इतना खतरनाक है मांस, चीन ने लिए बड़ा फैसला
पेइचिंग
चीन लक्ष्य हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकता है। चीनी सरकार देश में मांस की खपत को 50 पर्सेंट कम करने की योजना तैयार कर रही है। इसके लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। चीनी नागरिकों के बीच मांस की जितनी खपत है उसमें 50 पर्सेंट की कटौती की जाएगी। चीन के इस कदम को ग्लोबल वॉर्मिंग की चुनौतियों से निपटने के उपायों को तौर पर देखा जा रहा है। ग्लोबल वॉर्मिंग में चीन को भी ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य मिला है।देश की 1.3 अरब आबादी के लिए चीन की हेल्थ मिनिस्ट्री ने नए आहार दिशा निर्देशों को तैयार किया है। इन दिशा-निर्देशों के मुताबिक एक चीनी नागरिक प्रतिदिन 40 से 50 ग्राम ही मांस खा सकता है। हर 10 साल पर इन नियमों को जारी किया जाएगा। कहा जा रहा है कि ये नियम हेल्थ को दुरुस्त करने के लिए है लेकिन इसका असर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर भी व्यापक पड़ेगा।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस लक्ष्य को कामयाब बनाने के लिए असामान्य रूप से हॉलिवुड सिलेब्रिटीज अरनॉल्ड स्वर्जनेगर और डायरेक्टर जेम्स कैमरन की मदद ली है। ये दोनों सिलेब्रिटीज चीन में लोगों से जानवरों के मांस कम खाने को लेकर अपील करेंगे। चीन इनकी मदद से विज्ञापनों के जरिए मुहिम चलाने जा रहा है। ये सिलेब्रिटीज बताएंगे कि मांस कम खाने से पर्यावरण कितना संतुलित रह सकता है।
नए दिशा-निर्देशों की मदद से 2030 तक चीन पशु इंडस्ट्री के जरिए 1bn टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य हासिल कर लेगा। चीन ने 2030 तक 1.8bn कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम करने का लक्ष्य रखा है।
ग्लोबल वॉर्मिंग में गाय, मुर्गे-मुर्गियां, सूअर और अन्य जानवरों के पालन और इसके मांस के सेवन का 14.5% योगदान है। यह आंकड़ा संपूर्ण ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री के उत्सर्जन से ज्यादा है। पशुओं से मीथेन गैस का उत्सर्जन होता है और इसमें शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस होती है। फर्टिलाइजर के उपयोग से भी भारी मात्रा में कार्बन का उत्सर्जन होता है। चाइना नैशनल सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंज स्ट्रैटिजी ऐंड इंटरनैशनल कॉपरेशन के डायरेक्टर ली जुनफेंग ने कहा, 'इस तरह की लाइफ स्टाइल बदलनी चाहिए। हमें उम्मीद है कि मवेशी इंडस्ट्री को दुरुस्त कर कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।'उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए वैज्ञानिक निर्णय, राजनीतिक फैसले, उद्यमशीलता का समर्थन और अंततः लोगों को अपने स्तर पर कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि चीन में उपभोग करने की प्रवृत्ति को बदलने की जरूरत है। ली ने कहा कि हर व्यक्ति को सोचना होगा कि वह अपने स्तर पर कार्बन के उत्सर्जन को कम करे।
एक वक्त था जब चीनी नागरिकों में मांस का सेवन विरले होता था। अब यह नियमित भोजन बन गया है। 1982 में औसत एक चीनी नागरिक महज 13 किलो मांस पूरे साल में खाता था। ऐसा इसलिए था क्योंकि तब चीन में मांस की उपलब्धता नहीं थी।
चीन जब दुनिया में एक बड़ी आर्थिक ताकत के रूप में उभरा तो वहां की धनी आबादी के खान-पान में आक्रामक बदलाव आए। अब औसत एक एक चीनी पर्सन एक साल में 63 किलो मांस खाता है। नई गाइडलाइंस के मुताबिक अब एक चीनी नागरिक को साल में 14 से 27 किलो मांस ही मुहैया कराया जाएगा। दुनिया भर के कुल मांस की 28 पर्सेंट खपत केवल चीन में होती है। इसमें 50 पर्सेंट सूअर का मांस होता है। हालांकि प्रति व्यक्ति मांस की खपत के मामले में चीन से दर्जनों देश आगे हैं। चीन के मुकाबले औसत अमेरिकी और ऑस्ट्रेलियाई नागरिक दोगुने मांस का सेवन करते हैं।