यदि आप हमेशा एलर्जी की चपेट में रहते हैं और इससे आजीज आग गए हैं तो इसके लिए आप अपने दूर के पूर्वजों द्वारा नीऐन्डर्थाल (मानव की एक विलुप्त प्रजाति) के साथ सेक्स को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं। एक नई स्टडी से ये तथ्य सामने आएं हैं कि शुरुआती मानव और नीऐन्डर्थाल के बीच अंतर प्रजनन के कारण आधुनिक एलर्जी है। यह स्टडी अमेरिकन जनरल ऑफ ह्यूमन जेनेटिक्स में पब्लिश हुई है। यह मैगजीन हाई-प्रोफाइल जनरल है और हमारे जीन की स्टडी पर समर्पित है।
इस स्टडी में बताया गया है कि असामान्य जीन्स के कारण एलर्जी की चपेट में लोग आते हैं। असामान्य जीन्स की वजह शुरुआती मनुष्यों और नीऐन्डर्थाल में अंतर प्रजनन है। अफ्रीका से पलायन के बाद मानव की यह अलग प्रजाति एशिया में रहती थी। नीऐन्डर्थाल नाम की विलुप्त प्रजाति यूरोप और वेस्टर्न एशिया में सैकड़ों हजारों सालों के रहती थी। शुरुआती मनुष्यों के उदय से पहले की यह बात है। बाद में जब मनुष्यों का आगमन हुआ तो स्थानीय नस्लों और नीऐन्डर्थाल के बीच अंतर प्रजनन हुआ और इससे रोग प्रतिरोधी क्षमता का भी विकास हुआ।
इस स्टडी के दौरान 1,000 जीनोम जुटाए गए। इस प्रॉजेक्ट में मानव डीएनए पर अध्ययन हुआ। यह स्टडी जर्मनी में लाइसेक स्थित मैक्स फ्लैंक इंस्टिट्यूट फोर इवॉल्यूशनरी एथ्रोपोलॉजी की टीम ने किया है। इसमें पाया गया है कि मानव के जीन्स में अब भी तीन जीन्स वैसे हैं जो जन्मजात इम्यूनिटी की भूमिका में हैं। जन्मजात इम्यूनिटी का ह्यूमन इम्यून सिस्टम में अहम स्थान है। ये इन्फेक्शन के मामले में तत्काल रिऐक्ट करते हैं।
ये महत्वपूर्ण जीन्स पूरी दुनिया के इंसान में हैं। इससे बचने का कोई उपाय नहीं है। हमारे इतिहास में नीऐन्डर्थाल की अहम भूमिका है। जिन लोगों में ये जीन्स आज भी मौजूद हैं वे समस्याग्रस्त हैं। हानिकारक रोगाणुओं के मामले में ये जीन्स तत्काल रिऐक्ट करते हैं। हमारे इम्यून सिस्टम की अतिसक्रियता में भी इनकी भूमिका होती है। इनके लिए जानवरों के बाल और पराग वाहक बनते हैं। मैक्स फ्लैंक इंस्टिट्यूट ने एनपीआर से कहा, 'हम अपनी एलर्जी के लिए नीऐन्डर्थाल को ब्लेम कर सकते हैं।'