रिसर्च में आया कि ब्रेड से होता है कैंसर, ब्रेड असोसिएशन ने कहा FSSAI से है मंजूरी
नई दिल्लीआपकी रोज खाने वाली ब्रेड में कुछ ऐसे तत्व शामिल हो सकते हैं, जिनसे कैंसर होने का खतरा है। सेंटर फॉर सायेंस ऐंड इन्वाइरनमेंट (CSE) ने देश की राजधानी दिल्ली में बेचे जाने वाले कुछ बड़ी कंपनियों की ब्रेड को लेकर एक रिसर्च किया। रिसर्च रिपोर्ट में यह निकलकर आया कि इन ब्रेड में पोटैशियम ब्रोमेट और पोटैशियम आयोडेट जैसे खतरनाक केमिकल्स मिले हो सकते हैं, जो कैंसर का कारण बनते हैं।
रिसर्च रिपोर्ट में यह निकलकर आया कि इन ब्रेड में पोटैशियम ब्रोमेट और पोटैशियम आयोडेट जैसे खतरनाक केमिकल्स मिले हो सकते हैं, जो कैंसर का कारण बनते हैं। हालांकि ऑल इंडिया ब्रेड मैन्युफैक्चरर असोसिएशन ने कहा है कि ब्रेड में मिलाए जाने वाले केमिकल को फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (FSSAI) रेग्युलेशन की मंजूरी है।
असोसिएशन के अध्यक्ष रमेश मागो ने इस मामले पर कहा है, 'हमने मई 2015 में कलेक्ट की गई ब्रेड पर आई CSE की रिपोर्ट नहीं देखी है, जिसमें ब्रेड में पोटैशियम ब्रोमैट होने की बात कही गई है। इस रिपोर्ट को देखने के बाद ही इसपर कुछ कहा जाएगा। FSSAI के मुताबिक ब्रेड में पोटैशियम ब्रोमैट और या पोटैशियम आयोडेट अधिकतम 50 पीपीएम और मैदा या बेकरी प्रॉडक्ट्स में अधिकतम 20 पीपीएम तक हो सकता है। अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी यही मात्रा सेफ मानी जाती है।'
पोटैशियम ब्रोमेट को 2B कार्सिनजन कैटिगरी में रखा जाता है। ये केमिकल दुनिया के कई देशों में प्रतिबंधित हैं, लेकिन भारत में खाद्य नियमों में ढील की वजह से इनका इस्तेमाल किया जा रहा है। पोटैशियम आयोडेट से थायरॉइड संबंधी बीमारियां होती हैं। अब इन दोनों केमिकल्स के ग्रुप को तुरंत बैन करने की मांग की गई है।
CSE के डेप्युटी डायरेक्टर जनरल और लैब के हेड चंद्र भूषण ने कहा, 'हमें 84 प्रतिशत सैंपल पॉजिटिव मिले हैं। हमने कुछ सैंपल को थर्ड पार्टी लैब में भी जांच के लिए भेजा। हमने लेबल देखे और इंडस्ट्री और सायेंटिस्टों से बात की। हमारे अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि फाइनल प्रॉडक्ट में पोटैशियम ब्रोमेट और पोटैशियम आयोडेट के अवशेष मौजूद रहते हैं।'
आपको बता दें कि कैंसर पर रिसर्च करने वाली एजेंसी IARC ने 1999 में पोटैशियम ब्रोमेट को इंसानों में होने वाले कैंसर के लिए जिम्मेदार बताया था। इससे किडनी में ट्यूमर, थाइरॉयड और पेट के निचले हिस्से में कैंसर होने जैसी बातें सामने आई थीं। यूरोपियन यूनियन ने 1990 में इसका इस्तेमाल बंद कर दिया था। इसके बाद ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यू जीलैंड, चीन, श्री लंका, ब्राजील, नाइजीरिया, पेरू और कोलंबिया जैसे तमाम देशों ने भी ऐसा ही कदम उठाया।
दिल्ली में लिए गए यह सैंपल ब्रेड, बन्स और रेडी-टु-ईट बर्गर और पिज्जा के 38 पॉप्युलर ब्रैंड के थे, जिनमें से 32 में खतरनाक केमिकल पाए गए। लिए गए सैंपलों में सैंडविच ब्रेड, पाव, वाइट ब्रेड सभी शामिल थे।
CSE study points to presence of possible cancer-causing chemicals in your bread