दूध में मिलावट की जांच की नई प्रभावी तकनीक विकसित: सरकार
सरकार ने बुधवार को लोकसभा में बताया कि दूध में मिलावट का पता लगाने के लिए CSIR-CEERI, पिलानी ने एक नई तकनीक विकसित की है जिसके शत प्रतिशत परिणाम आ रहे हैं और इस तरह की कोई तकनीक फिलहाल अन्य किसी देश में उपलब्ध नहीं है। साथ ही उन्होंने सदन को यह भी बताया कि हालिया रिपोर्टों के अनुसार देश में 68 प्रतिशत से अधिक दूध भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के मानकों की पुष्टि नहीं करता है।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि दूध में मिलावट का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद के केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स इंजिनियरिंग अनुसंधान संस्थान (CSIR-CEERI), पिलानी ने एक नई तकनीक विकसित की है।
उन्होंने कहा कि इस नई तकनीक के माध्यम से दूध के नमूने के परीक्षण की लागत करीब पांच से 10 पैसे आएगी। जांच का समय करीब 40-45 सेकंड होगा। उन्होंने कहा कि यह अनोखी तकनीक इलेक्ट्रोकेमिकल फिंगरप्रिंट लेने पर आधारित है। फिलहाल वैश्विक स्तर पर इस तरह की पद्धति पर आधारित कोई प्रणाली उपलब्ध नहीं है। यह नया तरीका दूध और मिल्क इंडस्ट्री से संबंधित मापयंत्रण में इस तरह के क्रियान्वयन का पहली पूरी भारतीय अवधारणा पर आधारित है। इससे दूध में पानी, रासायनिक पदार्थ समेत सभी तरह की मिलावटों का पता चल सकेगा।