दिनभर में 11 से 50 बार फोन चेक करते हैं आप!
नई दिल्ली
भारतीय ग्राहकों को स्मार्टफोन की लत लगती जा रही है। डेलॉयट ग्लोबल मोबाइल कंज्यूमर सर्वे 2015 के मुताबिक, भारतीयों के लिए स्मार्टफोन एक जरूरत बनता जा रहा है क्योंकि हर दिन लोगों का सबसे पहला और आखिरी काम अपना फोन चेक करना होता है।
स्टडी के मुताबिक, करीब 28% स्मार्टफोन यूजर्स दिन भर में अपना फोन 11 से 25 बार तक देखते हैं वहीं, 22% 26 से 50 बार फोन चेक करते हैं । इस सर्वे के जरिए डेलॉयट ने स्मार्टफोन की लत के बारे में बताया है। डेलॉयट टूश तोमात्सु इंडिया एलएलपी के सीनियर डायरेक्टर संतोष ने कहा, 'हमारी स्टडी से पता चला है कि स्मार्टफोन के इस्तेमाल की वजह से रोजमर्रा की कई सामान्य गतिविधियां प्रभावित हुई हैं।'
डेलॉयट ने 2000 से ज्यादा भारतीय कंज्यूमर्स के मोबाइल फोन इस्तेमाल करने की आदतों का विश्लेषण किया है। यह कंपनी के ग्लोबल सर्वे का हिस्सा है। इसके तहत डेलॉयट ने 30 देशों के 49,000 लोगों पर यह सर्वे किया है। सर्वे के मुताबिक, जून तक जिन लोगों पर सर्वे किए गए उनमें 86% के पास स्मार्टफोन था। यह आंकड़ा 2013 के मुकाबले 12 फीसदी ज्यादा है। 17 फीसदी प्रतिभागी एक दिन में 51 से 100 बार स्मार्टफोन देखते हैं। करीब 78% स्मार्टफोन ओनर्स जागने के 15 मिनट के भीतर फोन चेक करते हैं। वहीं, आधे से ज्यादा लोग जागने के पांच मिनट के भीतर फोन चेक करते हैं। दिन खत्म होने के वक्त भी ऐसा ही होता है। आधे से ज्यादा यानी करीब 52 फीसदी लोग सोने से पांच मिनट पहले अपना फोन चेक करते हैं।
स्टडी से पता चलता है कि इंस्टेंट मेसेजिंग और सोशल नेटवर्क्स जैसे कम्युनिकेशन सर्विसेज पहली चीज हैं, जिन्हें हर सुबह स्मार्टफोन यूजर्स चेक करते हैं। इसके बाद ईमेल्स और एसएमएस का नंबर आता है। सर्वे में यह भी पता चलता है कि भारतीय यूजर्स अलग-अलग काम के लिए दिन भर अपना फोन इस्तेमाल करते हैं। संतोष ने कहा, 'ई-कॉमर्स और मोबाइल कॉमर्स कंपनियों के बढ़ने से कंज्यूमर्स आक्रामक ढंग से डेटा का इस्तेमाल कर रहे हैं। मोबाइल कैरियर्स और नेटवर्क ऑपरेटर्स के लिए इस मौके से मुनाफा कमाने का बड़ा स्कोप है। हालांकि, कंज्यूमर की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए टेलीकॉम सेक्टर को अपना नेटवर्क और इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर बनाना होगा।'
डेलॉयट इंडिया की रिसर्च से पता चलता है कि पिछले दो साल में वॉइस कॉल और एसएमएस के इस्तेमाल में 20 फीसदी तक कमी आई है। सर्वे में शामिल करीब दो तिहाई लोग वॉइस कॉल की क्वॉलिटी से नाखुश थे। वॉइस कॉल की खराब गुणवत्ता के कारण ही वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) में तेजी आई है। इस दौरान इंस्टेंट मेसेजिंग और VoIP का इस्तेमाल बढ़ा है।
नई दिल्ली
भारतीय ग्राहकों को स्मार्टफोन की लत लगती जा रही है। डेलॉयट ग्लोबल मोबाइल कंज्यूमर सर्वे 2015 के मुताबिक, भारतीयों के लिए स्मार्टफोन एक जरूरत बनता जा रहा है क्योंकि हर दिन लोगों का सबसे पहला और आखिरी काम अपना फोन चेक करना होता है।
स्टडी के मुताबिक, करीब 28% स्मार्टफोन यूजर्स दिन भर में अपना फोन 11 से 25 बार तक देखते हैं वहीं, 22% 26 से 50 बार फोन चेक करते हैं । इस सर्वे के जरिए डेलॉयट ने स्मार्टफोन की लत के बारे में बताया है। डेलॉयट टूश तोमात्सु इंडिया एलएलपी के सीनियर डायरेक्टर संतोष ने कहा, 'हमारी स्टडी से पता चला है कि स्मार्टफोन के इस्तेमाल की वजह से रोजमर्रा की कई सामान्य गतिविधियां प्रभावित हुई हैं।'
डेलॉयट ने 2000 से ज्यादा भारतीय कंज्यूमर्स के मोबाइल फोन इस्तेमाल करने की आदतों का विश्लेषण किया है। यह कंपनी के ग्लोबल सर्वे का हिस्सा है। इसके तहत डेलॉयट ने 30 देशों के 49,000 लोगों पर यह सर्वे किया है। सर्वे के मुताबिक, जून तक जिन लोगों पर सर्वे किए गए उनमें 86% के पास स्मार्टफोन था। यह आंकड़ा 2013 के मुकाबले 12 फीसदी ज्यादा है। 17 फीसदी प्रतिभागी एक दिन में 51 से 100 बार स्मार्टफोन देखते हैं। करीब 78% स्मार्टफोन ओनर्स जागने के 15 मिनट के भीतर फोन चेक करते हैं। वहीं, आधे से ज्यादा लोग जागने के पांच मिनट के भीतर फोन चेक करते हैं। दिन खत्म होने के वक्त भी ऐसा ही होता है। आधे से ज्यादा यानी करीब 52 फीसदी लोग सोने से पांच मिनट पहले अपना फोन चेक करते हैं।
स्टडी से पता चलता है कि इंस्टेंट मेसेजिंग और सोशल नेटवर्क्स जैसे कम्युनिकेशन सर्विसेज पहली चीज हैं, जिन्हें हर सुबह स्मार्टफोन यूजर्स चेक करते हैं। इसके बाद ईमेल्स और एसएमएस का नंबर आता है। सर्वे में यह भी पता चलता है कि भारतीय यूजर्स अलग-अलग काम के लिए दिन भर अपना फोन इस्तेमाल करते हैं। संतोष ने कहा, 'ई-कॉमर्स और मोबाइल कॉमर्स कंपनियों के बढ़ने से कंज्यूमर्स आक्रामक ढंग से डेटा का इस्तेमाल कर रहे हैं। मोबाइल कैरियर्स और नेटवर्क ऑपरेटर्स के लिए इस मौके से मुनाफा कमाने का बड़ा स्कोप है। हालांकि, कंज्यूमर की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए टेलीकॉम सेक्टर को अपना नेटवर्क और इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर बनाना होगा।'
डेलॉयट इंडिया की रिसर्च से पता चलता है कि पिछले दो साल में वॉइस कॉल और एसएमएस के इस्तेमाल में 20 फीसदी तक कमी आई है। सर्वे में शामिल करीब दो तिहाई लोग वॉइस कॉल की क्वॉलिटी से नाखुश थे। वॉइस कॉल की खराब गुणवत्ता के कारण ही वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) में तेजी आई है। इस दौरान इंस्टेंट मेसेजिंग और VoIP का इस्तेमाल बढ़ा है।