सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बीसीसीआई को जमकर फटकार लगाई है। कोर्ट का कहना है कि बोर्ड देश में खेल के विकास के लिए कुछ नहीं कर रहा है।
बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि 11 राज्यों में उसने कोई फंड नहीं दिया है। इसके बाद उसे कोर्ट की ओर से कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
क्रिकेट बोर्ड की कार्यपद्धति पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा, 'बीसीसीआई के एक पारस्परिक सहमति से एक लाभप्रद समाज तैयार किया है।'
ग्यारह राज्यों को धन न देने के सवाल पर कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआई को समान न्याय का पालन करना चाहिए। अदालत ने बोर्ड से यह भी कहा कि ये राज्य भीख क्यों मांगते रहे?
इससे पहले कोर्ट ने क्रिकेट बोर्ड्स को खेल के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए दिए जाने वाले फंड्स पर निगरानी रखने के लिए किसी भरोसेमंद तंत्र न होने पर भी फटकार लगाई थी।
न्यायालय ने बोर्ड से पिछले वर्षों के दौरान दिए गए फंड की विस्तृत जानकारी देने को भी कहा था।
कोर्ट ने कहा, 'आपने पिछले एक साल में राज्य क्रिकेट असोसिएशनों को खेल के आधारभूत ढांचे में विकास के लिए 480 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। पिछले बीस वर्षों में लगभग 2 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा रकम इस काम के लिए दी गई है।'
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, 'क्या आपने इस बात पर निगरानी रखी कि इस आवंटित फंड को कैसे इस्तेमाल किया जा रहा है। आवंटित रकम को खेल के विकास के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है या नहीं इस बात पर नजर रखने के लिए कोई भरोसेमंद तंत्र नहीं है।'
इस बैंच में जस्टिस एफएमआई कलिफुला ने बोर्ड से नागालैंड, मणिपुर और त्रिपुरा जैसे राज्यों को पिछले पांच साल के दौरान आवंटित की गई रकम के बारे में पूछा।
बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि 11 राज्यों में उसने कोई फंड नहीं दिया है। इसके बाद उसे कोर्ट की ओर से कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
क्रिकेट बोर्ड की कार्यपद्धति पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा, 'बीसीसीआई के एक पारस्परिक सहमति से एक लाभप्रद समाज तैयार किया है।'
ग्यारह राज्यों को धन न देने के सवाल पर कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआई को समान न्याय का पालन करना चाहिए। अदालत ने बोर्ड से यह भी कहा कि ये राज्य भीख क्यों मांगते रहे?
इससे पहले कोर्ट ने क्रिकेट बोर्ड्स को खेल के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए दिए जाने वाले फंड्स पर निगरानी रखने के लिए किसी भरोसेमंद तंत्र न होने पर भी फटकार लगाई थी।
न्यायालय ने बोर्ड से पिछले वर्षों के दौरान दिए गए फंड की विस्तृत जानकारी देने को भी कहा था।
कोर्ट ने कहा, 'आपने पिछले एक साल में राज्य क्रिकेट असोसिएशनों को खेल के आधारभूत ढांचे में विकास के लिए 480 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। पिछले बीस वर्षों में लगभग 2 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा रकम इस काम के लिए दी गई है।'
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, 'क्या आपने इस बात पर निगरानी रखी कि इस आवंटित फंड को कैसे इस्तेमाल किया जा रहा है। आवंटित रकम को खेल के विकास के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है या नहीं इस बात पर नजर रखने के लिए कोई भरोसेमंद तंत्र नहीं है।'
इस बैंच में जस्टिस एफएमआई कलिफुला ने बोर्ड से नागालैंड, मणिपुर और त्रिपुरा जैसे राज्यों को पिछले पांच साल के दौरान आवंटित की गई रकम के बारे में पूछा।