बड़ी मुसीबत में फंसे इमरान खान, पाकिस्तान में ये क्या करके चले गए सऊदी अरब के प्रिंस
पाकिस्तान के पास बिजली बनाने के पैसे नहीं।
कैसे प्रिंस ने बढ़ा दी पाकिस्तान की मुसीबत
दरअसल, सुन्नी बाहुल्य सऊदी अरब और शिया प्रभुत्व वाले ईरान की रंजिश कोई छिपी नहीं है। दशकों से उनके रिश्ते हिन्दुस्तान - पाकिस्तान जैसे हैं। पुलवामा में आत्मघाती हमले के बाद ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड के मुखिया ने साफ़-साफ़ पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अगर उसने अपनी गोद में पल रहे आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तो वह अंतर्राष्ट्रीय क़ानून के तहत बदला लेने के लिए आज़ाद है। ईरान की 1000 किलोमीटर सीमा पाकिस्तान से सटी हुई है।
पुलवामा हमले से पहले बलूचिस्तान से लगी सीमा पर ईरान के 27 गार्ड पाकिस्तानी आतंकवादी समूह जैश अल अदल के आत्मघाती हमले में मारे गए थे। पिलपिले पाकिस्तान के पास इसका उत्तर नहीं था। वह बच रहा था कि आखिर ईरान को क्या जवाब दे। सऊदी अरब के क्राउन प्रिन्स आए और ईरान को धमका कर चले गए। आग में घी डालने का काम कर गए। सऊदी पक्ष ने कहा कि ईरान उग्रवाद का गढ़ है। वह आतंक समूहों को संरक्षण देता है। पाकिस्तानी जानकार इससे हक्का-बक्का थे। वहां के चैनलों पर इसके बाद कहा गया कि प्रिंस पाकिस्तान की धरती से ईरान के ख़िलाफ़ बोल कर भारत चले गए और वहां कश्मीर पर पाकिस्तान के पक्ष में मुंह तक नहीं खोला।
ऐसे हक्का-बक्का है पाकिस्तान
दरअसल, परदे के पीछे की कहानी कुछ और है। चीन ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह बनाया। अब आठ अरब डॉलर से सऊदी अरब ग्वादर में तेल रिफायनरी बना रहा है। यह आठ अरब उसी बीस अरब डॉलर के निवेश का हिस्सा है ,जो सऊदी अरब प्रिंस ने हाल ही में किया है। ग्वादर रिफायनरी से पाकिस्तान को कुछ नहीं मिल रहा है। संधि के मुताबिक़ बीस साल तक पाकिस्तान कोई टैक्स नहीं लगा सकेगा। सारे कर्मचारी सऊदी अरब के होंगे।
पाकिस्तान के नौजवान को रोज़गार नहीं मिलेगा। जो तेल उत्पादन होगा ,उसका 80 फ़ीसदी चीन खरीदेगा। बाक़ी 20 फ़ीसदी भी पाकिस्तान को नहीं मिलेगा। वह सऊदी अरब अपने तेल निर्यात बाज़ार को देगा। पाकिस्तान को सिर्फ वहां से निकलने वाली गाड़ियों का टोल टैक्स मिलेगा। यह ऊंट के मुंह में जीरा है। पाकिस्तान को इससे क्या मिलेगा ? अब सबसे बड़ा पेंच यह है कि ग्वादर के लिए पाकिस्तान के पास अपनी बिजली नहीं है। वह ग्वादर के लिए ईरान से बिजली खरीदता है। अब ईरान सऊदी अरब के प्रोजेक्ट और पाकिस्तान की धरती से आतंकवाद को संरक्षण देने के लिए बिजली क्यों बेचेगा?
कूटनीतिक मोर्चे पर बुरी तरह फेल इमरान सरकार
पाकिस्तान में अपने बिजली संयंत्र लगाने की क्षमता नहीं है। वहां तो गीज़र लगाना भी अब लक्ज़री माना जाने लगा है। आधा मुल्क़ रात को अंधेरे में डूब जाता है। चीन और सऊदी अरब चाहें तो चार-पांच साल से पहले अपने पावर प्लांट नहीं लगा सकेंगे। फिर सवाल यह है कि क्या वे इतना निवेश करेंगे ? यानी पाकिस्तान को सब तरह से घाटा। बेचारा ठगा गया। इमरान ख़ान और उनकी हुकूमत अब अपने बाल नोंचें तो भी क्या। लब्बोलुआब यह कि पाकिस्तान की अवाम और एक्सपर्ट कह रहे हैं कि हम तो भिखारी ही रहने वाले हैं। पैसा तो फौज ,हुकूमत और आईएसआई को मिलता है। इससे भले तो हिन्दुस्तान में ही थे। क़ायदे आज़म हमें आदम गुफ़ाओं में भटकने के लिए छोड़ गए। अब ऊपरवाला ही मालिक है।
दरअसल, परदे के पीछे की कहानी कुछ और है। चीन ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह बनाया। अब आठ अरब डॉलर से सऊदी अरब ग्वादर में तेल रिफायनरी बना रहा है। यह आठ अरब उसी बीस अरब डॉलर के निवेश का हिस्सा है ,जो सऊदी अरब प्रिंस ने हाल ही में किया है। ग्वादर रिफायनरी से पाकिस्तान को कुछ नहीं मिल रहा है। संधि के मुताबिक़ बीस साल तक पाकिस्तान कोई टैक्स नहीं लगा सकेगा। सारे कर्मचारी सऊदी अरब के होंगे।
पाकिस्तान के नौजवान को रोज़गार नहीं मिलेगा। जो तेल उत्पादन होगा ,उसका 80 फ़ीसदी चीन खरीदेगा। बाक़ी 20 फ़ीसदी भी पाकिस्तान को नहीं मिलेगा। वह सऊदी अरब अपने तेल निर्यात बाज़ार को देगा। पाकिस्तान को सिर्फ वहां से निकलने वाली गाड़ियों का टोल टैक्स मिलेगा। यह ऊंट के मुंह में जीरा है। पाकिस्तान को इससे क्या मिलेगा ? अब सबसे बड़ा पेंच यह है कि ग्वादर के लिए पाकिस्तान के पास अपनी बिजली नहीं है। वह ग्वादर के लिए ईरान से बिजली खरीदता है। अब ईरान सऊदी अरब के प्रोजेक्ट और पाकिस्तान की धरती से आतंकवाद को संरक्षण देने के लिए बिजली क्यों बेचेगा?
कूटनीतिक मोर्चे पर बुरी तरह फेल इमरान सरकार
पाकिस्तान में अपने बिजली संयंत्र लगाने की क्षमता नहीं है। वहां तो गीज़र लगाना भी अब लक्ज़री माना जाने लगा है। आधा मुल्क़ रात को अंधेरे में डूब जाता है। चीन और सऊदी अरब चाहें तो चार-पांच साल से पहले अपने पावर प्लांट नहीं लगा सकेंगे। फिर सवाल यह है कि क्या वे इतना निवेश करेंगे ? यानी पाकिस्तान को सब तरह से घाटा। बेचारा ठगा गया। इमरान ख़ान और उनकी हुकूमत अब अपने बाल नोंचें तो भी क्या। लब्बोलुआब यह कि पाकिस्तान की अवाम और एक्सपर्ट कह रहे हैं कि हम तो भिखारी ही रहने वाले हैं। पैसा तो फौज ,हुकूमत और आईएसआई को मिलता है। इससे भले तो हिन्दुस्तान में ही थे। क़ायदे आज़म हमें आदम गुफ़ाओं में भटकने के लिए छोड़ गए। अब ऊपरवाला ही मालिक है।
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