न्याय को बाधित कर रहे हाईकोर्ट के बाबू और रीडर
दशकों से जमे हुए एक ही कोर्ट में रीडर और बाबू
रीडरों और बाबूओं के अन्र्ततबादला करने की मांग
Few court staffs involve in delaying or early hearing of cases. Any person can get effect board chart by paying Rs5-10k. Board making staff are never transfered at other benches of BHC.Even important petitions are cloned by few staff illegally causing risk to petitioners. Many legal Firms taking higher fees & pay bribe to get early or delayed date. Judges are unaware of this corruption.
Lack of transfer policy making few people more corrupt. Many are honest but getting less importance .
जज परेशान और जनता हैरान!
मुम्बई:- हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की कमी को लेकर समस्या बनी हुई है। देश के चीफ जस्टिस वर्तमान सरकार पर जजों की नियुक्ति को लेकर सवाल खडे कर रहे हैं। वहीं न्याय प्रणाली में अपना विशेष स्थान बनाते इन पर्सन का ख्याल कुछ और है, उनके अनुसार न्याय में हो रही देरी का प्रमुख कारण विशेष रूप से मुम्बई हाई कोर्ट में जजों के अलावा अन्य स्टाफ कई दशकों से जमे हुए हैं। न्यायाधीशों के अलावा अन्य कर्मचारी जिन पर न्याय देने की जिम्मेदारी रहती है, उनके द्वारा लगातार गंभीर अनियमितताऐं बरती जा रही है। कई-कई दशकों से जमे हुए रीडर,बाबू, पेशकार आदि न्याय की प्रक्रिया को बाधित कर रहे हैं। ये अन्य कर्मचारी मनमाने तरीके से अपने विशेष अधिवक्ता के साथ अन्य प्रतिवादी पक्ष की जानकारी बडी आसानी से उपलब्ध करा देते हैं। जिसके कारण गरीब और निर्बल पक्षकारों को न्याय मिलना नामुमकिन जैसा हो गया है। आरटीआई एक्टिविस्ट और इन पर्सन सपन श्रीवास्तव ने बताया कि किस प्रकार मुम्बई हाईकोर्ट की चारों बेंचों में यह कार्य बडी आसानी से किया जा रहा है। गौरतलब है कि मुम्बई हाईकोर्ट में औरंगाबाद बेंच, गोवा बेंच सहित अन्य चारों बेंचों में न्याय की धज्जियां कोर्ट में जमे हुए अन्य कर्मचारियों के द्वारा की जा रही है। इन पर्सन यह भी मांग कर रहे हैं, कम से कम इन्हीं चारों बेंचों में ही बाबूओं, और रीडरों का तबादला कर दिया जाये तो कुछ हद तक इस समस्या का समाधान हो सकता है। सवाल यह नहीं है कि कितने जज हैं, बल्कि उनकी नीयत कैसी है। यदि ये ही तमाम जज न्याय देने की कोशिश पूरे दिल से करेंगे तो इन्हीं जजों के द्वारा ही गरीब तबके को आसानी से न्याय उपलब्ध हो जायेगा।
दशकों से जमे हुए एक ही कोर्ट में रीडर और बाबू
रीडरों और बाबूओं के अन्र्ततबादला करने की मांग
Few court staffs involve in delaying or early hearing of cases. Any person can get effect board chart by paying Rs5-10k. Board making staff are never transfered at other benches of BHC.Even important petitions are cloned by few staff illegally causing risk to petitioners. Many legal Firms taking higher fees & pay bribe to get early or delayed date. Judges are unaware of this corruption.
Lack of transfer policy making few people more corrupt. Many are honest but getting less importance .
जज परेशान और जनता हैरान!
मुम्बई:- हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की कमी को लेकर समस्या बनी हुई है। देश के चीफ जस्टिस वर्तमान सरकार पर जजों की नियुक्ति को लेकर सवाल खडे कर रहे हैं। वहीं न्याय प्रणाली में अपना विशेष स्थान बनाते इन पर्सन का ख्याल कुछ और है, उनके अनुसार न्याय में हो रही देरी का प्रमुख कारण विशेष रूप से मुम्बई हाई कोर्ट में जजों के अलावा अन्य स्टाफ कई दशकों से जमे हुए हैं। न्यायाधीशों के अलावा अन्य कर्मचारी जिन पर न्याय देने की जिम्मेदारी रहती है, उनके द्वारा लगातार गंभीर अनियमितताऐं बरती जा रही है। कई-कई दशकों से जमे हुए रीडर,बाबू, पेशकार आदि न्याय की प्रक्रिया को बाधित कर रहे हैं। ये अन्य कर्मचारी मनमाने तरीके से अपने विशेष अधिवक्ता के साथ अन्य प्रतिवादी पक्ष की जानकारी बडी आसानी से उपलब्ध करा देते हैं। जिसके कारण गरीब और निर्बल पक्षकारों को न्याय मिलना नामुमकिन जैसा हो गया है। आरटीआई एक्टिविस्ट और इन पर्सन सपन श्रीवास्तव ने बताया कि किस प्रकार मुम्बई हाईकोर्ट की चारों बेंचों में यह कार्य बडी आसानी से किया जा रहा है। गौरतलब है कि मुम्बई हाईकोर्ट में औरंगाबाद बेंच, गोवा बेंच सहित अन्य चारों बेंचों में न्याय की धज्जियां कोर्ट में जमे हुए अन्य कर्मचारियों के द्वारा की जा रही है। इन पर्सन यह भी मांग कर रहे हैं, कम से कम इन्हीं चारों बेंचों में ही बाबूओं, और रीडरों का तबादला कर दिया जाये तो कुछ हद तक इस समस्या का समाधान हो सकता है। सवाल यह नहीं है कि कितने जज हैं, बल्कि उनकी नीयत कैसी है। यदि ये ही तमाम जज न्याय देने की कोशिश पूरे दिल से करेंगे तो इन्हीं जजों के द्वारा ही गरीब तबके को आसानी से न्याय उपलब्ध हो जायेगा।