बैंकों में झाड़ू वाले से लेकर मैनेजर तक मिले भ्रष्ट
नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में झाड़ू लगाने वालों से लेकर सीनियर मैनेजर तक भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए हैं। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। आयोग ने 96 कर्मचारियों को दंडित करने की अनुमति मांगी है। सबसे ज्यादा इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) के 85 कर्मचारी भ्रष्टाचार में शामिल पाए गए हैं। इनमें छह झाड़ू-पोंछा करने वाले भी शामिल हैं।
सीवीसी की ओर से मार्च महीने के लिए जारी रिपोर्ट के अनुसार, भ्रष्टाचार के 42 मामलों में 15 बैंकों से जुड़े हैं। आईओबी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के सबसे ज्यादा सात मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा दो मामले बैंक ऑफ इंडिया से जुड़े हैं। अन्य बैंकों के कर्मियों के खिलाफ एक-एक मामले हैं। भ्रष्टाचार करने वालों में चीफ मैनेजर, जनरल मैनेजर, असिस्टेंट जनरल मैनेजर, स्पेशल असिस्टेंट, क्लर्क और 11 मैसेंजर संलिप्त हैं। चार महीने से भी ज्यादा वक्त से इनके खिलाफ अभियोजन चलाने की मंजूरी नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के तहत संबंधित संगठनों और विभागों को तीन महीने में मुकदमा चलाने की अनुमति देना अनिवार्य है। सलाह मशविरा करने के लिए एक महीने का अतिरिक्त वक्त दिया जा सकता है।
भ्रष्टाचार में अन्य विभाग भी कम नहीं
सिर्फ बैंककर्मी ही भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं पाए गए हैं। छह मामले ऐसे हैं जिनमें आठ सरकारी अधिकारियों के नाम शामिल हैं। इनमें से अधिकांश आइएएस हैं। कार्मिक विभाग ने केस चलाने की अनुमति नहीं दी है। यह विभाग ही भ्रष्टाचार निवारण अभियान की प्रमुख एजेंसी है। रेलवे मंत्रालय के चार, रक्षा मंत्रालय के तीन के अलावा स्वास्थ्य और इस्पात मंत्रालय के दो-दो मामलों में मुकदमा चलाने की मंजूरी का इंतजार है।