भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई का 'चोर बाजार' 'भेंडी बाजार' हो या 'देह व्यापार का अड्डा' कहे जाने वाला 'कमाठीपुरा'। इन सभी के नामकरण के पीछे का इतिहास दीपक राव और प्रोफ़ेसर संदीप दहिसरकार बता रहे हैं। सात द्वीप समूहों पर बसे शहर मुंबई का एक अनूठा इतिहास है। इस शहर में कई जगह के नाम भी बहुत अनोखे हैं और इनके पड़ने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं।
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इस शहर के सबसे पॉश इलाकों में एक है कोलाबा। मुंबई के दक्षिणी तट पर बसी इस जगह के बारे में कहते हैं कि इसका नाम कोलवन या कोलभट से आया है। यहां कोली मछुआरे रहा करते थे, इस वजह से भी इसे कोलाबा कहा गया। वहीं एक और बात प्रचलित है कि 'कोलाबा' दरअसल अरबी भाषा के शब्द 'कलाबेह' से आया है। कलाबेह का मतलब 'द्वीप की गर्दन' जो समुद्र से भीतर हो।
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अपने खूबसूरत समुद्री किनारों के लिए पहचाने जाने वाले मरीन लाइंस की बात करते हैं। मरीन लाइंस का नाम ब्रिटिश राज के दौरान आया। ब्रिटिश राज के दौरान यह जगह फौज लिए बनाई गई थी। इस जगह को 'एसप्लेनेड' (बड़ी खुली जगह) कहा जाता था। यहां भारतीय सैनिक और उन्हें निर्देश देने वाले ब्रिटिश अफसर रहा करते थे। फौज की बटालियन के रहने की जगह को 'लाइन' कहा जाता था। इस जगह नौसैनिक (मरीन) रहा करते थे इसलिए इस जगह का नाम 'मरीन लाइंस' पड़ा।
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मुंबई का 'कमाठीपुरा' इलाका देह व्यापार के लिए बदनाम है, पर इसके नामकरण का किस्सा बड़ा दिलचस्प है। बेलासिस रोड, डंकन रोड, ग्रांट रोड और सुखलजी स्ट्रीट से बने समकोण में कमाठीपुरा बसा है। 18वीं सदी तक इस जगह बाढ़ की बड़ी समस्या थी। इस जगह का नाम तेलंगाना से आए 'कमाठी' समुदाय के लोगों की वजह से पड़ा। हैदराबाद निज़ाम के राज्य से आए ये मजदूर यहां रहकर अपना गुजर-बसर करने लगे थे, पर 19वीं सदी में यह 'देह व्यापार' के बड़े बाज़ार के रूप में उभरने लगा। 'देह व्यापार' के बाजार के बाद हम बात करते हैं, मुंबई के सबसे बड़े 'चोर बाजार' कहे जाने वाले 'भेंडी बाजार' की।
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इतिहासकार दीपक राव कहते हैं कि यहां भिंडी की बहुत उपज होती थी और यहां उसका बाजार लगा करता था। 'भिंडी' को मराठी में 'भेंडी' कहते हैं। इस वजह से इसका नाम 'भेंडी बाज़ार' पड़ा।
यहां तक कि इसका नाम मुंबई के सबसे पुराने रेलवे स्टेशन कहे जाने वाले पाएधोनी पुलिस स्टेशन समेत आसपास के इलाक़े की दीवारों पर भी मराठी, उर्दू, गुजराती और अंग्रेज़ी में 'भेंडी बाज़ार' का नाम गुदा है।
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वैसे, इस नाम के पीछे की एक कहानी यह भी है कि अंग्रेज़ इसे 'बिहाइंड द बाज़ार' कहते थे। इसका सीधा मतलब यह है कि जो चीज़ आपको बाज़ार में नहीं मिल सकती, वो यहां आसानी से मिल सकती है। अब बात करते हैं 'दादर' की। आपको बता दें कि 'दादर' का शाब्दिक अर्थ 'सीढ़ी' होता है। दीपक इसके नाम की कहानी बताते हैं, ''दादर का इतिहास 170 साल पुराना है। जब परेल द्वीप और माहीम के बीच सिर्फ़ पैदल यात्री सड़क हुआ करती थी तब लोगों ने इसे चट्टानी पत्थरों से भर दिया।'' वे कहते हैं कि लोअर परेल और हाई माहीम के बीच फ़ुटपाथ बन गया। उसके बाद यह जगह 'दादर' के नाम से मशहूर हो गई।
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मायानगरी का वह इलाक़ा, जहां सलमान से शाहरुख और आमिर खान तक के आशियाने हैं, उसे बांद्रा कहते हैं। इसके नामकरण की कहानी भी अनोखी है। यहां रहने वाले कोली मछुआरे इस जगह को वांद्रे (बंदरगाह) कहते थे। पुर्तगाली यहां आए तो उन्होंने इस जगह का नाम 'बंदोरा' रखा। इसके बाद जब यह जगह अंग्रेज़ों के अधीन आई तो उन्होंने इसका नाम 'बांद्रा' रख दिया। अब इस जगह के असली नाम 'वांद्रे' को जीवित रखने के लिए मुंबई रेलवे ने स्टेशन और लोकल 'ट्रेन' में वांद्रे नाम से घोषणा शुरू की है।
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'सायन' को 'शीव' और 'सेवरी' भी कहते हैं। इसके नामकरण के बारे में प्रोफ़ेसर संदीप दहिसरकर ने बताया कि 'शीव' का एक अर्थ गांव की सीमा भी है। 17वीं शताब्दी में गांव ने मुंबई शहर और साल्सेट द्वीप (ठाणे ज़िला ) के बीच सीमा बांधी थी। वहीं 'सेवरी', 'सेवड़ी' से आया है, जिसका अर्थ है भगवान शिव का बगीचा। हालांकि, इस जगह शिव मंदिर होने की पुष्टि किसी इतिहासकार ने नहीं की है। मुंबई के 'कुर्ला' का नाम केकड़े की वजह से पड़ा। ग़ौरतलब है कि 'केकड़े' को मराठी में 'कुर्ली' कहते हैं। ये जगह दलदली था, जिस वजह से यहां केकड़े बहुत मिलते हैं।
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'पवई' संस्कृत शब्द 'पद्मैन' का निकला। यहां 10वीं सदी में बना देवी पद्मावती का मंदिर है। ये मंदिर पवई झील पर स्थित है। 'घाटकोपर' के बारे में प्रोफ़ेसर संदीप दहिसरकर बताते हैं कि 'घाटकोपर' नाम दो गांव 'घाटे' और 'कॉपरे' को जोड़कर बनाया गया है। इस जगह के स्थानीय निवासी 'घाटोबा' नाम के भगवान की पूजा भी करते हैं। कई लोगों का कहना है कि 'घाटकोपर' नाम इसलिए अस्तित्व में आया, क्योंकि यहां छोटे पहाड़ होते थे जिन्हें घाट कहते हैं। मराठी में कोने को कोपरा कहते है। इसलिए घाट का कोना होने के कारण इस जगह का नाम 'घाटकोपर' रखा गया।
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वहीं 'चिंचपोकली' का नाम इमली के पेड़ों पर पड़ा। मराठी में 'चिंच' का मतलब 'इमली' होता है। इस जगह इमली के पेड़ बहुत थे, इसलिए इसका नाम 'चिंचपोकली' हो गया। इस जगह साल 1915 में बनाया गया मशहूर आर्थर रोड जेल भी है। जहां मुंबई हमले के जीवित आतंकवादी अजमल कसाब को मुंबई पुलिस की कड़ी सुरक्षा में रखा गया था।
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इस शहर के सबसे पॉश इलाकों में एक है कोलाबा। मुंबई के दक्षिणी तट पर बसी इस जगह के बारे में कहते हैं कि इसका नाम कोलवन या कोलभट से आया है। यहां कोली मछुआरे रहा करते थे, इस वजह से भी इसे कोलाबा कहा गया। वहीं एक और बात प्रचलित है कि 'कोलाबा' दरअसल अरबी भाषा के शब्द 'कलाबेह' से आया है। कलाबेह का मतलब 'द्वीप की गर्दन' जो समुद्र से भीतर हो।
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अपने खूबसूरत समुद्री किनारों के लिए पहचाने जाने वाले मरीन लाइंस की बात करते हैं। मरीन लाइंस का नाम ब्रिटिश राज के दौरान आया। ब्रिटिश राज के दौरान यह जगह फौज लिए बनाई गई थी। इस जगह को 'एसप्लेनेड' (बड़ी खुली जगह) कहा जाता था। यहां भारतीय सैनिक और उन्हें निर्देश देने वाले ब्रिटिश अफसर रहा करते थे। फौज की बटालियन के रहने की जगह को 'लाइन' कहा जाता था। इस जगह नौसैनिक (मरीन) रहा करते थे इसलिए इस जगह का नाम 'मरीन लाइंस' पड़ा।
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मुंबई का 'कमाठीपुरा' इलाका देह व्यापार के लिए बदनाम है, पर इसके नामकरण का किस्सा बड़ा दिलचस्प है। बेलासिस रोड, डंकन रोड, ग्रांट रोड और सुखलजी स्ट्रीट से बने समकोण में कमाठीपुरा बसा है। 18वीं सदी तक इस जगह बाढ़ की बड़ी समस्या थी। इस जगह का नाम तेलंगाना से आए 'कमाठी' समुदाय के लोगों की वजह से पड़ा। हैदराबाद निज़ाम के राज्य से आए ये मजदूर यहां रहकर अपना गुजर-बसर करने लगे थे, पर 19वीं सदी में यह 'देह व्यापार' के बड़े बाज़ार के रूप में उभरने लगा। 'देह व्यापार' के बाजार के बाद हम बात करते हैं, मुंबई के सबसे बड़े 'चोर बाजार' कहे जाने वाले 'भेंडी बाजार' की।
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इतिहासकार दीपक राव कहते हैं कि यहां भिंडी की बहुत उपज होती थी और यहां उसका बाजार लगा करता था। 'भिंडी' को मराठी में 'भेंडी' कहते हैं। इस वजह से इसका नाम 'भेंडी बाज़ार' पड़ा।
यहां तक कि इसका नाम मुंबई के सबसे पुराने रेलवे स्टेशन कहे जाने वाले पाएधोनी पुलिस स्टेशन समेत आसपास के इलाक़े की दीवारों पर भी मराठी, उर्दू, गुजराती और अंग्रेज़ी में 'भेंडी बाज़ार' का नाम गुदा है।
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वैसे, इस नाम के पीछे की एक कहानी यह भी है कि अंग्रेज़ इसे 'बिहाइंड द बाज़ार' कहते थे। इसका सीधा मतलब यह है कि जो चीज़ आपको बाज़ार में नहीं मिल सकती, वो यहां आसानी से मिल सकती है। अब बात करते हैं 'दादर' की। आपको बता दें कि 'दादर' का शाब्दिक अर्थ 'सीढ़ी' होता है। दीपक इसके नाम की कहानी बताते हैं, ''दादर का इतिहास 170 साल पुराना है। जब परेल द्वीप और माहीम के बीच सिर्फ़ पैदल यात्री सड़क हुआ करती थी तब लोगों ने इसे चट्टानी पत्थरों से भर दिया।'' वे कहते हैं कि लोअर परेल और हाई माहीम के बीच फ़ुटपाथ बन गया। उसके बाद यह जगह 'दादर' के नाम से मशहूर हो गई।
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मायानगरी का वह इलाक़ा, जहां सलमान से शाहरुख और आमिर खान तक के आशियाने हैं, उसे बांद्रा कहते हैं। इसके नामकरण की कहानी भी अनोखी है। यहां रहने वाले कोली मछुआरे इस जगह को वांद्रे (बंदरगाह) कहते थे। पुर्तगाली यहां आए तो उन्होंने इस जगह का नाम 'बंदोरा' रखा। इसके बाद जब यह जगह अंग्रेज़ों के अधीन आई तो उन्होंने इसका नाम 'बांद्रा' रख दिया। अब इस जगह के असली नाम 'वांद्रे' को जीवित रखने के लिए मुंबई रेलवे ने स्टेशन और लोकल 'ट्रेन' में वांद्रे नाम से घोषणा शुरू की है।
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'सायन' को 'शीव' और 'सेवरी' भी कहते हैं। इसके नामकरण के बारे में प्रोफ़ेसर संदीप दहिसरकर ने बताया कि 'शीव' का एक अर्थ गांव की सीमा भी है। 17वीं शताब्दी में गांव ने मुंबई शहर और साल्सेट द्वीप (ठाणे ज़िला ) के बीच सीमा बांधी थी। वहीं 'सेवरी', 'सेवड़ी' से आया है, जिसका अर्थ है भगवान शिव का बगीचा। हालांकि, इस जगह शिव मंदिर होने की पुष्टि किसी इतिहासकार ने नहीं की है। मुंबई के 'कुर्ला' का नाम केकड़े की वजह से पड़ा। ग़ौरतलब है कि 'केकड़े' को मराठी में 'कुर्ली' कहते हैं। ये जगह दलदली था, जिस वजह से यहां केकड़े बहुत मिलते हैं।
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'पवई' संस्कृत शब्द 'पद्मैन' का निकला। यहां 10वीं सदी में बना देवी पद्मावती का मंदिर है। ये मंदिर पवई झील पर स्थित है। 'घाटकोपर' के बारे में प्रोफ़ेसर संदीप दहिसरकर बताते हैं कि 'घाटकोपर' नाम दो गांव 'घाटे' और 'कॉपरे' को जोड़कर बनाया गया है। इस जगह के स्थानीय निवासी 'घाटोबा' नाम के भगवान की पूजा भी करते हैं। कई लोगों का कहना है कि 'घाटकोपर' नाम इसलिए अस्तित्व में आया, क्योंकि यहां छोटे पहाड़ होते थे जिन्हें घाट कहते हैं। मराठी में कोने को कोपरा कहते है। इसलिए घाट का कोना होने के कारण इस जगह का नाम 'घाटकोपर' रखा गया।
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वहीं 'चिंचपोकली' का नाम इमली के पेड़ों पर पड़ा। मराठी में 'चिंच' का मतलब 'इमली' होता है। इस जगह इमली के पेड़ बहुत थे, इसलिए इसका नाम 'चिंचपोकली' हो गया। इस जगह साल 1915 में बनाया गया मशहूर आर्थर रोड जेल भी है। जहां मुंबई हमले के जीवित आतंकवादी अजमल कसाब को मुंबई पुलिस की कड़ी सुरक्षा में रखा गया था।