हैं।
रोज 250 लोग करते हैं भोजन, 10 से 12 रुपए थाली की लागत
समिति के संस्थापक अध्यक्ष रहे रामेश्वर दयाल बंसल बताते हैं कि भोजनालय में भोजन के अलावा रोगियों के लिए दलिया और खिचड़ी भी दी जाती है। समिति के सदस्य रोजाना सुबह-शाम जिला अस्पताल के वार्डों में आवाज लगाते हुए पर्चियां बांटते हैं। उनके मुताबिक हर रोज भोजनालय में सुबह और शाम 250 से 300 लोग भोजन करते हैं। एक थाली पर 10 से 12 रुपए का खर्च आता है।
आपातकाल के दौरान आया विचार
गरीबों को भोजन कराने का विचार आपातकाल के दौरान ही जन्मा था। संघ से जुड़े होने के कारण उस दौरान शाखाएं बंद हो चुकी थीं। समाजसेवा से जुड़े होने के चलते कुछ साथियों के साथ गरीब बस्तियों में जाकर हर रविवार को फल या मिठाई बांटते थे। इन्हीं बस्तियों में गरीबों की हालत देखकर सस्ता भोजन उपलब्ध कराने का विचार आया।
- मोहनबाबू अग्रवाल, भोजनालय शुरू करने वालों में से एक
लोगों का सहयोग
समिति के सचिव Dr GK Maheshwari संस्थापक अध्यक्ष रहे रामेश्वर दयाल बंसल Rameshwar Dayal Bansal बताते हैं कि लोग अपने प्रियजनों की स्मृति में गरीबों को भोजन कराने के लिए राशि दान करते हैं। इसके अलावा जन्मदिन पर भी लोग राशि दान करते हैं। आज की स्थिति में महीने में 25 दिन स्मृतियों के रूप में भोजन वितरित किया जाता है। शुरूआत के समय संस्था के पास महज 3 हजार रुपए की राशि थी, जो आज बढ़कर करीब 35 लाख रुपए हो गई है।