दरअसल, विपक्ष राज्य में जगह-जगह शराब के ठेके खुलवाने के लिए नीतीश सरकार पर बराबर हमलावर हुआ करता था। इसलिए, नीतीश ने चुनाव प्रचार के दौरान ही राज्य में शराबबंदी का वादा किया। अब वादा पूरा करने की घोषणा कर नीतीश ने विपक्ष का मुंह तो चुप करा दिया, लेकिन एक तथ्य यह भी है कि इस फैसले से सरकारी खजाने को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
रिपोर्टों के मुताबिक, राज्य को शराब बिक्री पर लगे टैक्स कलेक्शन से हर साल 4,000 करोड़ रुपये की आमदनी होती थी। इतना ही नहीं, शराब पर प्रतिबंध का बड़ा असर ग्लोबस स्पिरिट्स, यूनाइटेड स्पिरिट्स लि. और रैडिको खैतान जैसी कंपनियों पर भी होगा।
नई पॉलिसी के तहत एक्साइज डिपार्टमेंट ने साल 2007 में पूरे राज्य में शराब की दुकानें खोलने के लिए अंधाधुंध लाइसेंस बांटे। इस वजह से विभाग के रेवेन्यू कलेक्शन में 10 गुना उछाल दर्ज की गई। एक्साइज डिपार्टमेंट को साल 2005-06 में 319 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी जो साल 2014-15 में बढ़कर 3,650 करोड़ रुपये हो गई। गौरतलब है कि भारत के तीन राज्यों- गुजरात, नागालैंड और मणिपुर में पहले से ही शराब पूरी तरह प्रतिबंधित है।