बजट 2016 पेश होने के बाद से ही उसमें तमाम कमियां और उन्हें लेकर विवाद सामने आने लगे थे। ईपीएफ टैक्स, और इनकम टैक्स से जुड़े प्रावधानों के बाद अबअफॉर्डेबल हाउसिंग को बढ़ावा देने के मकसद से छोटे फ्लैट्स के लिए बिल्डर्स को दी जाने वाली छूट की घोषणा को लेकर नई खामी सामने आ रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बजट प्रस्ताव में 30 स्क्वैयर मीटर तक के फ्लैट्स से होने वाली आय पर बिल्डर्स को 100 फीसदी टैक्स छूट की घोषणा की गई है लेकिन इन फ्लैट्स की अधिकतम कीमत का निर्धारण नहीं किया गया है। ऐसे में बिल्डर्स को छोटे फ्लैट्स बनाने का प्रोत्साहन तो मिलेगा लेकिन वह इसे मनमाने कीमत पर बेचेगा और उस पर उसे कोई टैक्स भी नहीं देना होगा।
मसलन, मुंबई जैसे मेट्रो शहर में बिल्डर 300 स्क्वैयर फीट जैसे छोटे अपार्टमेंट्स सी रोड साउथ मुंबई एरिया में 70 हजार रुपये प्रति स्क्वैयर फीट की दर पर यानी करीब 2 करोड़ रुपये तक बिल्डर्स बेच रहे हैं और अब उन्हें अफॉर्डेबल हाउसिंग के नाम पर इस आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा।
हाउसिंग ऐक्टिविस्ट चंद्रशेखर प्रभु इस संबन्ध में कहते हैं, 'जिन लोगों को अफॉर्डेबल हाउस उपलब्ध कराने की बात की जा रही है उसका इनकम ब्रैकेट उसकी अफॉर्डबिलिटी के लिए कहीं ज्यादा अहम संकेतक है। ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जब सरकार ने विभिन्न टैक्स में छूट दी है, बल्कि अफॉर्डबिलिटी के नाम पर जमीन के विशेष उपयोग की मंजूरी भी दी है। ऐसे में नतीजों का अनुमान लगाना कोई मुश्किल बात नहीं है। छोटे फ्लैट्स एक ही परिवार के कई सदस्यों को दिया जाता है और वे बाद में इसे मनमानी कीमत पर बेच देते हैं।'
वहीं आर्किटेक्ट संजय देवनानी कहते हैं, 'बजट में प्रस्तावित टैक्स लाभ बेइमान बिल्डर्स को छोटे फ्लैट्स बनाने की छूट दे देता है। इसे नियमों का गलत फायदा उठाते हुए पॉश इलाकों में इन फ्लैट्स को कंबाइंड करके मनमानी कीमत पर भी बेचने की गुंजाइश बन गई है।'
रीयल एस्टेट रेग्युलेशन के क्षेत्र में विशेषज्ञ वकील अनिल हरीश का कहना है कि बजट में प्रस्तावित नियम छोटे फ्लैट्स को मनमानी कीमत पर बेचने से बिल्डर्स को नहीं रोकते हैं। हालांकि वह इस पर भी जोर देते हैं कि बिल्डर्स के लिए एक ही परिवार को फ्लैट्स देना थोड़ा मुश्किल भी होगा। वह बताते हैं, 'नियम बिल्कुल स्पष्ट हैं। एक ही प्रॉजेक्ट में एक ही परिवार को कई फ्लैट्स नहीं दिए जा सकते हैं।'
लेकिन सूत्रों की मानें तो स्पष्ट नियम के बावजूद कई बिल्डर्स ने अफॉर्डेबल हाउसिंग के तहत इस चालाकी के लिए रास्ता निकाल लिया है।
सरकार ने यह स्वीकार किया है कि अगर घर की कीमत किसी व्यक्ति की पांच साल की आय के बराबर है तो वह उसके लिए अफॉर्डेबल माना जाएगा। लेकिन वास्तविकता यह है कि इस मानक के आधार पर बहुत कम लोग ऐसे हैं जो फिलहाल बाजार में मौजूद हाउसिंग को अफॉर्ड कर सकते हैं। या तो लोगों के खर्चे इतने अधिक हैं या फिर ऐसे फ्लैट्स की संख्या बहुत कम है।
मुंबई के सबसे सस्ते इलाके में एक फ्लैट की कीमत करीब एक करोड़ रुपये तक है। इंडस्ट्री से जुड़े एक व्यक्ति का कहना है, 'देश में फिलहाल केवल 5 फीसदी लोग आयकर जमा करते हैं। मुंबई में ही ज्यादातर लोग एक करोड़ का फ्लैट खरीदने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं। जो इसे खरीद सकता है उसकी वार्षिक आय कम से कम 20 लाख रुपये तक होनी चाहिए, ताकि वह फ्लैट खरीदने के लिए लोन ले सके।'