पैरामिलिट्री फोर्सेस के पास बुलेट्स की कमी, ऑपरेशन्स में आ रही है दिक्कत
New delhi: देश की पैरामिलिट्री फोर्सेस गोलियों की कमी से जूझ रही हैं। इनके पास न सिर्फ फायरिंग प्रैक्टिस बल्कि कॉम्बैट ऑपरेशन के लिए भी 9एमएम बुलेट्स की भारी कमी है। अगले साल इसके 75 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। फिलहाल, पैरामिलिट्री और राज्यों की पुलिस को करीब 9.3 करोड़ बुलेट की जरूरत है, जबकि ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) ने सिर्फ 2.3 करोड़ बुलेट देने पर ही रजामंदी दी है। दबाब बनाने पर मिलीं बुलेट्स...
- होम मिनिस्ट्री से जुड़े एक अफसर ने बताया, ''काफी दबाव बनाए जाने पर भी मौजूदा सप्लाई पर सहमति बन पाई है। OFB ने पहले सिर्फ 75 लाख बुलेट ही देने की बात कही थी।''
- सूत्रों की मानें तो पुलिस फोर्स में बढ़ोतरी की वजह से ये परेशानी आई है। OFB तय मात्रा में ही बुलेट बनाता है और इसे सबसे पहले आर्म्ड फोर्सेस को मुहैया कराया जाता है।
- बता दें कि 9एमएम बुलेट सर्विस रिवॉल्वर, कार्बाइन के अलावा प्रैक्टिस के लिए भी इस्तेमाल में लाई जाती हैं. NSG कमांडो सबसे ज्यादा इनका इस्तेमाल करते हैं।
- बता दें कि 9एमएम बुलेट सर्विस रिवॉल्वर, कार्बाइन के अलावा प्रैक्टिस के लिए भी इस्तेमाल में लाई जाती हैं. NSG कमांडो सबसे ज्यादा इनका इस्तेमाल करते हैं।
विदेशी राइफल खरीदना चाहती है आर्मी
- उधर, भारत में बनी एक्सकैलिबर excaliber rifles राइफल को रिजेक्ट करने के बाद आर्मी न्यू जेनरेशन असॉल्ट assault rifles राइफल खरीदना चाहती है।
- इसके लिए जल्द ही टेंडर जारी किए जा सकते हैं। बता दें कि अप्रैल में आर्मी कमांडर कॉन्फ्रेंस में नई 7.62 एमएम राइफल की जरूरत पर मीटिंग हुई थी।
- दरअसल, डीआरडीओ की एक्सकैलिबर आर्मी की जरूरतों पर खरा नहीं उतर पाईं। इसलिए उसे कोई दूसरा और बेहतर ऑप्शन चाहिए।
कितनी बढ़ जाएगी आर्मी की रेंज
- सूत्रों की मानें तो, जम्मू-कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट में ऑपरेशन्स के दौरान आर्मी को हाई रेंज वाली राइफल्स की जरूरत होती है।
- इसकी वजह ये है कि इन इलाकों में सुसाइड अटैक का खतरा ज्यादा रहता है। इससे निपटने के लिए आर्मी हाई पावर राइफल जवानों को देना चाहती है।
- फिलहाल, आर्मी रशियन असॉल्ट राइफल एके-47 का यूज कर रही है।
- एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 7.62 एमएम वाली विदेशी गन के मिलने पर आर्मी जवान 500 मीटर तक के टारगेट हिट कर पाएंगे।
- एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 7.62 एमएम वाली विदेशी गन के मिलने पर आर्मी जवान 500 मीटर तक के टारगेट हिट कर पाएंगे।
एक्सकैलिबर क्यों नहीं?
- जून, 2015 में डीआरडीओ DRDO की एक्सकैलिबर राइफल का टेस्ट किया गया था।
- 2400 राउंड फायर करने पर एक्सकैलिबर में सिर्फ 2 बार ही बुलेट बैरल में फंसी। लेकिन आर्मी चाहती थी कि फायरिंग के दौरान एक स्टॉप से ज्यादा न हो।
- इसको रिजेक्ट करने के पीछे देरी होने की बात भी आर्मी ने कही थी। इस मुद्दे पर डीआरडीओ और आर्मी के बीच कुछ मनमुटाव भी हुआ था।
- आर्मी मानती है कि एक्सकैलिबर (5.56एमएम) की ताकत इंसास जैसी है। यानी ये छोटे ऑपरेशन्स के लिए ही ठीक या कारगर है।
- पैरामिलिट्री फोर्सेस इंसास ही इस्तेमाल करती हैं।
- एक्सकैलिबर के एडवांस वर्जन (AR-2) को AK-47 का ऑप्शन बताया गया। इसमें AK-47 की ही बुलेट्स इस्तेमाल की जा सकती हैं। यानी आर्मी को अलग से बुलेट्स नहीं खरीदनी पड़ती।
- इसको रिजेक्ट करने के पीछे देरी होने की बात भी आर्मी ने कही थी। इस मुद्दे पर डीआरडीओ और आर्मी के बीच कुछ मनमुटाव भी हुआ था।
- आर्मी मानती है कि एक्सकैलिबर (5.56एमएम) की ताकत इंसास जैसी है। यानी ये छोटे ऑपरेशन्स के लिए ही ठीक या कारगर है।
- पैरामिलिट्री फोर्सेस इंसास ही इस्तेमाल करती हैं।
- एक्सकैलिबर के एडवांस वर्जन (AR-2) को AK-47 का ऑप्शन बताया गया। इसमें AK-47 की ही बुलेट्स इस्तेमाल की जा सकती हैं। यानी आर्मी को अलग से बुलेट्स नहीं खरीदनी पड़ती।
और ये खास क्यों?
- एक्सकैलिबर फुली ऑटोमैटिक है। इसमें साइड फोल्डिंग बट लगाई गई है, जिसमें सेंसर लगे हैं।
- बर्स्ट फायरिंग में पूरी मैगजीन फायर की जा सकती है, जबकि इंसास में सिर्फ 3 राउंड फायर होते हैं।
- इंसास के मुकाबले छोटी, इंसास से 4 एमएम छोटी होगी एक्सकैलिबर की बैरल।
- नई राइफल में कई तरह के सेंसर्स और निशाना साधने वाली डिवाइसेज अलग से लग सकेंगी।
- पहले ट्रायल के बाद इसमें छोटा हैंडगार्ड और पॉलीकार्बोनेट मैगजीन लगाई गई थीं।
- इंसास के मुकाबले छोटी, इंसास से 4 एमएम छोटी होगी एक्सकैलिबर की बैरल।
- नई राइफल में कई तरह के सेंसर्स और निशाना साधने वाली डिवाइसेज अलग से लग सकेंगी।
- पहले ट्रायल के बाद इसमें छोटा हैंडगार्ड और पॉलीकार्बोनेट मैगजीन लगाई गई थीं।
इंसास में क्या कमियां
- आर्म्ड फोेर्सेस की मानें तो इंसास में फायरिंग के दौरान गोलियां फंसने और मैगजीन टूटने जैसी परेशानियां होती हैं।
- प्लास्टिक मैगजीन के क्रैक से बचने के लिए एक्सकैलिबर की मैगजीन पॉलीकार्बोनेट से बनाई गई है।
- इंसास में आ रही इन्हीं परेशानियों को लेकर सीआरपीएफ भी होम मिनिस्ट्री को लेटर लिख चुका है।
- सीआरपीएफ ने इंसास को रशियन मेड AK-47 या इजरायल मेड X-95 से रिप्लेस करने की मांग की थी।
- इंसास में आ रही इन्हीं परेशानियों को लेकर सीआरपीएफ भी होम मिनिस्ट्री को लेटर लिख चुका है।
- सीआरपीएफ ने इंसास को रशियन मेड AK-47 या इजरायल मेड X-95 से रिप्लेस करने की मांग की थी।