DONKEY MILK GOOD FOR HEALTH
गधे को महज मजाक का पात्र समझते हैं तो इस पर आपको फिर से सोचने की जरूरत है। मादा गधे के दूध की पोषण क्वॉलिटी जानकर आप हैरान रह जाएंगे। इन खूबियों के ही चलते आंध्र के तटीय इलाकों में इन दिनों गधी का दूध 2000 रुपए प्रति लीटर बेचा जा रहा है और फिर भी खरीदने वालों की लाइन लगी रहती है।हालांकि मादा गधे के दूध की महिमा कोई नई नहीं है। कहा जाता है कि मिस्र की राजकुमारी क्लियोपेट्रा की खूबसूरती का राज गधे का दूध ही था। आंध्र प्रदेश के तेलंगाना और कोस्टल इलाके में राज्य विभाजन को लेकर गतिरोध इन दिनों चरम पर है। लेकिन, इस तनाव के बीच भी बंजारों का एक ग्रुप उत्तरी तेलंगाना इलाके से गधों के झुंड के साथ कोस्टल इलाके में आया है। बंजारों के इस ग्रुप का बिजनस चर्चा का विषय है। कोस्टल इलाके में मादा गधों के दूध ऊंची कीमत लेकर बेचे जा रहे हैं। बंजारों के इस ग्रुप का दावा है गधे का दूध नवजात शिशुओं की सेहत के लिए जबर्दस्त है।गुरुवार को शिवाजीपालेम में जी. लिंगाम्मा नाम की एक महिला गधों की एक जोड़ी के साथ थी और दूध खरीदने वालों की उसके पास लाइन लगी थी। 4 परिवारों के 20 लोग 15 जोड़ी गधों के साथ तेलंगाना के अदीलाबाद जिले से आए हैं। गधे के दूध को लेकर लोगों में भरोसा है कि नवजात शिशुओं में सांस और अस्थमा की समस्या के लिए यह रामबाण है।लिंगम्मा ने बताया कि हमलोग एक कप(25 एमएल) गधे का ताजा दूध 200 रुपए में बेचते हैं। यदि किसी को ज्यादा मात्रा में दूध चाहिए तो 2000 रुपए प्रति लीटर मिलता है। दूध की महंगी कीमत होने के बावजूद लोग बिना किसी तोल-मोल के खरीदते हैं। दूध बेचने वाले ग्रुप के हर एक शख्स की कमाई रोज 700 से 800 रुपए है। लिंगम्मा ने बताया कि इनका ग्रुप पिछले साल भी दूध बेचने आया था।इसी दौरान एक हाउसवाइफ के. सत्यवती ने सलुर में लिंगाम्मा से 75 एमएल दूध खरीदा। सत्यवती ने बताया कि उनकी बेटी ने एक बच्चे को जन्म दिया है। जब मैंने सुना कि गधे के दूध बेचने वाले हमारी सड़कों पर फेरी लगा रहे हैं तो मैं काफी खुश हुई थी। सत्यवती ने बताया कि मेरे पोते की अच्छी सेहत के लिए गधे का दूध बेहद उपयोगी है। यह एक तरह से आयुर्वेदिक औषधि है।गधे के दूध पर सत्यवती के भरोसे से आयुर्वेद हेल्थ सेंटर श्रीनगर के सीनियर आयुर्वेद डॉक्टर वी. सुसीला भी इत्तेफाक रखते हैं। उन्होंने कहा कि गधे का दूध नवजात शिशुओं को अस्थमा, टीबी और गले के इन्फेक्शन से दूर रखने में सक्षम है। विशाखापटनम जिले में डिपार्टमेंट ऑफ ऐनिमल हज्बंड्री के जॉइंट डायरेक्टर वेंकटेश्वर राव ने गधे के दूध की मेडिकल उपयोगिता के बारे में बताया कि यह पूरी तरह से ह्यूमन ब्रेस्ट दूध की तरह है। दोनों में तुलना किया जाए तो गधे का दूध फैट और प्रोटीन के मामले में ह्यूमन ब्रेस्ट दूध के मुकाबले कमजोर है, लेकिन लैक्टोस के मामले में इसका मुकाबला नहीं।गधे के दूध का इस्तेमाल प्राचीन काल में 6 से 8 महीने तक के बच्चों को अस्थमा और सांस संबंधी अलर्जी से बचाने के लिए किया जाता था। इस दूध की मांग बेंगलुरु और चेन्नै में भी है। इसके दूध का इस्तेमाल स्किन की चमक और कोमलता बनाए रखने में भी किया जाता है। कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट्स में भी गधे के दूध का इस्तेमाल किया जाता है। वेंकटेश्वर राव ने कहा कि यह महज संयोग नहीं है कि क्लियोपेट्रा हर दिन नहाने के लिए 700 गधों के दूध का इस्तेमाल करती थीं। राव के मुताबिक गधे का दूध यूरोपीय देशों में बेहद पॉप्युलर है। दुनिया के सबसे कीमती डेयरी प्रॉडक्ट्स और चीज बनाने में गधे के दूध का इस्तेमाल होता है।
VISAKHAPATNAM: Donkeys may be the butt of jokes but the nutritional quality of donkey milk seems to be no laughing matter. After all it was said to be the secret of Egyptian princess Cleopatra's glowing beauty.
And now, despite the bifurcation trouble brewing in the state, a group of nomads from the north Telangana region have arrived in north coastal Andhra with a herd of donkeys and are doing brisk business selling donkey milk that they claim has medicinal value for newborn babies.
G Lingamma, a woman spotted with a pair of donkeys and surrounded by milk buyers at Sivajipalem in the city on Thursday, said a group of 20 people comprising four families had arrived in the district few days ago from Mancherial town in Adilabad district of Telangana along with 15 pairs of donkeys to sell donkey's milk that is believed to be a remedy for curing asthma and any respiratory problems in newborns.
गधे को महज मजाक का पात्र समझते हैं तो इस पर आपको फिर से सोचने की जरूरत है। मादा गधे के दूध की पोषण क्वॉलिटी जानकर आप हैरान रह जाएंगे। इन खूबियों के ही चलते आंध्र के तटीय इलाकों में इन दिनों गधी का दूध 2000 रुपए प्रति लीटर बेचा जा रहा है और फिर भी खरीदने वालों की लाइन लगी रहती है।हालांकि मादा गधे के दूध की महिमा कोई नई नहीं है। कहा जाता है कि मिस्र की राजकुमारी क्लियोपेट्रा की खूबसूरती का राज गधे का दूध ही था। आंध्र प्रदेश के तेलंगाना और कोस्टल इलाके में राज्य विभाजन को लेकर गतिरोध इन दिनों चरम पर है। लेकिन, इस तनाव के बीच भी बंजारों का एक ग्रुप उत्तरी तेलंगाना इलाके से गधों के झुंड के साथ कोस्टल इलाके में आया है। बंजारों के इस ग्रुप का बिजनस चर्चा का विषय है। कोस्टल इलाके में मादा गधों के दूध ऊंची कीमत लेकर बेचे जा रहे हैं। बंजारों के इस ग्रुप का दावा है गधे का दूध नवजात शिशुओं की सेहत के लिए जबर्दस्त है।गुरुवार को शिवाजीपालेम में जी. लिंगाम्मा नाम की एक महिला गधों की एक जोड़ी के साथ थी और दूध खरीदने वालों की उसके पास लाइन लगी थी। 4 परिवारों के 20 लोग 15 जोड़ी गधों के साथ तेलंगाना के अदीलाबाद जिले से आए हैं। गधे के दूध को लेकर लोगों में भरोसा है कि नवजात शिशुओं में सांस और अस्थमा की समस्या के लिए यह रामबाण है।लिंगम्मा ने बताया कि हमलोग एक कप(25 एमएल) गधे का ताजा दूध 200 रुपए में बेचते हैं। यदि किसी को ज्यादा मात्रा में दूध चाहिए तो 2000 रुपए प्रति लीटर मिलता है। दूध की महंगी कीमत होने के बावजूद लोग बिना किसी तोल-मोल के खरीदते हैं। दूध बेचने वाले ग्रुप के हर एक शख्स की कमाई रोज 700 से 800 रुपए है। लिंगम्मा ने बताया कि इनका ग्रुप पिछले साल भी दूध बेचने आया था।इसी दौरान एक हाउसवाइफ के. सत्यवती ने सलुर में लिंगाम्मा से 75 एमएल दूध खरीदा। सत्यवती ने बताया कि उनकी बेटी ने एक बच्चे को जन्म दिया है। जब मैंने सुना कि गधे के दूध बेचने वाले हमारी सड़कों पर फेरी लगा रहे हैं तो मैं काफी खुश हुई थी। सत्यवती ने बताया कि मेरे पोते की अच्छी सेहत के लिए गधे का दूध बेहद उपयोगी है। यह एक तरह से आयुर्वेदिक औषधि है।गधे के दूध पर सत्यवती के भरोसे से आयुर्वेद हेल्थ सेंटर श्रीनगर के सीनियर आयुर्वेद डॉक्टर वी. सुसीला भी इत्तेफाक रखते हैं। उन्होंने कहा कि गधे का दूध नवजात शिशुओं को अस्थमा, टीबी और गले के इन्फेक्शन से दूर रखने में सक्षम है। विशाखापटनम जिले में डिपार्टमेंट ऑफ ऐनिमल हज्बंड्री के जॉइंट डायरेक्टर वेंकटेश्वर राव ने गधे के दूध की मेडिकल उपयोगिता के बारे में बताया कि यह पूरी तरह से ह्यूमन ब्रेस्ट दूध की तरह है। दोनों में तुलना किया जाए तो गधे का दूध फैट और प्रोटीन के मामले में ह्यूमन ब्रेस्ट दूध के मुकाबले कमजोर है, लेकिन लैक्टोस के मामले में इसका मुकाबला नहीं।गधे के दूध का इस्तेमाल प्राचीन काल में 6 से 8 महीने तक के बच्चों को अस्थमा और सांस संबंधी अलर्जी से बचाने के लिए किया जाता था। इस दूध की मांग बेंगलुरु और चेन्नै में भी है। इसके दूध का इस्तेमाल स्किन की चमक और कोमलता बनाए रखने में भी किया जाता है। कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट्स में भी गधे के दूध का इस्तेमाल किया जाता है। वेंकटेश्वर राव ने कहा कि यह महज संयोग नहीं है कि क्लियोपेट्रा हर दिन नहाने के लिए 700 गधों के दूध का इस्तेमाल करती थीं। राव के मुताबिक गधे का दूध यूरोपीय देशों में बेहद पॉप्युलर है। दुनिया के सबसे कीमती डेयरी प्रॉडक्ट्स और चीज बनाने में गधे के दूध का इस्तेमाल होता है।
VISAKHAPATNAM: Donkeys may be the butt of jokes but the nutritional quality of donkey milk seems to be no laughing matter. After all it was said to be the secret of Egyptian princess Cleopatra's glowing beauty.
And now, despite the bifurcation trouble brewing in the state, a group of nomads from the north Telangana region have arrived in north coastal Andhra with a herd of donkeys and are doing brisk business selling donkey milk that they claim has medicinal value for newborn babies.
G Lingamma, a woman spotted with a pair of donkeys and surrounded by milk buyers at Sivajipalem in the city on Thursday, said a group of 20 people comprising four families had arrived in the district few days ago from Mancherial town in Adilabad district of Telangana along with 15 pairs of donkeys to sell donkey's milk that is believed to be a remedy for curing asthma and any respiratory problems in newborns.