Mumbai :एक तरफ डेंगी के प्रकोप के चलते, शहर में प्राइवेट ब्लड बैंक ऊंची कीमतों में प्लेटलेट्स और ब्लड कम्पोनेंट बेच रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकारी अस्पताल इस बेशकीमती ब्लड को नाली में बहा रहे हैं। राज्य सरकार के साउथ मुंबई स्थित गोकुलदास तेजपाल अस्पताल (जीटी हॉस्पिटल)GT Hospital में, पिछले दो सालों में ब्लड बैंक की कुल 2,668 ब्लड (Blood )की बोतलों में से 717 बोतलें एक्सपायर हो चुकी हैं।
बर्बादी की इंतहां... : एक आरटीआई के माध्यम से निकली इस जानकारी में यह साफ हुआ है कि साल 2014 में 31 अगस्त, तक इस अस्पताल में कुल 440 बोतल ब्लड इकट्ठा हुआ, जिनमें से 98 बोतल ब्लड एक्सपायर हो कर बर्बाद हो चुका है। गौरतलब है कि पिछले 2 सालों में इस अस्पताल में लगभग 3 लाख रुपये से ज्यादा कीमत का ब्लड बर्बाद हो चुका है। ब्लड की हो रही इस बर्बादी के बारे में आंकड़ों से पता चलता है कि लोगों द्वारा दी जाने वाली हर 4 बोतल ब्लड में से 1 बोतल एक्सपायर हो रही है। ब्लड की एक बोतल में लगभग 350 एमएल ब्लड आता है और पुरानी कीमतों के हिसाब से एक बैग की कीमत 450 रुपये है। ऐसे में सवाल उठता है कि लोगों की मदद के उद्देश्य से मुंबईकरों द्वारा दिए गए ब्लड की इस बेकद्री पर प्रशासन क्या कार्रवाई करता है। वहीं दूसरा सवाल यह भी आता है कि फूड ऐंड ड्रग अडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) FDA द्वारा एक वर्ष में दो बार इन ब्लड बैंकों की जांच की जाती है, तो इस बर्बादी पर कोई ध्यान क्यों नहीं दिया गया।
क्यों नहीं है कम्पोनेंट का लाइसेंस : जीटी अस्पताल के पास ब्लड से कम्पोनेंट जैसे प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, रेड ब्लड सेल आदि, अलग करने का लाइसेंस(Licence) नहीं है। बता दें कि18 अक्टूबर को बिना कम्पोनेंट वाले ब्लड बैंकों और उनकी निरर्थकता पर प्रमुखता से खबर प्रकाशित कर चुका है। एफडीए के ब्लड बैंक लाइसेंस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रक्त की इतनी बर्बादी बिलकुल गलत है। यदि इतना रक्त बर्बाद हो रहा है, तो अस्पताल को यह ब्लड किसी और अस्पताल को उपलब्ध करा देना चाहिए।
वहीं जीटी अस्पताल के एक सीनियर डॉक्टर ने बताया अस्पताल की जरूरत के हिसाब से ही ब्लड का पूरा इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन मुसीबत यह है कि जीटी हॉस्पिटल के ब्लड बैंक को ब्लड कम्पोनेंट का लाइसेंस नहीं है। ऐसे में यदि पूरे रक्त का इस्तेमाल नहीं होता तो इस रक्त से कम्पोनेंट नहीं बनाए जा सकते और बिना इस्तेमाल रक्त एक्सपायर हो कर बर्बाद हो रहा है।
बर्बादी की इंतहां... : एक आरटीआई के माध्यम से निकली इस जानकारी में यह साफ हुआ है कि साल 2014 में 31 अगस्त, तक इस अस्पताल में कुल 440 बोतल ब्लड इकट्ठा हुआ, जिनमें से 98 बोतल ब्लड एक्सपायर हो कर बर्बाद हो चुका है। गौरतलब है कि पिछले 2 सालों में इस अस्पताल में लगभग 3 लाख रुपये से ज्यादा कीमत का ब्लड बर्बाद हो चुका है। ब्लड की हो रही इस बर्बादी के बारे में आंकड़ों से पता चलता है कि लोगों द्वारा दी जाने वाली हर 4 बोतल ब्लड में से 1 बोतल एक्सपायर हो रही है। ब्लड की एक बोतल में लगभग 350 एमएल ब्लड आता है और पुरानी कीमतों के हिसाब से एक बैग की कीमत 450 रुपये है। ऐसे में सवाल उठता है कि लोगों की मदद के उद्देश्य से मुंबईकरों द्वारा दिए गए ब्लड की इस बेकद्री पर प्रशासन क्या कार्रवाई करता है। वहीं दूसरा सवाल यह भी आता है कि फूड ऐंड ड्रग अडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) FDA द्वारा एक वर्ष में दो बार इन ब्लड बैंकों की जांच की जाती है, तो इस बर्बादी पर कोई ध्यान क्यों नहीं दिया गया।
क्यों नहीं है कम्पोनेंट का लाइसेंस : जीटी अस्पताल के पास ब्लड से कम्पोनेंट जैसे प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, रेड ब्लड सेल आदि, अलग करने का लाइसेंस(Licence) नहीं है। बता दें कि18 अक्टूबर को बिना कम्पोनेंट वाले ब्लड बैंकों और उनकी निरर्थकता पर प्रमुखता से खबर प्रकाशित कर चुका है। एफडीए के ब्लड बैंक लाइसेंस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रक्त की इतनी बर्बादी बिलकुल गलत है। यदि इतना रक्त बर्बाद हो रहा है, तो अस्पताल को यह ब्लड किसी और अस्पताल को उपलब्ध करा देना चाहिए।
वहीं जीटी अस्पताल के एक सीनियर डॉक्टर ने बताया अस्पताल की जरूरत के हिसाब से ही ब्लड का पूरा इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन मुसीबत यह है कि जीटी हॉस्पिटल के ब्लड बैंक को ब्लड कम्पोनेंट का लाइसेंस नहीं है। ऐसे में यदि पूरे रक्त का इस्तेमाल नहीं होता तो इस रक्त से कम्पोनेंट नहीं बनाए जा सकते और बिना इस्तेमाल रक्त एक्सपायर हो कर बर्बाद हो रहा है।