New Delhi
ईस्ट एमसीडी के स्वामी दयानंद हॉस्पिटल में महिलाओं को जबरन 10 साल की कॉपर-टी लगाई जा रही है। जो महिलाएं कॉपर-टी लगाने का विरोध करती हैं, उसे दूसरे हॉस्पिटल में डिलीवरी कराने की धमकी दी जाती है। लेबर inरूम में अकेली होने के कारण महिलाएं डॉक्टरों का ज्यादा विरोध भी नहीं कर पातीं। लेबर रूम से बाहर आने के बाद जब कुछ महिलाओं ने अपने परिवार वालों को इस बारे में बताया, तो उन्होंने भी इसका विरोध किया, लेकिन किसी ने भी उनके इस विरोध को गंभीरता से नहीं लिया। हालत यह थी कि डॉक्टर उल्टा महिला और उसके परिवारवालों पर यह कहकर चिल्लाने लगे कि और कितने बच्चों की लाइन लगाओगे?
बच पाईं इक्का-दुक्का ही महिलाएं सन्नी अपने परिवार के साथ मानसरोवर पार्क में रहते हैं। उनकी पत्नी शालू का यह पहला बच्चा था। शालू ने बताया कि लेबर रूम के अंदर जाने के कुछ देर बाद उन्हें बेटा हुआ। डिलिवरी के बाद एक लेडी डॉक्टर उनके पास आई और 10 साल की कॉपर-टी लगाने के लिए कहा। शालू ने इसका विरोध किया। बावजूद इसके डॉक्टरों ने उनकी एक नहीं सुनी और उसे 10 साल की कॉपर-टी लगा दी। शालू ने बताया कि डिलिवरी के बाद वह काफी देर तक लेबर रूम के अंदर रहीं। इक्का-दुक्का महिलाओं को छोड़कर डॉक्टरों ने ज्यादातर महिलाओं को इसी तरह से कॉपर-टी लगाई।
उन्होंने बताया कि जब एक महिला ने इसका विरोध किया तो डॉक्टरों ने उसे धमकी दी कि अगर उसने कॉपर-टी नहीं लगवाई तो यहां पर उसकी डिलिवरी नहीं की जाएगी। दूसरे हॉस्पिटल भेजे जाने के डर से महिला ने चुपचाप कॉपर-टी लगवा ली। लेबर रूम से बाहर आने के बाद जब शालू ने यह बात अपने पति और सास को बताई तो उन्होंने भी इसका विरोध किया। उनका कहना था कि 10 साल के अंदर तो उनकी फैमिली पूरी हो जाएगी।
शालू के अलावा दक्षशिता को भी उनके दूसरे बेटे के जन्म के बाद डॉक्टरों ने उन्हें भी 10 साल की कॉपर-टी लगा दी। इसी तरह से राजकुमारी नाम की महिला को तीसरी बेटी के जन्म के बाद कॉपर-टी लगाई। डिलीवरी के बाद जब इन महिलाओं को वॉर्ड में शिफ्ट किया गया तो वहां पहुंचकर पता चला कि पूरे वॉर्ड में इक्का-दुक्का महिला ही ऐसी थी, जिसे कॉपर-टी नहीं लगाई गई।
लेबर रूम के अंदर महिलाओं को प्रसव पीड़ा के असहनीय दर्द के साथ-साथ डॉक्टरों और बाकी स्टाफ की बदसलूकी भी झेलनी पड़ती है। खासकर नाइट ड्यूटी के दौरान डॉक्टरों को गर्भवती महिलाएं आफत नजर आती हैं। यहां डिलिवरी के लिए आईं महिलाओं ने बताया कि डॉक्टर महिलाओं पर चीखती-चिल्लाती हैं। डिलिवरी के दौरान डॉक्टरों को पूछताछ में यह भी पता चल जाता है कि किसी महिला का यह पहला बच्चा है या दूसरा। अगर डॉक्टरों को यह पता चल जाए कि किसी महिला का यह तीसरा बच्चा है तो लेबर रूम के अंदर डॉक्टर बुरी तरह से जलील करती हैं।
महिला मरीजों और उनके परिजनों के ऐसे गंभीर आरोपों के बारे में जब गायनी विभाग की इंचार्ज डॉक्टर सुनीता फोतेदार से बात की गई, तो उन्होंने माना कि डिलिवरी के तुरंत बाद महिलाओं को 10 की कॉपर-टी लगाई जा रही है। हालांकि उन्होंने दलील दी कि कॉपर-टी लगाने से पहले महिला को फैमिली प्लानिंग की अहमियत समझाई जाती है। महिला की सहमति के बाद ही उसे कॉपर-टी लगाई जाती है। जब उन्हें बताया गया कि डॉक्टर काउंसलिंग करके नहीं बल्कि जबरन कॉपर-टी लगाते हैं और जो महिला इसका विरोध करती है उसे दूसरे हॉस्पिटल भेजने की धमकी दी जाती है, तो उनका कहना था कि उन्हें नहीं पता कि लेबर रूम के अंदर डॉक्टर किस तरह से महिलाओं की काउंसलिंग करते हैं।
डॉक्टर सुनीता का यह भी कहना था कि कॉपर-टी भले ही 10 साल के लिए लगाई जाती है लेकिन इसे जब चाहे, हटवाया भी जा सकता है। लेबर रूम के अंदर डॉक्टरों के बुरे बर्ताव के बारे में उनका कहना था कि हॉस्पिटल में हर महीने 800 से ज्यादा डिलीवरी होती है। इनमें 150-200 डिलिवरी सिजेरियन द्वारा होती है। नाइट ड्यूटी के दौरान कम से कम 6 डॉक्टर होने चाहिए, लेकिन होते दो डॉक्टर हैं।
Swamy dayanand hospital of Delhi municipal doctors are forcing to use 10 years copper T on delivery table at labor room. Women can not oppose the decision of doctors. They scare to shift is any woman oppose.