पचास साल से थे 10 हजार वोटर, जांच हुई तो सिर्फ 1600 ही सही निकले
भोपाल. भेल उपभोक्ता सहकारी भंडार में एक साल पहले रुकी चुनाव प्रक्रिया फिर शुरू हुई है। संस्था में गड़बड़ी को लेकर हुई शिकायत और उसके बाद सदस्यता सूची में भी भारी गड़बड़ी का आरोप लगने के बाद चुनाव कराए जा रहे हैं। इसके लिए बनी पहली सूची में 9,998 सदस्य थे।
जांच हुई तो सामने आया कि सिर्फ 1603 सदस्यों के अलावा किसी के भी मूल अभिलेख उपलब्ध नहीं हैं। लिहाजा, 8395 सदस्यों के नाम काट दिए गए। दिलचस्प यह है कि, नाम कटने के विरोध में सिर्फ 325 सदस्यों ने आपत्ति दर्ज कराई। इनकी शिकायत का मंगलवार को निराकरण होना था, लेकिन वहां भी सिर्फ 8 सदस्य ही पहुंचे।
उपभोक्ता सहकारी भंडार भेल कारखाने की कैंटीन, गेस्ट हाउस और कस्तूरबा अस्पताल में खाद्य सामग्री, दवाई सप्लाई करता है। इस संस्था और गैस एजेंसी में गड़बड़़ी की शिकायत सदस्य डीके मिश्रा ने की थी। शिकायतकर्ता के अनुसार सदस्यता सूची को पिछले 50 साल में अपडेट नहीं किया गया। जो सदस्य अब भोपाल में नहीं हैं या निधन हो चुका हैं उनके नाम पर अभी भी वोट डल रहे हैं।
एक सदस्य हिम्मत सिंह का नाम निधन के बाद भी जुड़ा रहा, अभी हाल ही में उनके पुत्र ने नाम हटवाया। हालांकि निवृत्तमान संचालक मंडल के अनुसार यही मतदाता सूची 50 साल से यही चल रही है। 15 साल की ऑडिट रिपोर्ट में भी सदस्यता सूची पर सवाल कभी नहीं उठाए गए। शिकायतकर्ता के अनुसार वर्तमान प्रशासक ने आॅडिट रिपोर्ट में भी हेराफेरी की आशंका व्यक्त की है।
इसलिए हटाए सदस्यता सूची से नाम
भेल उपभोक्ता सहकारी भंडार के चुनाव एक साल पहले मई में होना थे, लेकिन मतदाता सूची, खरीदी और सप्लाई में हेराफेरी के आरोप लगने के बाद जांच हुई। अखिलेश चौहान सहायक आयुक्त सहकारिता ने स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने लिखा कि जिन लोगों को सदस्य बताया गया है, उनके मूल दस्तावेज ही नहीं है। सदस्यता सूची त्रुटिपूर्ण होने के कारण निर्वाचन की कार्यवाही स्थगित कर संस्था में प्रशासक की नियुक्ति कर दी गई है। इसके बाद से ही सूची में सुधार का काम चल रहा था।
बिना सदस्यता के 10 साल रहे संचालक मंडल में
सूची बनाते समय यह भी मामला आया कि निवृत्तमान संचालक मंडल में दो संचालक ऐसे थे, जिन्हें सदस्यता न होने के बाद भी लगातार 10 साल तक संचालक रखा गया। चुनाव अधिकारी अशोक शर्मा के अनुसार अभी सूची को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। इसमें वही नाम है, जिनके पास मूल दस्तावेज हैं।
उपभोक्ता भंडार का बिजनेस, जिस पर सभी की नजर
{ गैस एजेंसी: 14,400 उपभोक्ता, अभी 2000 दूसरी एजेंसी को शिफ्ट कर दिए
{ भेल कैंटीन को किराने की सप्लाई : हर महीने 50 से 60 लाख रुपए के सामान की सप्लाई, हाल ही में थ्रिफ्ट सोसायटी को दिया काम
{ भेल कारखाने में 666 श्रमिकों की सप्लाई, जिनसे कमीशन मिलता है
{ एक मेडिकल स्टोर कस्तूरबा अस्पताल में, जो भेल को भी दवा सप्लाई करता है।
सीधी बात
डीके मिश्रा, शिकायतकर्ता
पिछले 50 साल में शिकायत नहीं हुई, तो अब क्या जरूरत पड़ गई?
वर्ष 2012 में भेल कैंटीन, गेस्ट हाउस व कस्तूरबा अस्पताल में खराब क्वालिटी का सामान सप्लाई करने की शिकायत प्रबंधन से की। सुनवाई न होने के बाद वर्ष 2013, 2014 व 2015 में सहकारिता में शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर वर्ष 2015 में एक बार फिर सभी स्तर पर शिकायत की। तब संचालक मंडल की जगह प्रशासक नियुक्त हुआ और पूरे मामले की जांच हुई।
संचालक मंडल में से किसी ने या आमसभा में कभी इन शिकायतों को
क्यों नहीं उठाया ?
सभी संचालक मिले हुए थे और सदस्यों की आवाज सुनने की जगह स्वयं ही निर्णय लेते थे। इसलिए सही जगह शिकायत के लिए चुनी, जिससे भेल को हो रहे नुकसान को रोका जा सके।
Fraud voters caught in bhel cooperative society bhopal in investigation