डाक्टरों की कमी से जूझ रहा कस्तूरबा अस्पताल
On 11/26/2015 6:32:59 PM |
भेल! कस्तूरबा अस्पताल का नाम एक समय राजधानी के बड़े अस्पतालों में शुमार था, करीब एक दशक से भेल प्रबंधन ने इस अस्पताल से अपनी नजरें फेर ली। यहां लंबे समय से सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की मांग कर्मचारियों द्वारा की जा रही है, लेकिन प्रबंधन इस मांग को आज तक पूरी नहीं कर पाया। प्रबंधन ने प्रयास भी किया तो कुछ डॉक्टरों को प्रबंधन की शर्त मंजूर ना होने के कारण नौकरी ही छोड़कर चले गये।
2 साल में 10 डाक्टरों ने नौकरी छोड़ी
सूत्र बताते है कि 2 साल में 10 डाक्टरों ने कस्तूरबा अस्पताल की नौकरी ही छोड़ दी। अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्ट, हार्ट स्पेशलिस्ट और आथरे स्पेशलिस्ट की कमी आज भी बनी हुई है। न्यूरो का काम डॉक्टर सरला मेनन देखती थी, लेकिन वह भी 24 सितंबर को रिटायर हो गई। इसी तरह अस्पताल की जान पैथोलाजी विभाग में स्टाफ की कमी बताई जा रही है, इस विभाग का काम ज्यादातर ट्रेनीज देख रहे हैं।
ये हैं मुख्य समस्याएं
सूत्र बताते हैं डायलेसिस मशीन एक चालू है और एक खराब। गंभीर मरीजों के लिए ओपीडी की व्यवस्था ठीक नहीं है। आथरे डॉक्टर के पास ही एक्स-रे की व्यवस्था नहीं है। मरीजों को बीमारी के अनुसार खानपान व्यवस्था भी ठीक नहीं बताई जा रही इसकी क्वालिटी में सुधार की मांग कस्तूरबा चिकित्सा समिति में कई बार उठाई जा चुकी है। आईसीयू वार्ड में मरीजों को संक्रमण से बचाने के लिए अपडेट नहीं किया गया है। ईसीजी मशीन आए दिन खराब होने से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ओएसएच में दो डॉक्टर होना चाहिए वर्तमान में एक ही डॉक्टर काम कर रहा है। सेंट्रल मेडिकल स्टोर में दवाई वितरण की प्रक्रिया सुस्त है। डीलक्स एवं प्राइवेट वार्ड में ऐसी, फ्रीज, टीवी व अन्य सुविधाओं की कमी बनी हुई है। हार्ट पेसेंट के लिए जल्द सीसीयू शुरू किए जाने की मांग बनी हुई है। एमआरआई सिटी स्केन के लिए लंबी दूरी के प्राइवेट अस्पताओं में भेजा जाता है, इससे मरीजों खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। चिकन पाक्स और पीसीडी वेक्सीन भी अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। सूत्रों का कहना है कि वार्डो में डस्टबिन लोकल ब्रांड के रखे जा रहे है। आये दिन अस्पताल परिसर में झगड़े की घटनाएं होने के बाद भी आज तक सीसीवीटी कैमरे नहीं लगाए गए है।
2 साल में 10 डाक्टरों ने नौकरी छोड़ी
सूत्र बताते है कि 2 साल में 10 डाक्टरों ने कस्तूरबा अस्पताल की नौकरी ही छोड़ दी। अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्ट, हार्ट स्पेशलिस्ट और आथरे स्पेशलिस्ट की कमी आज भी बनी हुई है। न्यूरो का काम डॉक्टर सरला मेनन देखती थी, लेकिन वह भी 24 सितंबर को रिटायर हो गई। इसी तरह अस्पताल की जान पैथोलाजी विभाग में स्टाफ की कमी बताई जा रही है, इस विभाग का काम ज्यादातर ट्रेनीज देख रहे हैं।
ये हैं मुख्य समस्याएं
सूत्र बताते हैं डायलेसिस मशीन एक चालू है और एक खराब। गंभीर मरीजों के लिए ओपीडी की व्यवस्था ठीक नहीं है। आथरे डॉक्टर के पास ही एक्स-रे की व्यवस्था नहीं है। मरीजों को बीमारी के अनुसार खानपान व्यवस्था भी ठीक नहीं बताई जा रही इसकी क्वालिटी में सुधार की मांग कस्तूरबा चिकित्सा समिति में कई बार उठाई जा चुकी है। आईसीयू वार्ड में मरीजों को संक्रमण से बचाने के लिए अपडेट नहीं किया गया है। ईसीजी मशीन आए दिन खराब होने से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ओएसएच में दो डॉक्टर होना चाहिए वर्तमान में एक ही डॉक्टर काम कर रहा है। सेंट्रल मेडिकल स्टोर में दवाई वितरण की प्रक्रिया सुस्त है। डीलक्स एवं प्राइवेट वार्ड में ऐसी, फ्रीज, टीवी व अन्य सुविधाओं की कमी बनी हुई है। हार्ट पेसेंट के लिए जल्द सीसीयू शुरू किए जाने की मांग बनी हुई है। एमआरआई सिटी स्केन के लिए लंबी दूरी के प्राइवेट अस्पताओं में भेजा जाता है, इससे मरीजों खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। चिकन पाक्स और पीसीडी वेक्सीन भी अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। सूत्रों का कहना है कि वार्डो में डस्टबिन लोकल ब्रांड के रखे जा रहे है। आये दिन अस्पताल परिसर में झगड़े की घटनाएं होने के बाद भी आज तक सीसीवीटी कैमरे नहीं लगाए गए है।