भारत में बनी एक सस्ती दवा ने जान बचाई एक ऑस्ट्रेलियाई की
Total Treatment Cost $999 In India,
Australia Cost $100000
चार महीने पहले ग्रेग जेफरी की लीवर सिरोसिस की बीमारी इंतेहा पर थी। हेपिटाइटिस-C की बीमारी से जूझ रहे 61 साल के इस ऑस्ट्रेलियाई अपनी जान बचाने के लिए सिवोल्डी नाम की एक दवा की बुरी तरह से जरूरत थी। लेकिन इसमें एक मुश्किल थी, सिवोल्डी के हर टैबलेट की कीमत एक हजार ऑस्ट्रेलियाई डॉलर पड़ती है।
ग्रेग जेफरी को अपने इलाज के लिए सिवोल्डी के 84 टैबलेट्स का कोर्स पूरा करना था और इसके लिए उनकी जेब से एक लाख ऑस्ट्रेलियाई डॉलर निकलते। पेशे से लेखक और इतिहासकार जेफरी के पास इतने पैसे नहीं थे। इस दवाई को सस्ती कीमत खरीदने की तलाश में वह तीन पहले चेन्नै पहुंचे। चेन्नै न केवल उन्हें यह दवा कम कीमत पर मिल गई बल्कि ऑस्ट्रेलिया में उन्हें इसके लिए जितना चुकाना पड़ता, उसके सौवें हिस्से के बराबर भारत में इसका खर्च पड़ा।
ग्रेग जेफरी ने ऑस्ट्रेलिया टीवी चैनल ABC को बताया, 'भारत में इसी इलाज के लिए मुझे 900 डॉलर की कीमत चुकानी पड़ी।' उन्होंने बताया, 'मैं जैसे ही घर लौटा और मैंने दवा लेनी शुरू की, 11 दिनों के भीतर मेरे लीवर ने सामान्य तरीके से काम करना शुरू कर दिया। चार हफ्तों के भीतर मेरे खून में कोई वायरस नहीं रह गया था। मैं ठीक हो गया था।'
ग्रेग की कहानी भारत में पेटेंट सिस्टम से जुड़े नियमों की भी एक तस्वीर बयान करती है जिसकी पश्चिम में आलोचना की जाती रही है। इसी साल जनवरी में भारत के पेटेंट कार्यालय ने सोवाल्डी के पेटेंट के लिए अमेरिकी दवा कंपनी गिलाड की अर्जी ठुकरा दी थी। इस फैसले ने भारत की दवा कंपनियों के लिए इस दवा के संस्करण बनाने के दरवाजे खोल दिए।