अजीब बीमारी: 12 साल तक नहीं रहता पेनिस
सेंटो डोमिंगो
लैटिन अमेरिकी देश डोमिनिकैन रिपब्लिक के एक गांव सैलिनास में नवजात बच्चों में रहस्यमयी बीमारी पता चली है। यहां पैदा होने वाले करीब दो फीसदी बच्चे पैदा तो लड़की के तौर पर होते हैं, लेकिन तरुणावस्था तक आते-आते लड़का बन जाते हैं। दरअसल एक खास किस्म की बीमारी के शिकार इन बच्चों के जन्म के वक्त बेहद छोटा या न के समान लिंग होता है, लेकिन तकरीबन 12 साल की उम्र तक पहुंचने पर यह सामान्य हो जाता है।
चिकित्सकों के मुताबिक ऐसा गर्भावस्था के दौरान जरूरी एंजाइम के न मिलने पर होता है। बचपन से इसी बीमारी से पीड़ित जॉनी ने बताया कि उसके मां-बाप ने उसे बेटी ही समझा था और उसका नाम फेलिसिटी रखा था। 24 साल के जॉनी ने बीबीसी बताया कि डॉक्टर नहीं जानते थे कि आखिर में क्या हूं, लड़का या लड़की। लेकिन मैं हमेशा लड़कों की तरह ही व्यवहार करता था।
जॉनी ने बताया, 'मैं जब स्कूल जाता था तो स्कर्ट ही पहनता था। लेकिन मैं कभी लड़कियों के कपड़े पहनना पसंद नहीं किया। जब वह मुझे लड़कियों के खिलौने लाकर देते थे तो मैं उनकी ओर देखता भी नहीं था।' ऐसे ही एक और युवक कार्लोस ने बताया कि बताया कि वह भी लड़की के तौर पर ही पैदा हुआ था, लेकिन नौ साल की उम्र में उसका लिंग परिवर्तन हुआ। कार्लोस ने अपने बचपन की तस्वीरें भी दिखाईं। बचपन में परिजनों ने उसे बेटी समझकर उसका नाम कार्ला रखा था।
यह मामला पहली बार 1970 में सामने आया था, जब वैज्ञानिक कॉर्नेल ने इस द्वीपीय देश का दौरा किया। वैज्ञानिकों के मुताबिक आठ सप्ताह गर्भ में भ्रूण में परिवर्तन होता है और वह नर के तौर पर तैयार होता है। लेकिन डिहाइड्रो टेस्टोस्टीरोन की कमी के चलते कई बार नर भ्रूण में पेनिस का समुचित विकास नहीं हो पाता। जिसके चलते वह लड़की के तौर पर ही पैदा होता है।
ऐसे बच्चों में तब तक पेनिस बड़ा नहीं होता, जब तक वह किशोरावस्था में नहीं पहुंचे जाते। यह वह उम्र होती है, जब शरीर में डिहाइड्रो टेस्टोस्टीरोन बढ़ता है।
लैटिन अमेरिकी देश डोमिनिकैन रिपब्लिक के एक गांव सैलिनास में नवजात बच्चों में रहस्यमयी बीमारी पता चली है। यहां पैदा होने वाले करीब दो फीसदी बच्चे पैदा तो लड़की के तौर पर होते हैं, लेकिन तरुणावस्था तक आते-आते लड़का बन जाते हैं। दरअसल एक खास किस्म की बीमारी के शिकार इन बच्चों के जन्म के वक्त बेहद छोटा या न के समान लिंग होता है, लेकिन तकरीबन 12 साल की उम्र तक पहुंचने पर यह सामान्य हो जाता है।
चिकित्सकों के मुताबिक ऐसा गर्भावस्था के दौरान जरूरी एंजाइम के न मिलने पर होता है। बचपन से इसी बीमारी से पीड़ित जॉनी ने बताया कि उसके मां-बाप ने उसे बेटी ही समझा था और उसका नाम फेलिसिटी रखा था। 24 साल के जॉनी ने बीबीसी बताया कि डॉक्टर नहीं जानते थे कि आखिर में क्या हूं, लड़का या लड़की। लेकिन मैं हमेशा लड़कों की तरह ही व्यवहार करता था।
जॉनी ने बताया, 'मैं जब स्कूल जाता था तो स्कर्ट ही पहनता था। लेकिन मैं कभी लड़कियों के कपड़े पहनना पसंद नहीं किया। जब वह मुझे लड़कियों के खिलौने लाकर देते थे तो मैं उनकी ओर देखता भी नहीं था।' ऐसे ही एक और युवक कार्लोस ने बताया कि बताया कि वह भी लड़की के तौर पर ही पैदा हुआ था, लेकिन नौ साल की उम्र में उसका लिंग परिवर्तन हुआ। कार्लोस ने अपने बचपन की तस्वीरें भी दिखाईं। बचपन में परिजनों ने उसे बेटी समझकर उसका नाम कार्ला रखा था।
यह मामला पहली बार 1970 में सामने आया था, जब वैज्ञानिक कॉर्नेल ने इस द्वीपीय देश का दौरा किया। वैज्ञानिकों के मुताबिक आठ सप्ताह गर्भ में भ्रूण में परिवर्तन होता है और वह नर के तौर पर तैयार होता है। लेकिन डिहाइड्रो टेस्टोस्टीरोन की कमी के चलते कई बार नर भ्रूण में पेनिस का समुचित विकास नहीं हो पाता। जिसके चलते वह लड़की के तौर पर ही पैदा होता है।
ऐसे बच्चों में तब तक पेनिस बड़ा नहीं होता, जब तक वह किशोरावस्था में नहीं पहुंचे जाते। यह वह उम्र होती है, जब शरीर में डिहाइड्रो टेस्टोस्टीरोन बढ़ता है।