सेना पर भारी अतिक्रमणकारी, प्रदेश में 1500 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा
Army Failed To Save Own Land At Madhya Pradesh, Defence Land Under Private Occupation Illegally
Bhopal;जिस भारतीय सेना के शौर्य के आगे पूरी दुनिया थर्राती है, उस सेना पर मध्यप्रदेश में अतिक्रमणकारी भारी पड़ रहे हैं। अतिक्रमणकारियों ने सेना की 1500 एकड़ से ज्यादा जमीन दबा रखी है। आलम यह है कि अब अपनी जमीन बचाने के लिए सेना को गश्त तक लगानी पड़ रही है।
दरअसल यहां सेना की मजबूरी यह है कि वो अपनी जमीन से सीधे कब्जा नहीं हटा सकती बल्कि उसे इसके लिए दूसरी सरकारी एजेंसियों पर निर्भर रहना पड़ता है। अतिक्रमण इसलिए भी नहीं हट पा रहे हैं क्योंकि ज्यादातर मामलों में लोग कोर्ट में चले गए हैं।
पिछले तीन सालों में मध्यप्रदेश सरकार भी सेना की महज 21 एकड़ जमीन ही खाली करवा पाई। देश में सबसे ज्यादा 2900 एकड़ जमीन उत्तरप्रदेश में अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है, इसके बाद मध्यप्रदेश का नंबर आता है। यहां सेना की जद्दोजहद के बाद भी 1515 एकड़ जमीन से अवैध कब्जा नहीं हट पाया है।
तीन साल में 209 नए अतिक्रमण
रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि मप्र में साल 2012 से लेकर 2015 तक सेना की करीब 20 एकड़ जमीन पर 209 अनधिकृत निर्माण हुए हैं जबकि इसी दौरान सेना की पुरानी कब्जे वाली 21 एकड़ जमीन से 577 अतिक्रमण हटाए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट भी लगा चुका है फटकार
पचमढ़ी कैंटोनमेंट बोर्ड की जमीन पर अतिक्रमण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए अतिक्रमणकारियों को कैंटोनमेंट बोर्ड में मतदान का अधिकार न देने का फैसला सुनाया था। जस्टिस अनिल आर. दवे और एनएन राव ने अतिक्रमण को रोकने को लेकर सख्त कदम उठाने के निर्देश भी दिए थे। इधर सेना की जमीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए घरों को तोड़ने को लेकर एक याचिका भी हाई कोर्ट में लंबित है।
कैंटोनमेंट बोर्ड की जमीन है
अतिक्रमण की गई जमीन कैंटोनमेंट बोर्ड की है। जो भविष्य में सेना की जरूरत को ध्यान में रखकर दी जाती है। रक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों की मानें तो सेना अपनी जमीन आवश्यकता होने पर लीज पर भी देती है। कई जमीन लीज पर हैं भी लेकिन ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो लीज पूरी होने के बाद भी हटने को तैयार नहीं है।
कहां कितनी जमीन पर कब्जा
भोपाल -1100 एकड़
जबलपुर- 165 एकड़
महू - 07 एकड़
पचमढ़ी- 11.40 एकड़