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MP: Poor Medical Facility In Every District, Collector Mother Died Due To Failure Of Ambulance

Health Minister Village Ambulance In Comma,Damoh Collector Mother Died 

भोपाल/ग्वालियर. दमोह Damoh Collector Dr Shriniwas Sharma की मां शांतिदेवी शर्मा ने समय पर लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण दम तोड़ दिया। यह घटना प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में बदहाल एंबुलेंस सुविधा की सच्चाई उजागर करती है। लगता है एंबुलेंस खुद आईसीयू में है और उसे इलाज की जरूरत है।
 
दैनिक भास्कर ने पड़ताल की तो पता चला कि प्रदेश के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में या तो एंबुलेंस नहीं हैं और जहां हैं वहां उनकी हालत खस्ता है। इनमें वेंटीलेटर तो दूर की बात, ऑक्सीजन सिलेंडर और ड्रिप स्टैंड तक की सुविधा नहीं है।
 
Datia दतिया :  स्वास्थ्य मंत्री का जिला

स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा के गृह जिले दतिया में सिविल अस्पताल सेंवढ़ा, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इंदरगढ़ व भांडेर के पास वर्षों पुरानी एंबुलेंस हैं। एक में भी वेंटीलेटर की सुविधा नहीं है।  जिला अस्पताल में दो एंबुलेंस हैं। इनमें से एक चालू है, दूसरी कंडम है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बसई सहित सभी 11 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एंबुलेंस नहीं हैं। 
 
Vidisha विदिशा : पांच साल से खराब है एंबुलेंस, प्रसूता की मौत  

सिरोंज अस्पताल में दो सरकारी एंबुलेंस हैं। एक पिछले पांच साल तो दूसरी पांच महीने से खराब। गंभीर मरीजों को 108 एंबुलेंस और गर्भवती महिलाओं को जननी एक्सप्रेस से विदिशा व भोपाल रेफर करना पड़ता है। बीएमओ डॉ. विजयलक्ष्मी का कहना है कि नई एंबुलेंस के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। 

Hoshangabad होशंगाबाद : अस्पताल 16, एंबुलेंस एक भी नहीं

होशंगाबाद जिले के 16 सरकारी अस्पतालों में एक भी एंबुलेंस नहीं है। मरीज को प्राइवेट एंबुलेंस का सहारा है। 30 मार्च को पलिया पिपलिया की प्रसूता संगीता कहार का बनखेड़ी अस्पताल में प्रसव हुआ। वहां से रेफर किया। रास्ते में ही मौत हो गई। 

Dewas देवास :  ड्राइवर को वेतन चालू 

देवास जिले के चार ब्लॉक कन्नौद, खातेगांव, बागली और टोंकखुर्द में एंबुलेंस खराब खड़ी हैं। उनका उपयोग मरीजों के लिए नहीं हो पा रहा है। मजे की बात यह है कि सोनकच्छ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पांच साल से एंबुलेंस पूरी तरह खराब है, इसके बावजूद इसके ड्राइवर को हर माह वेतन दिया जा रहा है। कन्नौद के बीएमओ राजेंद्र गुजराती ने बताया कि नई एंबुलेंस के लिए विभाग को पत्र लिखा है।

Raisen रायसेन  : 15 साल पुरानी 7 एंबुलेंस

15 साल पुरानी 7 एंबुलेंस हैं। जिला मुख्यालय में तीन में से एक एंबुलेंस खटारा हालत में अस्पताल परिसर में खड़ी है। सीएमएचओ डॉ. शशि ठाकुर कहती हैं कि एंबुलेंस के लिए राशि देने की मांग की गई है। 
 
Khandwa खंडवा  :  तीन में से दो खटारा  

जिला अस्पताल में 3 एंबुलेंस हैं। दो खटारा हो चुकी हैं। एक डॉक्टरों के लिए तो दूसरी वीआईपी के लिए रिजर्व रहती है। इनमें लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम, वेंटीलेटर,  डिलीवरी किट जैसी महत्वपूर्ण सविधा नहीं है। 

Mandsaur मंदसौर :   दोनों एंबुलेंस कंडम

मंदसौर जिले में सिर्फ दो सरकारी एंबुलेंस हैं, दोनों ही कंडम। गंभीर मरीज उदयपुर, अहमदाबाद या इंदौर रैफर किए जाते हैं। वेंटीलेटर वाली एंबुलेंस चाहिए तो इंदौर अथवा उदयपुर से बुलवाना पड़ती है। मलहारगढ़ में सात साल पुरानी एंबुलेंस है, जिसके ज्यादातर उपकरण खराब हैं। धुंधड़काम को 2008 में एंबुलेंस मिली, तब से इस्तेमाल ही नहीं हुई। 

Burahanpur बुरहानपुर :  छह में से चार बंद

जिले में 6 एंबुलेंस हैं, जिनमें से 4 बंद। दो में ऑक्सीजन सिलेंडर के अलावा कोई सुविधा नहीं है। ये 19 साल पुरानी हैं। नेपानगर और खकनार स्वास्थ्य केंद्र में एंबुलेंस ही नहीं हैं।         

सीधी बात : स्वास्थ्य मंत्री डाॅ.नरोत्तम मिश्रा 
एंबुलेंस ऑपरेटिंग एजेंसी को बदलेंगे

- प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की एंबुलेंस का कभी सर्वे हुआ है?  
- प्रदेश में एंबुलेंस का संचालन का काम जीवीके ईएमआरआई 108 को सौंपा हुआ है।  

- सरकारी अस्पतालों की एंबुलेंस में सभी जरुरी इंतजाम रहते हैं?  
- एंबुलेंस 108 में इलाज की सभी व्यवस्थाएं हैं।  
 
- अधिकांश एंबुलेंस मरीजों की बजाय सिर्फ डॉक्टरों की सेवा में हैं?  
- जी नहीं । एंबुलेंस लेने के लिए मरीज और उसके परिजन को 108 नंबर पर फोन करना होता है। 
 
- एंबुलेंस में मरीज के लिए लाइफ सपोर्ट सिस्टम भी नहीं रहते?  
- मरीज को प्राथमिक इलाज देने की सभी व्यवस्थाएं एंबुलेंस में हैं।  

- स्वास्थ्य विभाग सरकारी एंबुलेंस की फिटनेस की जांच करवाएगा?  
- नहीं। प्रदेश की एंबुलेंस ऑपरेटिंग एजेंसी को ही बदला जा रहा है। 
 
- दमोह कलेक्टर डॉ. श्रीनिवास शर्मा को ही मां को इलाज के लिए वक्त पर एंबुलेंस नहीं मिली।
- कलेक्टर शर्मा जिस तरह की एंबुलेंस चाहते थे, वह नहीं थी, लेकिन एक अन्य एंबुलेंस थी।

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