Rais khan gutka supplier now social worker.. |
अहमदाबाद
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड के कभी पूर्व सहयोगी रहे और अब विरोधी बन चुके रईस खान को मोदी सरकार की तरफ से वक्फ काउंसिल की सदस्यता से नवाजा गया है। सरकार ने रईस खान पठान को 20 सदस्यी केंद्रीय वक्फ काउंसिल का सदस्य नियुक्त किया है। तीस्ता सीतलवाड मोदी की बड़ी आलोचकों में से एक मानी जाती हैं।
काउंसिल में पठान के अलावा पूर्व आईपीएस ए. आई. सैयद को भी जगह दी गई है। गौरतलब है कि सैयद साल 2010 में हुए अहमदाबाद निकाय चुनावों में बीजेपी की तरफ से पहले मुस्लिम उम्मीदवार थे। फिलहाल सैयद गुजरात वक्फ बोर्ड के प्रेजिडेंट हैं।
रईस खान महाराष्ट्र के बड़े गुटका कारोबारी हैं। माना जा रहा है कि देश भर में मौजूद करोड़ों रुपयों की संपत्ति का प्रबंधन करने वाली वक्फ काउंसिल का सदस्य बनाने का मकसद तीस्ता सीतलवाड के खिलाफ मोर्चा खोलने का उन्हें इनाम है।
इस मामले में जब पठान से बात की गई तो उन्होंने कहा, 'मैं नहीं मानता कि मेरे चयन का संबन्ध किसी भी तरह से 2002 गुजरात दंगों या तीस्ता के साथ मनमुटाव से है। बल्कि मेरे सामाजिक कार्यों के मद्देनजर मेरा चयन किया गया है। मैंने इस पोस्ट के लिए बहुत पहले ही आवेदन कर रखा था। मुझे खुशी है कि वक्फ काउंसिल में मेरा चयन किया गया है।'
साल 2010-11 में रईस ट्रायल कोर्ट के सामने इस बात को लेकर आए थे कि कैसे सीतलवाड के निर्देश पर 2002 गुजरात दंगा पीड़ितों के नाम पर शपथपत्र दाखिल किया गया था। रईस ने आरोप लगाया था कि पीड़ितों को इस बात की जानकारी तक नहीं थी कि शपथ पत्र में क्या लिखा गया है। रईस के इस खुलासे के बाद एसआईटी कोर्ट ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए थे।
इसके अलावा साल 2010 में रईस ने पंडरवाड़ा गांव में शवों के विवादित उत्खनन के मामले में भी अपनी भूमिका पुलिस के सामने कबूली थी। यहां कथित रूप से दंगा पीड़ितों के शवों को प्रशासन द्वारा दफना दिया गया था। रईस ने स्वीकार किया था कि शवों के उत्खनन का आदेश तीस्ता ने ही दिया था। इस मामले में भी तीस्ता को गुजरात हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत मिली हुई है।