Monthly Medicine Cost Rs 20000 For Patients.
Failure Of Govt Hospital Helping Private Hospitals To Loot Patients....
Delhi:हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली-एनसीआर में कई सरकारी अस्पतालों ने लाइसेंस लिया है, लेकिन सिर्फ एम्स और आर्मी हॉस्पिटल में ही हार्ट ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। सफदरजंग, आरएमएल और जीबी पंत को भी हार्ट ट्रांसप्लांट का लाइसेंस मिल चुका है, लेकिन कई साल बाद भी इन अस्पतालों में एक भी हार्ट ट्रांसप्लांट नहीं किया गया है। प्राइवेट अस्पतालों में हार्ट ट्रांसप्लांट बढ़ रहा है और मरीजों को पैसे के रूप में खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
एम्स के ट्रांसप्लांट सर्जन और एक्सपर्ट डॉक्टर बलराम आयरन ने कहा, 'यह चिंता की बात है। बहुत कोशिश करने के बाद भी ट्रांसप्लांट शुरू नहीं हो पा रहा है। कुछ अस्पतालों ने लाइसेंस लिया है, लेकिन ट्रांसप्लांट की कोशिश नहीं कर रहे हैं।' डॉक्टर आयरन का कहना है कि हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए पूरी टीम की जरूरत होती है। एम्स में लगभग एक टीम है, जिसमें हर किसी की भूमिका होती है। शरीर से हार्ट निकालने के बाद छह घंटे के अंदर सर्जरी जरूरी होती है। इसमें एक-एक मिनट महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सारे अस्पतालों को कहा गया है कि जो भी मदद होगी दी जाएगी, लेकिन वे इसके लिए तैयार नहीं हो पा रहे हैं।
फ्री दवा के लिए एम्स का प्रयास
डॉक्टर आयरन ने कहा कि हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद इम्यूनो सप्रेशन की दवा चलती है। यह दवा पूरी जिंदगी चलती है, जिस पर एक मरीज का एक महीने का खर्च 20 हजार है। इसका खर्च एम्स उठाता है, लेकिन अगर मरीजों की संख्या बढ़ेगी तो दिक्कत होगी। एम्स डायरेक्टर से इस मामले में बात की गई है। कोशिश है कि जनरल वॉर्ड के मरीजों के लिए दवा का खर्च पीएम फंड, हेल्थ मिनिस्टर के फंड और दिल्ली सरकार की मदद से पूरा किया जाए।
5 बार महिला ने ट्रांसप्लांट से मना किया
आयरन ने कहा कि को-ऑर्डिनेशन बहुत ही मुश्किल काम है। कई बार मरीज का ब्लड ग्रुप नहीं मिलता है तो कई बार वे तैयार नहीं होते। श्रीनगर की एक महिला एम्स में रजिस्टर्ड थीं। उन्होंने पांच बार ट्रांसप्लांट से मना किया। वह कभी कहती थीं कि अभी पहले से बेहतर हूं। कुछ दिन पहले ही उनकी मौत हो गई। कई ऐसे लोग होते हैं, जो ट्रांसप्लांट से बचते हैं। पिछले दिनों एक मरीज को एडमिट किया गया था, लेकिन उनके बेटे ने कहा कि कुछ दिन बाद दिवाली है उसके बाद कराएंगे। कैडेवर डोनेशन से हार्ट मिलना और मरीज या उनके परिजनों का इस तरह बर्ताव मुश्किल खड़ी करता है।
No heart transplant at goverment hospitals.
A heart transplant is surgery to remove the diseased heart from a person and replace it with a healthy one from an organ donor. To remove the heart from the donor, two or more healthcare providers must declare the donor brain-dead.