नये नोट में चिप लगने की उड़ी थी अफवाह, लेकिन आरबीआई ने क्लियर किया कि नोट में ऐसा कुछ भी नहीं है...
RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) ने ट्विटर पर ऑफिशियली 2000 रुपए के नए नोट की जानकारी शेयर की थी। उसने 17 प्वाइंट्स में नोट के सभी हिस्सों और उसमें छिपी डिटेल के बारे में बताया था। इसमें कहीं भी NGC यानी नैनो जीपीएस चिप का जिक्र नहीं है। इतना ही नहीं, RBI की प्रेस रिलीज में इस बात का कोई जिक्र नहीं है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि नोट में चिप लगे होने की खबर पूरी तरह गलत है।
ऐसे काम करती NGC :
500 और 2000 रुपए के नए नोट में नैनो GPS चिप (NGC) लगी होगी, इसे आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। इस खास तरह की चिप में पावर सोर्स की जरूरत नहीं होती। यह सिग्नल रिफ्लेक्टर की तरह काम करता और सैटेलाइट से सिग्नल छोड़ने पर NGC से रिफ्लेक्ट होता। इससे नोट की लोकेशन का पता चल जाएगा।
पता चल जाएगी नोट की लोकेशन :
नोट में GPS होने से सैटेलाइट सिग्नल से पता चलेगा कि किसी खास लोकेशन में कितने नोट हैं। जांच एजेंसियों को भी इसके बारे में पता रहता। इतना ही नहीं, ये इतनी पावरफुल होती कि 100 मीटर गहरे गड्ढे में भी सिग्नल मिल जाते। सबसे बड़ी बात किसी नोट से GPS चिप को निकाला नहीं जा सकता।
GPS से मिलती नोट की डिटेल :
नोट में लगे नैनो GPS चिप की मदद से ना सिर्फ उसकी लोकेशन का पता लगाया जा सकता, बल्कि जांच एजेंसियां मॉनिटर सिस्टम पर नोट का सीरियल नंबर और अन्य जानकारी भी पता कर पातीं। इसकी ट्रैकिंग सिस्टम हमेशा ऑन रहेगा, जिससे यदि नोट किसी एक जगह पर लंबे समय तक रहते तो उसकी जानकारी इनकम टैक्स को दी जा सकती है।
नहीं बन पाते GPS चिप वाले नोट :
पुराने नोट की तुलना में GPS चिप वाले 1000 और 500 रुपए के नोट बनाना आसान नहीं होता। GPS चिप को यूजर आसानी से डेवलप नहीं कर सकता। यानी नकली नोट बनना पूरी तरह बंद हो जाता।
यहां होता है GPS का यूज :
GPS डिवाइस उपग्रह से प्राप्त सिग्नल द्वारा उस जगह को मैप में दिखाती रहती हैं। GPS का यूज ट्रेन, जहाजों की पॉजिशन, जमीन का सर्वेक्षण करने, वाणिज्यिक कार्य, वैज्ञानिक प्रयोग और सेना में लंबे समय से किया जा रहा है।
http://m.bhaskar.com/news/UP-GOR-500-and-1000-note-exchange-starts-at-gorakhpur-news-hindi-5457322-PHO.html?seq=0&ref=hf