240 बच्चों को पढ़ाते हैं 24,692 शिक्षक
महाराष्ट्र के 27 स्कूलों में एक भी छात्र नहीं है, फिर भी वहां पर शिक्षक पढ़ाने के लिए प्रतिदिन स्कूल में आते हैं। इसी तरह से 75 स्कूलों में एक एक-एक पढ़ते हैं। सरकारी रेकॉर्ड बयां करते हैं कि 12,646 स्कूलों में पढ़ने के लिए 240 छात्र आते हैं, जिन्हें 24,692 छात्र पढ़ाते हैं। इन स्कूलों में प्रतिदिन हाजिरी लगाने वाले टीचरों को सरकार हर माह लाखों रुपये वेतन देती है।
राज्य के शिक्षा मंत्री विनोद तावडे ने अपने ही विभाग के स्कूलों की पोल खोलते हुए कहा कि राज्य में ऐसे स्कूल भी है, जहां एक भी छात्र पढ़ने के लिए नहीं आते, फिर भी वहां पर छात्रों को पढ़ाने के लिए प्रतिदिन अध्यापक आते हैं। किसी स्कूल में एक छात्र है, तो किसी स्कूल में दो, तीन चार छात्र है। फिर भी सरकार ने उन स्कूलों को बंद नहीं किया। विधान सभा में शिक्षा मंत्री विधायक डॉ सुजीत मिंचेकर के सवालों का जवाब दे रहे थे। विधायक मिंचेकर ने शिक्षा मंत्री से सवाल पूछा कि यह सही है कि राज्य में 1927 स्कूल और 1,000 कक्षाएं सरकार के अनुदान का इंतजार कर रहे हैं। इस पर शिक्षा मंत्री तावडे ने सदन को सूचित किया कि राज्य में ऐसे कई सारे स्कूल है जिसे सरकार अनुदान देती है। कई सारे ऐसे गैर अनुमादिन स्कूल है जहां छात्रों की संख्या लगातार कम हो रही है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा विभाग में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। कुल 214 स्कूल ऐसे हैं, जहां पर तीन-तीन छात्र पढ़ते हैं। इसके अलावा 311 स्कूलों में मात्र 4-4 छात्र पढ़ने के लिए आते हैं। तावडे ने कहा कि दरअसल स्कूलों से संबंधित कई सारे मामले कोर्ट में चल रहे हैं। जहां पर अतिरिक्त अध्यापक है, उन्हें दूसरी जगहों पर भेजने की कोशिश की जा रही है।
गैर अनुदानित स्कूलों को अनुदान पर विचार
राज्य के बिना अनुदानित स्कूलों (अंग्रेजी माध्यम छोड़कर) को नए वित्त वर्ष में सरकार अनुदान देने पर सकारात्मक विचार करेगी। शिक्षा मंत्री विनोद तावडे की गुरुवार को यह घोषणा की। उन्होंने सदन को बताया कि इनमें 779 प्राथमिक और 1234 माध्यमिक स्कूलों का समावेश है।
सरकार के इस फैसलें पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शिक्षक विधायक कपिल पाटील ने कहा कि आखिर राज्य के 15000 शिक्षकों को न्याय मिला है। पाटील ने ही इस मुद्दे को उठाया था।
राज्य के शिक्षा मंत्री विनोद तावडे ने अपने ही विभाग के स्कूलों की पोल खोलते हुए कहा कि राज्य में ऐसे स्कूल भी है, जहां एक भी छात्र पढ़ने के लिए नहीं आते, फिर भी वहां पर छात्रों को पढ़ाने के लिए प्रतिदिन अध्यापक आते हैं। किसी स्कूल में एक छात्र है, तो किसी स्कूल में दो, तीन चार छात्र है। फिर भी सरकार ने उन स्कूलों को बंद नहीं किया। विधान सभा में शिक्षा मंत्री विधायक डॉ सुजीत मिंचेकर के सवालों का जवाब दे रहे थे। विधायक मिंचेकर ने शिक्षा मंत्री से सवाल पूछा कि यह सही है कि राज्य में 1927 स्कूल और 1,000 कक्षाएं सरकार के अनुदान का इंतजार कर रहे हैं। इस पर शिक्षा मंत्री तावडे ने सदन को सूचित किया कि राज्य में ऐसे कई सारे स्कूल है जिसे सरकार अनुदान देती है। कई सारे ऐसे गैर अनुमादिन स्कूल है जहां छात्रों की संख्या लगातार कम हो रही है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा विभाग में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। कुल 214 स्कूल ऐसे हैं, जहां पर तीन-तीन छात्र पढ़ते हैं। इसके अलावा 311 स्कूलों में मात्र 4-4 छात्र पढ़ने के लिए आते हैं। तावडे ने कहा कि दरअसल स्कूलों से संबंधित कई सारे मामले कोर्ट में चल रहे हैं। जहां पर अतिरिक्त अध्यापक है, उन्हें दूसरी जगहों पर भेजने की कोशिश की जा रही है।
गैर अनुदानित स्कूलों को अनुदान पर विचार
राज्य के बिना अनुदानित स्कूलों (अंग्रेजी माध्यम छोड़कर) को नए वित्त वर्ष में सरकार अनुदान देने पर सकारात्मक विचार करेगी। शिक्षा मंत्री विनोद तावडे की गुरुवार को यह घोषणा की। उन्होंने सदन को बताया कि इनमें 779 प्राथमिक और 1234 माध्यमिक स्कूलों का समावेश है।
सरकार के इस फैसलें पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शिक्षक विधायक कपिल पाटील ने कहा कि आखिर राज्य के 15000 शिक्षकों को न्याय मिला है। पाटील ने ही इस मुद्दे को उठाया था।