Private Hospitals At Madhya Pradesh
Caesarean Child birth case Rising To Earn Money
WOMEN COMMISSION GAVE WARNING
मुरैना। जिले में बच्चे के ओवरवेट होने, गले में नाल फंसने या अन्य वजह बताकर महिलाओं का प्रसव सिजेरियन ऑपरेशन से करने वाले नर्सिंगहोमों के लिए आगामी दिनों में संकट खड़ा होने वाला है। वे अपने यहां सालभर में होने वाले कुल प्रसवों की संख्या में से 25 फीसदी से अधिक मरीजों का ऑपरेशन नहीं कर पाएंगे।
ऐसा इसलिए होने जा रहा है क्योंकि राज्य महिला आयोग ने इस तरह के ऑपरेशनों पर चिंता व्यक्त करते हुए स्वास्थ्य विभाग को 3 जुलाई को निर्देश दिए हैं कि यदि इससे अधिक ऑपरेशन किसी नर्सिंगहोम में होते हैं तो उनके लाइसेंस को निरस्त किया जाए।
उल्लेखनीय है कि हर नर्सिंगहोम में सिजेरियन ऑपरेशन की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। यानी साल में यदि उनके यहां 100 प्रसव होते हैं तो इनमें से आधे प्रसव सिजेरियन ऑपरेशन से हो रहे हैं।
पिछले दिनों राज्य महिला आयोग की बैठक में इस बात पर चिंता व्यक्त की गई, क्योंकि अधिकतर नर्सिंगहोम संचालक किसी न किसी वजह का डर दिखाकर प्रसूताओं का सिजेरियन ऑपरेशन कर देते हैं।
यह हालत है जिले की
जिला के सरकारी अस्पतालों खासतौर से जिला अस्पताल में ही सिजेरियन ऑपरेशन की सुविधा है, लेकिन जिला अस्पताल में कुल प्रसव की तुलना में सिजेरियन ऑपरेशन की संख्या महज 1 से 2 फीसदी ही रहती है। 98 फीसदी प्रसव सामान्य हो जाते हैं।
जिले के 21 नर्सिंगहोम में से करीब 15 नर्सिंगहोम में मेटरनिटी की सुविधा है। यहां आने वाली प्रसूता महिलाओं में से करीब 50 फीसदी महिलाओं का प्रसव सिजेरियन ऑपरेशन से किया जाता है।
यह डर दिखाते हैं नर्सिंगहोम संचालक
अधिकतर नर्सिंगहोम संचालक प्रसूता महिलाओं व उनके परिजनों को पांच-छह तरह का डर दिखाते हैं। बच्चे का वजन अधिक है। इसलिए सामान्य प्रसव नहीं होगा। बच्चा उल्टा है, इसलिए सामान्य डिलेवरी नहीं हो पाएगी। प्लेसेंटा(नाल) बच्चे के गले में लिपटी हुई है। इसलिए सामान्य प्रसव नहीं हो पाएगा।
इन सभी डरों को बताने के बाद डॉक्टर कहते हैं कि इसमें जच्चा व बच्चा की मौत हो सकती है। इसलिए ऑपरेशन करा लो। चूंकि डॉक्टर ऐसे समय पर यह डर प्रसूता महिलाओं व परिजनों को बताते हैं जब वे कुछ सोचने की स्थिति में नहीं होते।
मॉनीटरिंग के आदेश पर भी नहीं हुई कार्रवाई
शासन ने करीब दो महीने पहले जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि उन नर्सिंगहोम की मॉनीटरिंग की जाए जहां पर सिजेरियन ऑपरेशन अधिक होते हैं। साथ ही पता लगाएं कि सिजेरियन अधिक क्यों हो रहे हैं। इसके बाद कार्रवाई करें। लेकिन आदेश आने के बाद भी नर्सिंगहोम की निगरानी नहीं की।
ऐसे में अब आगामी समय में कुल प्रसव के 25 फीसदी से अधिक सिजेरियन ऑपरेशन करने वाले नर्सिंगहोम पर कार्रवाई होने पर संदेह है। क्योंकि जिले का स्वास्थ्य विभाग सामान्य रूप से भी नर्सिंगहोम की जांच नहीं करता, जिससे पता चले कि नर्सिंगहोम क्लीनिकल स्टेब्लसमेंट एक्ट के तहत संचालित हैं या नहीं।
यह अनुशंसा की है आयोग ने
- महिला आयोग ने अनुशंसा की है कि हर नर्सिंगहोम पर सिजेरियन ऑपरेशन को देखते हुए मॉनीटरिंग की जाए।
- उनके यहां साल भर में कितने प्रसव हो रहे हैं। इनमें सामान्य कितने हो रहे हैं और सिजेरियन ऑपरेशन से प्रसव कितने हो रहे हैं, की रिपोर्ट ली जाए।
- यदि नर्सिंगहोम में कुल प्रसवों में से 25 फीसदी से अधिक डिलेवरी सिजेरियन से हो रही हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। जिसमें नर्सिंगहोम का लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई प्रमुख है।
फैक्ट फाइल
- 22 नर्सिंगहोम हैं जिलेभर में रजिस्टर्ड।
- 15 के करीब नर्सिंगहोम में है मेटरनिटी वार्ड व होते हैं प्रसव।
- 300 से ज्यादा प्रसव कराता है हर नर्सिंगहोम।
- 150 के करीब महिलाओं के सिजेरियन ऑपरेशन कराता है नर्सिंग होम
अभी नहीं आया आदेश
नर्सिंगहोम की मॉनीटरिंग के निर्देश आए हैं, जिनमें सिजेरियन ऑपरेशन अधिक होते हैं। हालांकि महिला आयोग ने जो निर्देश दिए हैं, उनसे संबंधित आदेश अभी तक नहीं आया है। हो सकता है आदेश आ रहे हों। - डॉ. पीके मिश्रा, सीएमएचओ, मुरैना