यूपी के फतेहपुर में पुरुष बिना एचआईवी टेस्ट करवाए अपनी पत्नी के कमरे में कदम नहीं रख सकते। कुछ पत्नियां तो अपने पतियों को कई-कई दिनों अपने बेड पर नहीं सोने देतीं। हालांकि, इसके पीछे कोई कानून या नियम नहीं है। न ही कोई प्रथा या चलन। फतेहपुर के उदयपुर गांव की औरतों ने एक शानदार पहल की है। अपनी और बच्चों की सुरक्षा के लिए उन्होंने बाहर काम करने वाले पतियों को एचआईवी टेस्ट के लिए मजबूर कर दिया है।
दिलचस्प बात यह है कि यह सब यूं ही नहीं हुआ। बीते करीब एक दशक में इस गांव ने 44 लोगों की मौत सिर्फ एचआईवी से देखी और पांच परिवार तबाह हो गए। पूरे फतेहपुर की हालत तो और भी खराब है। आंकड़े बताते हैं कि 2005-15 के दौरान फतेहपुर में एचआईवी के 357 मामले सामने आए। इनमें से 48 लोगों ने जान गवां दी।
इस खतरनाक बीमारी से बचने के लिए ही गांव की महिलाओं ने यह सख्त कदम उठाया है। अब उनकी पूरी कोशिश है कि जब उनके पति मुंबई (ज्यादातर मुंबई में काम कर रहे हैं) से लौटें, तो उनके साथ अनसेफ सेक्स में शामिल न हों। इसके लिए ही उन्होंने तय किया है कि जब तक उनके पति एचआईवी टेस्ट नहीं करवाते, उनके साथ नहीं सोएंगीं।
इस पहल की शुरुआत की गांव की अनीता ने। अनीता के पति मुंबई से दिवाली पर घर लौटे, तो उनके लिए माहौल बदला हुआ था। अनीता ने एचआईवी टेस्ट कराने को कहा, तो पति ने मना कर दिया। हालांकि, जब अनीता भी नहीं डिगीं तो आखिरकार उनके पति ने टेस्ट करवा ही लिया। इसी तरह गांव की विद्या ने भी अपने पति राम किशोर को एचआईवी टेस्ट करवाकर रिपोर्ट दिखाने को कहा, उसके बाद ही उन्हें अपने कमरे में कदम रखने दिया। हालांकि, इस पूरी पहल में गांव के लोगों ने सभी महिलाओं का साथ दिया और अब ये सभी महिलाएं पूरे सूबे में मिसाल कायम कर रही हैं।
आंगनवाड़ी में काम करने वाले ज्ञान स्वरूप ने बताया, 'हम महिलाओं को इस खतरनाक बीमारी के दंश और दाग से बचाने के लिए उन्हें जागरूक कर रहे हैं। इस दिवाली महिलाओं ने अपने पतियों को भी अपनी पहल के जरिए काफी जागरूक किया।'